ये पत्रकार सवाल न उठाता तो गुड़िया को इंसाफ नहीं मिल पाता

शिमला।। जिस समय हिमाचल प्रदेश पुलिस कोटखाई रेप ऐंड मर्डर केस की जांच ही कर रही थी, उस समय शिमला के एक पत्रकार ने कुछ सवाल खड़े किए थे। इस पत्रकार ने जांच के नाम पर की जा रही औपचारिकता पर सवाल खड़े किए थे। बाद में जब हिमाचल प्रदेश पुलिस ने मामले को सुलझाने का दावा किया था, तब इसी पत्रकार ने पुलिस की थ्योरी कि धज्जियां उड़ा दी थीं। ये पत्रकार हैं- नरेंदर चौहान।

पुलिस के दावों पर सवाल खड़ी करती नरेंदर चौहान की एक फेसबुक पोस्ट वायरल हो गई थी और इन हिमाचल ने भी उसे शेयर किया था। इसी के बाद पूरे प्रदेश, खासकर शिमला में पुलिस की कार्रवाई के प्रति असंतोष पैदा हुआ था और बाद में हुए आंदोलन के बाद सरकार को मामला सीबीआई को सौंपना पड़ा था। लंबी जांच के बाद सीबीआई साइंटिफिक सबूत के आधार पर एक संदिग्ध को पकड़ने में सफल हुई है, जिसका डीएनए सैंपल गुड़िया के शव से मिले एविडेंस से मैच हो गया है।

खास बात ये है कि नरेंदर ने अपनी उस समय लिखी पोस्ट में जो पॉइंट उठाए थे, जिन बातों के आधार पर आईजी जहूर जैदी की थ्योरी पर सवाल उठाए थे, सीबीआई भी अब तक उन सवालों के जवाब नहीं दे सकी है। सीबीआई जांच पर नरेंदर का क्या कहना है, वह संतुष्ट हैं या नहीं, यह जानने के लिए आखिरी हिस्से पर जाएं। पहले पढ़ें, पुलिस की थ्योरी पर सवाल उठाते हुए नरेंदर ने किया लिखा-

“जैदी साहब आपकी प्रेस कांफ्रेस के अनुसार गुडिया का बलात्कार पांच लोगों ने उसी जगह किया जहां उस मासूम का शव मिला था। अगर यह कहानी सही है ताे प्रदेशवासियों को यह भी बताऐं कि स्कूल से उस स्पाट की दूरी कितनी है जहां से गुडिया का शव बरामद हुआ था । गुडिया ने अगर गाडी में लिफ्ट ली तो गाडी से स्थान पर पंहुचने में कितना समय लगा होगा।

साहब आप भी अपनी सरकारी गाडी से वहां गए और आपकी कार के पीछे पीछे मैं भी अपनी कार से स्पाट तक पंहुचा । मुझे स्कूल के पास से स्पाट तक पंहुचने में दस मीनट लगे अगर शक है तो मैं दोबारा आपके साथ चलने को तैयार हूं। चार बजे भी अगर गुडिया ने गाडी में लिफ्ट ली तो ज्यादा से ज्यादा आरोपियों के साथ उस स्थान तक पहुचनें में आधा घंटा लगा होगा। चलिए मान लेते हैं पाचं बज गए होगें। तो श्रीमान जी पांच बजे आज कल कितना उजाला होता है यह भी ख्याल करिए। चलिए उजाला था या अंधेरा अगर यह भी मायने नहीं रखता तो जनाब जरा सपाट को फिर से एक बार देख लिजिए फोटो डाल रहा हूं।


सड़क से महज सौ या दो फीट की दूरी पर जहां आप खोज बीन कर रहे है यहां अपराधी इतने खुले व सड़क के करीबी स्थान पर गुडिया का बलात्कार करते? शायद आपने गौर नहीं किया होगा साहब स्पाट पर जब आप छानबीन कर रहे थे तो स्पाट के पास से ही नेपाली मजदूर की आवाज स्पष्ट सुनाई दे रही थी। मतलब स्पाट के नजदीक ही अस्थायी रिहाइश हैं। चलिए आप पुलिस विभाग के तेज तरार कुशाग्र बुद्वि वाले जांच अधिकारी है इस लिए मान लेता हूं कि गुडिया के साथ ज्यादती वहीं हुई और जिस दिन गुडिया लापता हुई उसी रात को उसकी मौत हो गई जैसा कि आपके अनुसार गुडिया की पोर्स्टमाटम रिपोर्ट बताती है। तो कृपा कर यह सपष्ट करने की जहमत उठा दिजीए कि गुडिया के शव को दो दिनों में जंगली जानवरों ने क्यों नहीं नोचा।

मंगलवार को जीन तीन लोगों को आप बडे फिल्मी अंदाज में सबसे पहले हिरासत में लेकर अज्ञात स्थान पर उडन छू हुए उसकी वजह क्या थी। क्या नेपाली मजदूरों के लिए कोई भी स्थानीय व्यक्ति पुलिस के चंगुल में फंसना चाहेगा । यही नहीं अभी ऐसे कई सवाल है जिनका ज्वाब मिलना लाजमी है आपके लिए भी और हमारे लिए भी । मसलन गुडिया की गुम हुई जुराब कहां है। गुडिया के अंत्रवस्त्र के टुकडे किसने किए इत्यादी । साहब आप दोनों से मैने और मेरे साथियों ने स्पाट पर व विश्राम गृह में भी बात करने की कोशिश की थी लेकिन बाने बात करने का आशवासन देकर हमसे दूरी बनाते हुए गाडी आगे बढा दी ।कोई बात नहीं आप बहुत बडे व जिम्मेवार अधिकारी है। मुझे व मेरे पत्रकार साथियों को इस बात का कोई मलाल नहीं कि आपने हमसे बात नहीं की। हो सकता है आप छानबीन को गोपनीय रखने का प्रयास कर रहे हों। जनाब यह लोकतंत्र है यहां ज्वाब देयी तय है आपकी भी और मेरी भी।

हो सकता है मेरी इस पोस्ट के खिलाफ की कानून की कोई धारा मेरे गिरेबान तक पंहुचती हो तो जरूर पंहुचे लेकिन कलम का सिपाही हूं । जब तक गुडिया के हत्या की निष्पक्ष जांच या संतोष जनक परिणाम नहीं मिल जाते मैं सवाल उठाता रहूंगा। यही मेरा काम है । उम्मीद है कि गुडिया को इंसाफ दिलाने की इस जंग में आप हर पहलू को निष्पक्षता व बिना किसी प्रभाव व दबाव में काम करते हुए दूध का दूध पानी का पानी करेंगे। आपने सवालों के ज्वाबों के साथ आपकी आगामी जांच व उनके परिणामों के इंतजार में- नरेंद्र चौहान।”

Image: FB/Narender Chauhan

नरेंदर चौहान ने अब एक बार फिर से पोस्ट डाली है, इसमें वह सीबीआई की जांच से संतुष्ट नजर आते हैं। वह यह भी बताते हैं कि सीबीआई की जांच पर जो लोग सवाल उठा रहे हैं, वह सोशल मीडिया में फैली अफवाहों के आधार पर बनी अवधारणों से प्रभावित हैं। “सी बी आई पर हमारे संदेह की वजह क्या है?” शीर्षक वाली पोस्ट में वह लिखते हैं-

“मरहूम गुडिया की निर्मम हत्या के आठ महीने बाद सी बी आई ने डी एन ए जैसे पुख्ता सबूत का हवाला देते हुए एक युवक को गुडिया के असल गुनेहगार होने का खुलासा किया है। हालांकि सी बी आई साइंटिफिक एविडेंस व डीएनए जैसे मजबूत सबूतों के दम कर मामले के सुलझाने का दावा कर रही है लेकिन हमारा मन सी बी आई के दावे पर विशवास करने को तैयार नही हैं। इसकी वजह क्या है? हमारे जहन में अभी भी कई सवाल है जिनके जवाब सी बी आई ने भी नहीं दिए हैं। मसलन मरहूम गुडिया का शव जिस हालत में मिला वह अकेला शख्स कैसे कर सकता है? क्या गुडिया के साथ सामूहिक दुष्कर्म नहीं हुआ ? गुडिया की पोस्टमार्टम से संबंधित जो खबरें छपी उनमें कितनी सच्चाई थी?

हो सकता है कि सी बी आई इसमें एक या दो और गिरफ्तारियां करें तो शायद हमारे कई सवालों के जवाब मिल जाए ।लेकिन अब बात करते हैं हमारे जहन में उठ रहे उन अन्य सवालों की जो हमें सी बी आई की सफलता को स्वीकार करने से रोकते हैं। मसलन हम ऐसा क्यों यह मान रहे हैं कि इस अपराध को रसूखदार लोगों ने ही किया है कोई चिरानी ऐसा संगीन अपराध नहीं कर सकता ? इसमें कोई शक नही कि गुडिया हत्या कांड को जनांदोलन में परिवर्तित करने में मीडिया व सोशल मीडिया ने जबरदस्त काम किया । जिसकी वजह से ही मामला सी बी आई तक पंहुचा और पांच निर्दोष लोग इस मामले में सूली चढ़ने से बच गए। लेकिन इस अविशवसनीयता की वजह भी सोशल मीडिया व मीडिया ही बनी इस बात से भी इंकार नहीं किया जा सकता । कुछ स्थानीय युवाओं के फोटो सोशल साइट पर वायरल होने से लेकर आई जी जहूर जैदी की निराधार प्रेस कांफ्रेंस व उसके बाद पैसों की लेन देन की खबरों ने इस मामले को हाई-प्रोफाइल बना दिया। रही सही कसर पुलिस कसटडी में पूछ ताछ के दौरान सूरज की हत्या ने पूरी कर दी।

हमें याद रखना होगा कि आई जी जहूर जैदी समित उनकी पूरी टीम के सलाखों के पीछे पंहुचने का कारण सूरज की कसटोडियल डेथ रही न की अपराधियों को बचाने या लेन देन का कोई मामला। वे आज भी जांच के दौरान बरती गई लापरवाही ,असफलता व जल्दबाजी का खामियाजा ही भूगत रहे हैं । लेकिन सोशल मीडिया व मीडिया ने इस मामले को जैसे पेश किया उससे हमारे मन मस्तिष्क में गुडिया के गुनाहगारों की छवि रसूखदार बिगडैल नशेडियों की बनती रही। जिसका नतीजा यह है कि आज हम यह मानने को तैयार नहीं है कि गुडिया का हत्यारा मामूली मजदूर भी हो सकता है।

यह सही है कि सी बी आई को अभी इस मामले में दूध का दूध पानी का पानी करना बाकी है लेकिन डी एन ए के आधार पर गुडिया के एक गुनेहगार तक पंहुचना भी बडी उपलब्धि है। अगर इस मामले में हिमाचल पुलिस द्वारा पकडे गए व छोडे गए लोग सही मायने में निर्दोष है तो कल्पना करिए इन पर हुए ज़ुल्मों के दौरान ये लोग व इनके परिजन पीडा व परेशानी के किस दौर से गुजरे होंगे। यह मेरी व्यक्तिगत सोच है । उम्मीद करें की जल्द ही सी बी आई मामले से जुडे हर उस सवाल के जवाब दे जो हम सभी के मन में अब भी सुलग रहे हैं।”

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