फर्जी हैं मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह के 92 पर्सेंट ट्विटर फॉलोअर?

इन हिमाचल डेस्क।। पिछले दिनों कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी पर आरोप लगे कि ट्विटर पर उनके ट्वीट्स के फर्जी रीट्वीट्स होते हैं। वैसे यह फर्जी वाला सिलसिला हिमाचल में भी चल रहा है। 2014 में इन हिमाचल ने बताया था कि किस तरह से मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह के ट्विटर अकाउंट के ज्यादा फॉलोअर रूस और अरब देशों से थे। 7 जुलाई, 2014 को इन हिमाचल ने बताया था कि 11.7K यूजर्स में से कुछ ही यूजर्स असली थे। 10 से ज्यादा यूजर्स फर्जी थे। इनमें कुछ के हैंडल रूस के लोगों के थे तो कुछ अरब के देशों के। भला रूस या अरब के लोग इतनी बड़ी संख्या में हिमाचल के सीएम को क्यों फॉलो करेंगे?

तीन साल बीत गए हैं और अब मुख्यमंत्री के ट्विटर फॉलोअर्स की संख्या 66.6K यानी 66 हज़ार 600 हो गई है। मगर यह इजाफा फर्जी फॉलोअर्स के दम पर ही हुआ है। फर्जी ट्विटर फॉलोअर का पता लगाने वाले टूल ‘ट्विटर ऑडिट’ पर मुख्यमंत्री के हैंडल को डालें तो यह दिखाता है कि सिर्फ 8 पर्सेंट यूजर्स ही असली हैं और बाकी संदिग्ध। नीचे देखें या यहां क्लिक करें:

ट्विटर ऑडिट का एल्गॉरिदम दरअसल 5000 फॉलोअर्स के सैंपल को स्टडी करता है, उनकी ऐक्टिविटी वगैरह को देखता है और फिर इस तरह के नतीजे देता है। इसी आधार पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का ऑडिट स्कोर 37 फ़ीसदी है यानी उनके इतने पर्सेंट फॉलोअर ही असली हैं और बाकी संदिग्ध।

कहां से आए ये फॉलोअर
तीन साल पहले जब हमने वीरभद्र सिंह के ट्विटर फॉलोअर्स का मुआयना किया था, उसमें रूस और अरब के लोग मिले थे। इन लोगों ने एक भी ट्वीट नहीं किया था और बस लोगों को फॉलो किया हुआ था। साफ था कि ये फर्जी प्रोफाइलें थीं।

मुख्यमंत्री के फॉलोअर्स पर जाकर स्क्रॉल करें तो आखिर में रूसी फॉलोअर दिखने शुरू हो जाते हैं।

और इस बार जब हमने बढ़े हुए फॉलोअर्स की वजह जानने के लिए उनके फॉलोअर्स देखे तो पता चला कि असंख्य फर्जी प्रोफाइलों ने उन्हें फॉलो किया हुआ है। इन प्रोफाइलों के नाम अजीब हैं, प्रोफाइल पिक्चर नहीं लगी है, एक भी ट्वीट नहीं किया गया और सिर्फ बड़ी हस्तियों को फॉलो किया गया है। आप खुद उनके फॉलोअर्स वाले टैब पर क्लिक करके स्क्रॉल करके देख सकते हैं या फिर यहां क्लिक करें. ट्विटर ऑडिट जैसे टूल गलती कर सकते हैं मगर आप खुद अपनी आंखों से देख सकते हैं कि फॉलोअर असली हैं नकली।

इन सभी ने कोई भी ट्वीट नहीं किया है, सिर्फ वीरभद्र समेत कुछ अन्य राजनेताओं को फॉलो किया है।

एक्सपर्ट बताते हैं कि दरअसल ये फेक प्रोफाइल्स हैं और इन्होंने जिन लोगों को फॉलो किया हुआ है, उन लोगों ने दरअसल फॉलोअर्स खरीदे हैं। यानी बहुत सी एजेंसियां ऐसी हैं जो ऐसी बॉट्स और फर्जी प्रोफाइल्स बनाती हैं और फिर आपको फॉलोअर्स बेचती हैं। इसीलिए वीरभद्र सिंह के इन फर्जी फॉलोअरों की फॉलो लिस्ट चेक करें तो इन्होंने कई नेताओं और पॉलिटिकल पार्टियों को फॉलो किया है। यानी इन सभी लोगों और पार्टियों ने फॉलोअर खरीदे हैं।

ऐसे हैं ये संदिग्ध ट्विटर हैंडल

पिछली बार तो हमने ट्वीट करके मुख्यमंत्री से पूछा था कि रूस के फॉलोअर्स पर उनका क्या जवाब है मगर उत्तर नहीं आया था। कहने को कहा जा सकता है कि मुझे क्या पता कहां से फॉलोअर आए और फर्जी फॉलोअर खरीदने की बातों को झूठा भी बताया जा सकता है। मगर फेसबुक लाइक्स खरीदना और ट्विटर फॉलोअर खरीदना कोई छिपी हुई बात नहीं है और खासकर हर पार्टी के नेता इस काम करते रहे हैं। हाल ही हिमाचल सरकार के एक मंत्री के पेज के लाइक रातो-रात 5 हजार से 5 लाख हो गए थे। पेड प्रमोशन करके जेनुइन लाइक्स भी इतनी जल्दी नहीं आ सकते।

इसमें मुद्दा कोई और नहीं, बस नैतिकता का है। बाकी चाहे कोई लाइक्स खरीदे या पेड प्रमोशन करे यह उसका मामला है। मगर फर्जी लाइक्स खरीदने का मतलब क्या है? इसका एक ही मतलब है कि आप माहौल बनाना चाहते हैं कि मेरे इतने फॉलोअर हैं। आपका इरादा असली लोगों तक पहुंच बनाने का, उनसे जुड़ने का नहीं है। अगर किसी को इसमें ही सुख मिलता हो तो यही सही।

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