सुरेश चम्ब्याल।
स्वास्थ्य क्षेत्र में मूलभूत सुविधाओं के लिए जूझ रहे प्रदेश के लिए इससे शर्मनाक क्या हो सकता है की खुद तो उसकी सरकार बजट का प्रावधान इस क्षेत्र में न कर पाये बल्कि दूसरे सोर्सेज से जो बजट आ रहा हो उसको भी समय से उपयोग न कर पाए। ऐसा उदाहरण कहीं और नहीं बल्कि हिमाचल प्रदेश में ही एक देखने को मिला है। गौरतलब है की भारत सरकार ने निजी एवं सार्वजानिक क्षेत्र की कम्पनियों के लिए कुछ नियम निर्धारित किये हैं। इन नियमों के अनुसार इन उपक्रमों को अपने कुल शुद्ध लाभ में से 2 % कॉर्पोरेट सोशल रिस्पांसिबिलिटी के तहत देश में मूलभूत निर्माण कार्यों और जनहित से जुडी योजनाओं में खर्च करना है।
भारत सरकार समय समय पर यह देखती है की यह उपक्रम कहाँ अपने पैसे को खर्च कर रहे हैं वर्तमान में हिमाचल प्रदेश से भाजपा सांसद शांता कुमार उस कमेटी के चेयरमैन हैं। बतौर शांता कुमार उन्होंने हिमाचल प्रदेश के राजेंदर प्रसाद मेडिकल कालेज टांडा (कांगड़ा) में सराय के निर्माण के लिए NTPC से 2. 5 करोड़ रूपए स्वीकृत करवाये हैं परन्तु विगत छः महीने से कई बार पत्र लिखने के बावजूद प्रदेश सरकार की तरफ से शिलान्यास की तारिख फाइनल नहीं हुयी है। शांता कुमार का कहना है की कितने दुर्भाग्य की बात है की पैसा आने के बावजूद भी सरकार इसके बारे में उदासीन रूख अपना रही है।
डाक्टर राजेंदर प्रसाद मेडिकल कालेज टांडा कांगड़ा |
सूत्रों की माने तो इस कार्य को लटकाने में स्वास्थ्य मंत्री कॉल सिंह का हाथ है। कॉल सिंह नहीं चाहते की भाजपा नेता शांता कुमार को ये क्रडिट मिले की उन्होंने फण्ड का इंतज़ाम करवाया है इसलिए वो इस शिलान्यास कार्यकर्म को ठन्डे बस्ते में डाले हुए हैं। हालाँकि इस बात में कितनी सच्चाई है कहा नहीं जा सकता पर यह दुर्भग्य की बात है की बाहरी संस्था से मिले हुए धन को भी प्रदेश सरकार प्रयोग नहीं कर पा रही है। जो निहायत ही शर्म का विषय है