सलाम: ऑफ रोड बाइकिंग कर जंगल में पहुंचकर बच्चों को लगाए टीके

एमबीएम न्यूज नेटवर्क, शिमला।। जंगल के बीच कच्ची सड़क, जो सड़क कम ही लगती है। इस पर दो बाइक सवार जा रहे थे। पीछे एक महिला बैठी थी, जिसके हाथ में वैक्सीन कैरियर था। बाइक को चला भी एक महिला ही रही थी और उसने टंकी पर एक और वैक्सीन कैरियर रखा हुआ था। वहीं एक और महिला इस तरह के वैक्सीन कैरियर को लेकर पैदल ही चल रही थी।

 

यह नज़ारा दिखा हिमाचल प्रदेश के मंडी में। और इस कारनामे को अंजाम देने वाली हैं महिला स्वास्थ्य कर्मी गीता वर्मा, गीता भाटिया और प्रेमलता भाटिया। आजकल हिमाचल प्रदेश में खसरा-रुबैला का वैक्सीनेशन अभियान चल रहा है। इसमें सभी बच्चों का टीकाकरण जरूरी है। मगर जंगलों में रहने वाले घुमंतू गुज्जरों के बच्चों के टीकाकरण से वंचित रहने से पूरा अभियान फेल न हो जाए, िसके लिए गीता वर्मा ने ऑफ रोड ही बाइक चलाकर जाने का फैसला किया। उनके सात गीता भाटिया बैठीं और प्रेमलता पैदल आईं।

 

बता दें कि घुमन्तु गुज्जर एक ऐसा कबीला है जो अधिकतर जीवन जंगलो में ही गुजर करता है, जिनका आम लोगो से काफी कम सम्पर्क होता है। मंडी जिला की जंजैहली उपमंडल के शिकारी देवी के जंगल में स्वास्थ्य कर्मियों की कोशिश वाकई ही लाजवाब है। तीनों ही महिलाओं की हिम्मत की दाद इस कारण देनी होगी क्योंकि जंगल से गुजरना बेहद ही खतरनाक था, क्योंकि हर वक्त जंगली जानवरों के हमले का साया मंडरा रहा था।

टीकाकरण के बाद स्वास्थ्यकर्मी (MBM News Network)

शिद्दत से की गई कोशिश भी रंग लाई, क्योंकि अमूमन गुज्जर समुदाय इस तरह के कार्यक्रमों में अपनी भागीदारी के लिए आनाकानी करता है। लेकिन गीता वर्मा के साथ गीता भाटिया व प्रेमलता भाटिया के हौंसले को देखकर 48 पात्र बच्चों का टीकाकरण किया गया।

 

करसोग सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के तहत गीता वर्मा की तैनाती सब सेंटर शंकर देहरा में है। पहले करसोग पहुंची जहां से वैक्सीन बॉक्स के साथ अन्य सामान बाइक पर लादकर मंजिल की तरफ निकल गई। 5 सितंबर को घुमंतू गुज्जरों के बच्चों का सफल टीकाकरण करने के बाद जब वापिस लौटी तो स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी भी गीता की प्रशंसा में जमकर सामने आएं। एमआर वैक्सीनेशन के पश्चात घुमंतु गुज्जरों के साथ गीता देवी।

 

गीता बताती हैं कि ऑफ रोड बाइक चलाने के दौरान हेलमेट पहनना संभव नहीं था, न केवल बाइक पर सामान लदा हुआ था बल्कि संतुलन रखना भी जरूरी था। उनका कहना था कि पगडंडी के दोनों हिस्सों पर नज़र रखना जरूरी था, मगर हेलमेट से उसमें दिक्कत आ रही थई।

 

गीता वर्मा ने बताया कि उन्होंने अपना कार्य निष्ठा से निभाने की कोशिश की। उन्हें कतई भी अंदाजा नहीं था कि विभाग से प्रशंसा मिलेगी। हैलमेट के बारे में गीता ने कहा कि वह हर तरह का दोपहिया वाहन चला लेती है, साथ ही चोपहिया वाहन की ड्राइविंग भी कर लेती है। इसके लिए उनके पास लाइसेंस भी है।

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गीता वर्मा के पति केके वर्मा, हिमाचल प्रदेश पुलिस में शिमला में तैनात है। उन्होंने बताया कि ऑफ रोड बाइकिंग के अलावा 2 से 3 किलोमीटर पैदल भी चलना पडा, क्योंकि गुज्जरों की बस्तियां फैली हुई थी। डर के बारे में पूछे जाने पर गीता वर्मा ने कहा कि ड्यूटी जरुरी थी क्योंकि देश को नौनिहालों की सुरक्षा की बात थी।

(यह एमबीएम न्यूज नेटवर्क की खबर है और सिंडिकेशन के तहत प्रकाशित की गई है)

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