मदारी के करतब को बलि का जुलूस बताकर फैला दी अफवाह

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इन हिमाचल डेस्क।। मेलों के दौरान अक्सर मदारी गर्दन काटकर दोबारा जोड़ने के करतब दिखाते हैं। मगर वे कहते हैं कि हम खून नहीं दिखाएंगे क्योंकि हमें ऐसी इजाजत नहीं। दरअसल वे इस तरह से भ्रम पैदा करते हैं कि तमाशवीनों को लगता है कि वाकई गर्दन काटी गई है। यही तो कला है जादू के खेल की। मगर इस तरह के जादू की ट्रिक को अगर लोग यकीन करने लग जाएं तो क्या होगा?

ऐसा ही वाकया सामने आया है राजस्थान के भीलवाड़ा जिले से। गंगापुर में नवरात्र मेलों के दौरान मदारी ने करतब दिखाया, चारपाई के निचले हिस्से पर बच्चे के लेटने की जगह बनाई, सफेद चादर बिछाई और ऊपर वाले हिस्से में गर्दन निकाली। ऐसा लग रहा था कि गर्दन काटकर रखी गई है। लेकिन असली रंग देने के लिए उसने रंगों का इस्तेमाल किया और थाली पर लाल रंग लगा दिया और खुद आगे तलवार पर लाल रंग लगाकर चलने लगा। मानो खून लगा हो।

मगर देखते ही देखते शरारती तत्वों ने ये वीडियो बलि का वीडियो का बताकर शेयर कर दिया और लोगों को कोसना शुरू कर दिया। कहा जाने लगा कि अंधविश्वास की हद देखो। मगर अंधविश्वास की हद यह है कि इस वीडियो को शेयर वाले खुद सोशल मीडिया के झूठ पर अंधविश्वास कर बैठे हैं। नीचे देखें यूट्यूब पर शेयर किया गया एक फर्जी वीडियो जिसमें गुमराह करने वाले कैप्शन लगे हैं

क्या कहा राजस्थान पुलिस ने
राजस्थान पुलिस के साइबर सेल ने कल ही इस वीडियो को झूठा करार दिया था और कहा था कि ये करतब था। फिर भी इन हिमाचल ने भीलवाड़ा के गंगापुर पुलिस स्टेशन में इंस्पेक्टर रामवीर जाखड़ से बात की। उन्होंने In Himachal को बताया, “हमने जांच की है और साफ किया है कि ये झूठी और बिना मतलब की बात है। इस तरह के करतब मोहर्रम से लेकर कई तरह के मेलों में दिखाए जाते रहे हैं और ये नरवात्र के दौरान का वीडियो है और जादू का करतब मात्र है।”

उन्होंने ये भी कहा कि इस मामले में अफवाह फैलाने वालों के खिलाफ विधिसम्मत कानूनी कार्रवाई अमल में लाई जाएगी। भीलवाड़ा के एसपी डॉक्टर रामेश्वर सिंह ने भी बलि की बात को गलत बताया। लेकिन सोशल मीडिया के झूठ को फैलाने में हिमाचल के पेज भी पीछे नहीं रहे। राइट फाउंडेशन नाम के एक पेज ने भी इसी तरह का एक वीडियो शेयर किया था, जिसे इस ‘इन हिमाचल’ पर इस खबर के छपने के बाद हटा दिया गया। उस वीडियो पोस्ट का स्क्रीनशॉट नीचे है। इसके नीचे कॉमेंट करते हुए इस पेज ने दावा किया था कि उसकी राजस्थान टीम ने जांच करके इस वीडियो की पुष्टि की है।

झूठा मेसेज फैलाता खुद को समाज सेवी बताने वाले संगठन का पेज

मगर जैसा कि साफ है, अफवाह फैलाना जुर्म है और ऐसा करने पर कार्रवाई भी हो सकती है। इस वीडियो को बलि का वीडियो बताकर शेयर करने वालों की कॉमनसेंस ने काम नहीं किया। यह सच है कि बलि कोई बेवकूफ दे सकता है और कुछ मानसिक रूप से बीमार लोग अंधविश्वास में आकर देते भी हैं। लेकिन कौन सा समाज होगा जो ऐसा करके जुलूस निकालेगा और चुप रहेगा और मीडिया में खबर भी नहीं आएगी? यानी अंधविश्वासी तो हैं, मगर वे लोग जो सोशल मीडिया पर भी सच-झूठ को जांचे बिना अंधविश्वास कर लेते हैं।