बेघर हुए लोगों का आरोप- छोटी जाति का बताकर नहीं दी मंदिर में शरण

कांगड़ा।। पालमपुर में एक ऐसा मामला सामने आया है, जो हिमाचल प्रदेश जैसे पढ़े-लिखे राज्य के लिए शर्म का विषय है। दरअसल ठाकुरद्वारा के पास वन विभाग की जमीन में अवैध रूप से रह रहे कुछ लोगों की झुग्गियों को वन विभाग ने हटा दिया। ऐसे में ठंड के मौसम में बेघर हुए लोगों ने एक मंदिर से शरण मांगी। मगर इन लोगों का कहना है कि उनके ‘छोटी जाति’ से होने के कारण उन्हें शरण नहीं मिली और उनका सामान भी फेंक दिया गया।

 

इस खबर को ‘हिमाचल अभी-अभी’ पोर्टल ने प्रकाशित किया है। हालांकि इसमें यह नहीं बताया गया है कि मंदिर कौन सा था और मंदिर कमेटी का इन आरोपों पर क्या कहना है। मगर यह लिखा गया है कि ‘रामनगर कॉलोनी के पास बसे ये लोग मुलथान (कांगड़ा जिला) के हैं। वन विभाग ने 6 में से चार झोपड़ियों को गिरा दिया और दो को आज गिराया जाना है। लोगों ने मंदिर से शरण मांगी मगर उनहें नहीं दी गई। लोगों का कहना है कि एक रात गुजारने के लिए पूछा गया था मगर मंदिर कमेटी ने यह कहकर मना कर दिया कि आप छोटी जाति के हो और मंदिर में रखा सामान भी फेंक दिया।’

 

पोर्टल ने इसका एक वीडियो भी शेयर किया है। सुनिए, क्या कहना था लोगों का-

हालांकि अच्छी बात यह है कि एक व्यक्ति ने आगे आकर अपने घर में इन्हें अपने यहां शरण दी। अवैध कब्जे करना गलत है और उससे भी ज्यादा गलत विभाग का पहले खामोश बैठे रहकर सर्दियों के मौसम में लोगों को बेघर कर देना। हालांकि यह कार्रवाई हाई कोर्ट के आदेश पर हुई है मगर सवालों के घेरे में आ गई है, क्योंकि कब्जे हटाने आई टीम के पास जमीन की निशानदेही से संबंधित दस्तावेज नहीं थे और इस बाबत शिकायत लोगों ने लिखित रूप से डीसी कांगड़ा से की है।

 

जैसे ही टीम कब्जे हटाने के लिए मौके पर पहुंची तो लोगों ने विरोध शुरू कर दिया। उनका कहना था कि वह पिछले 40 साल से यहां रह रहे हैं और बच्चों की परीक्षाएं सिर पर हैं। इस दौरान काफी देर तक हंगामा चलता रहा और बिजली बोर्ड के कर्मचारियों की ओर से कनेक्शन काटने के बाद वन विभाग ने कब्जों को तोड़ दिया।

 

डीएफओ का कहना है कि बेघर हुए लोग कहां रहेंगे, यह देखना प्रशासन का काम है। लेकिन अहम सवाल यह है कि हमारे समाज को क्या हुआ है कि इंसान-इंसान में भेदभाव अब भी बरकरार है। बेघर हुए लोगों को मंदिर में रात गुजारने की इजाजत न देना अमानवीय है।

 

इस मामले की जांच की जानी चाहिए और अगर घटना सच है तो प्रशासन को कार्रवाई करनी चाहिए। मगर समाज के तौर पर यह सभी के लिए शर्म की बात है कि हमारे बीच ऐसे लोग मौजूद हैं जो आज भी अपनी झूठी शान के लिए दूसरों को अपमानित करते हैं।

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