शांता कुमार के जन्मदिन पर विशेष: बहुत तकलीफ देती है मुझे यह सादगी मेरी…

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  • विवेक अविनाशी

आज हिमाचल प्रदेध के राजनेता शान्ता कुमार का 83वां जन्मदिन है। दो बार हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे शान्ता कुमार का छः दशक का राजनीतिक सफर बिना रुके, बिना झुके निरंतर आगे बढ़ता जा रहा है। देश के राजनीतिक इतिहास में हिमाचल प्रदेश का ज़िक्र शान्ता कुमार के नाम के बिना अधूरा रहता है। राजनीति के इस शिखर-पुरुष को पढ़ना, समझना और महसूस करना उतना मुश्किल नही जितना लोग समझते हैं। दरअसल शान्ता कुमार का राजनीतिक जीवन एक खुली किताब है, जिसके हरेक पन्ने पर देश और प्रदेश के लोगों की खुशहाली के लिए पिछले पांच दशकों में किए गए सैंकड़ों कार्य दर्ज हैं। ज़रूरत तो सिर्फ इन पन्नों को संवेदनाओं भरे दिल से पढ़ने की है।

The Union Minister for Rural Development Shri Shanta Kumar briefing the press on new initiatives on Sector Reforms Programme in Rural Drinking Water Supply, in New Delhi on November 22, 2002 (Friday). The programme is proposed to be extended to Panchayats as part of the Government's effort to ensure supply of safe drinking water to all the habitations by 2004.

शान्ता कुमार देश की किसी भी गंभीर समस्या पर जब भी कुछ चिंतन करते हैं, समाधान वही होता है जो उनका दिल और दिमाग़ तय करता है। दिल्ली में संसदीय सचिवों का मामला उच्चतम न्यायालय में चल रहा था। शान्ता कुमार ने समाचार-पत्र में लेख लिखकर अपना मत व्यक्त किया कि संसदीय सचिव का पद संविधान की मूलभावना के अनुरूप नहीं है, अतः इसे समाप्त किया जाना चाहिए। उन्होंने इस पद को सरकार पर अनावश्यक बोझ भी बताया ।
कुछ ही समय बाद उच्चतम न्यायालय ने निर्णय दे कर संसदीय सचिवों की नियुक्ति को अवैध घोषित कर दिया। इतना ही नही ,देश की चुनाव पद्धति में सुधार को लेकर शान्ता कुमार ने एक बार कहा था, ‘देश की लोकसभा और राज्यों की विधानसभाओं के चुनाव हर पांच साल में एक बार इकट्ठे ही होने चाहिए, इससे खर्च भी कम होगा और राजनीतिक पार्टियां चुनावों की अपेक्षा देश और प्रदेश के विकास की ओर अधिक ध्यान देंगी।’

 

The Prime Minister Shri Atal Bihari Vajpayee is being presented a cheque of Rs. 5.02 crore by Union Minister of Consumer Affairs, Food & Public Distribution Shri Shanta Kumar for earthquake relief on behalf of officers and Public Sector Undertakings of Ministry of Consumer Affairs, Food & Public Distribution in New Delhi on February 1, 2001.

शान्ता कुमार की इस सोच को मूर्त रूप देने का विचार हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने व्यक्त किया है। यह उदाहरण महज़ इस आशय के द्योतक हैं कि राजनीति में दूरदर्शी सोच शान्ता कुमार की शख्सियत का अहम पहलू है। आज राजनैतिक प्रतिद्वंदियों से लड़ना और अनावश्यक तर्क-वितर्क करना राजनीति में फैशन बन गया है, लेकिन राजनीतिक प्रतिद्वंद्वियों को तहज़ीब और सलीके से अपनी बात समझाने का हुनर केवल शान्ता कुमार के पास ही है। ओडिशा में एक जनजातीय व्यक्ति द्वारा अपनी पत्नी की लाश कंधे पर ढोकर ले जाने की घटना से सारा देश आहत था। स्वाभाविक है शान्ताकुमार का भावुक मन भी इस घटना से विचलित हो उठा था। क़लम उठाई और लोगों से सवाल किया, ‘लोग कहते हैं सरकार कहां है, मैं पूछता हूँ समाज कहां है?’ घटना पर टिपण्णी करते हुए लिखते हैं, ‘जिस देश में दधीचि ने पाप के नाश के लिए अपनी अस्थियां तक दे दी उस देश में मानवता का यह अपमान समझ नही आता।’ उनका कहना था, ‘समाज बुरे लोगों के कारण नष्ट होता लेकिन अच्छे लोगों के निष्क्रिय होने से समाप्त होता है।’

इसे शान्ता कुमार की भावुकता समझें या दूरदर्शिता पर यह सत्य है सरकार भी तो समाज ही बनाता है। शान्ताकुमार सादगी भरा जीवन जीते हैं। कई बार शुभचिंतकों के कहने पर कि राजनीति में इतनी सादगी चलती नहीं। शान्ता कुमार भाव-विभोर हो कर कह उठते हैं- कोई तावीज़ ऐसा दो कि मैं चालाक हो जाऊं, बहुत तकलीफ़ देती है मुझे यह सादगी मेरी

शांता उम्र के इस पड़ाव पर अभी भी जन-सेवा कार्यों में तल्लीन हैं। दिर्घायु हों, ऐसी कामना है।

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(लेखक हिमाचल प्रदेश के हितों के पैरोकार हैं और राज्य को लेकर लंबे समय से लिख रहे हैं। उनसे उनकी ईमेल आईडी vivekavinashi15@gmail.com पर संपर्क किया जा सकता है)