इन हिमाचल डेस्क।। हिमाचल प्रदेश से दिल्ली के लिए दिन और रात के रूटों पर कई बसें चलती हैं। डीलक्स, सेमी डीलक्स और ऑर्डिनरी बसों के ड्राइवर और कंडक्टर बड़ी संख्या में दिल्ली पहुंचते हैं। जो बसें सुबह दिल्ली पहुंचती हैं वे शाम को दिल्ली से हिमाचल के लिए चलती हैं और जो शाम को पहुंचती हैं वे सुबह हिमाचल के लिए रवाना होती हैं। फिर बस का यह स्टाफ कहां आराम करता है, कहां नींद पूरी करता है? साथ ही एक सवाल यह भी उठता है कि इतनी सारी बसों को पार्क कहां किया जाता है।
जो लोग दिल्ली में मंडी हाउस से होकर गुजरते हैं, वे देखते होंगे कि कुछ बसें तो वहां खड़ी होती हैं। बाकी बसें दरअसल जगतपुर गांव में खड़ी होती हैं, जहां पार्किंग स्पेस भी है और ड्राइवर-कंडक्टर आराम भी कर सकते हैं। सवारियों को आईएसबीटी उतारने के बाद अधिकतर बसें जगतपुर ही जाती हैं।
जगतपुर गांव यमुना नदी के तट पर ही है और बरसात के दिनों में कई इस गांव में बाढ़ का पानी भर जाता है। यहीं पर एचआरटीसी बसों के लिए एक पार्किंग स्पेस है और पास में ही ड्राइवरों-कंडक्टरों के ठहरने का इंतजाम। नीचे देखें जगतपुर में खड़ी बसों का एक वीडियो।
अब हिमाचल प्रदेश के परिवहन मंत्री गोविंद सिंह ठाकुर ने फेसबुक पर एक पोस्ट डालकर कहा है कि कुछ समय पहले उन्होंने इस जगह का दौरा किया था तो पाया था कि ड्राइवर और कंडक्टर खराब हालत में रह रहे थे। उन्होंने लिखा है कि अब तक यहां करीब 20 लाख रुपये खर्च करके सुविधाओं को बढ़ाया गया है।
परिवहन मंत्री ने कहा है कि जब उन्होंने दौर किया था अधिकारियों को इनके विश्राम स्थल में एयरकंडीशनर, दीवारों की मुरम्मत और शौचालय के निर्माण के निर्देश दिए थे।
दिल्ली से हिमाचल के कुछ रूट बहुत लंबे हैं और 12 से 14 घंटों का लंबा सफर तय करना पड़ता है। इस दौरान हम यात्री तो आराम से नींद पूरी कर सकते हैं मगर ड्राइवर और कंडक्टर को जागते हुए और पूरा ध्यान सड़क पर रखकर गाड़ी चलाते हुए काटना पड़ता है। ऐसे में जरूरी है कि उनके आराम के लिए सही इंतज़ाम किए जाएं ताकि वे आराम से नींद पूरी कर सकें। इसलिए जरूरी है कि अधिक से अधिक सुविधाएं उनके विश्राम स्थल में दी जाएं।