हिमाचल सरकार फिर लेगी 700 करोड़ रुपये का कर्ज

शिमला।। हिमाचल प्रदेश की कांग्रेस सरकार चुनावी साल में चौथी बार कर्ज लेने जा रही है। पहले ही भारी-भरकम कर्ज में डूबी सरकार अब 700 करोड़ रुपये का कर्ज लेगी। सरकार ने पिछले तीन महीनों में ही 2000 करोड़ रुपये का कर्ज लिया है। जुलाई में 500 करोड़, अगस्त में 800 करोड़ रुपये और अब सितंबर में 700 करोड़ का कर्ज लिया जाएगा। इस तरह से हिमाचल प्रदेश पर अब कुल अनुमानित कर्ज 43 हज़ार करोड़ रुपये (440000000000) से ज्यादा होने जा रहा है।

 

खास बात यह है कि सरकार अपने खर्च काबू नहीं कर पा रही है, चुनावी साल में घोषणाओं पर घोषणाएं कर रही है। ध्यान यह भी देना है कि इतना सारा कर्ज सरकार कैसे चुकाएगी, इसकी भी कोई ठोस योजना नजर नहीं आ रही है। एक तरफ तो सरकार अपने चहेते कारोबारियों की देनदारी माफ कर रही है, दूसरी तरफ कर्ज के आवेदन कर रही है।

 

हिमाचल प्रदेश सरकार की कमाई कम है और खर्च ज्यादा हैं। अब आमदनी के नए तरीके ढूंढने के बजाय सरकारें यहां पर लोन लेने पर फोकस करती रही हैं। ऐसा नहीं है कि मौजूदा कांग्रेस सरकार ही कर्ज ले रही है। बीजेपी सरकार के दौरान भी कर्ज पर कर्ज लिए गए थे। आज देखें तो हिमाचल के हर व्यक्ति के ऊपर अगर 57 हज़ार रुपये (लगभग) कर्ज है तो 2011-12 (जब बीजेपी सरकार थी) यह कर्ज लगभग 40 हज़ार रुपये प्रतिव्यक्ति था। अब प्रतिव्यक्ति यह कर्ज आपको सिर्फ 10 हज़ार रुपये ही ज्यादा लग सकता है मगर कुल मिलाकर पूरे प्रदेश के लिए अब यह बोझ बन चुका है। यानी सरकार का कार्यकाल शुरू होने के वक्त प्रदेश पर जितना कर्ज था, आज वह कर्ज 40 प्रतिशत बढ़ गया है।

 

ध्यान देने की बात यह भी है कि इस लोन पर सरकार को ब्याज भी देना पड़ता है। मगर पिछले दिनों हिमाचल प्रदेश सरकार ने अपने चहेते कारोबारियों का टैक्स माफ कर दिया था। सोने के इन कारोबारियों की प्रदेश सरकार पर करोड़ों की देनदारी बनती थी।

इससे पता चलता है कि हमारी सरकारें कितनी गैर-जिम्मेदारी से काम करती हैं। पिछले कई दशकों से प्रदेश की इनकम बढ़ाने की ठोस योजना लाने में ये सरकारें नाकाम रही हैं। और अब इस फाइनैंशल इयर में ही सरकार ने 3500 करोड़ रुपये का लोन ले लिया है। नेता अपनी राजनीति के लिए बिना प्लानिंग खर्च करते हैं और खामियाजा पूरे प्रदेश की जनता को भुगतना पड़ता है। सरकार की फिजूलखर्ची और वित्त प्रबंधन में गड़बड़ी पर सीएजी ने भी सवाल उठाए थे। मगर नेता हैं कि हिमाचल के भविष्य को गिरवी रखने से बाज़ नहीं आ रहे।

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