‘बूटी’ को लेकर आखिर क्यों बदल रही है पूरी दुनिया की सोच

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पूरी दुनिया का नज़रिया भांग को लेकर बदल रहा है। लातिन अमरीकी देश मेक्सिको में हाल ही में नई सरकार बनी है और वह भांग को मनोविनोद यानी मस्ती के उद्देश्य से इस्तेमाल करने लिए कानूनी रूप से वैध करने की योजना बना रही है। ऐसा ही लक्समबर्ग की सरकार भी कर रही है। न्यूजीलैंड में तो नेता चाह रहे हैं कि भांग का इस्तेमाल किस तरह से होना चाहिए, इसके लिए जनमतसंग्रह करवाया जाए।

जनता और उनकी सरकारों के बदलते नजरिए के बीच ऐसी संभावना दिख रही है कि अन्य देश भी इसी रास्ते पर बढ़ेंगे। लेकिन सवाल उठ रहे हैं कि वे भांग की सप्लाई और इसके इस्तेमाल का प्रबंधन कैसे करेंगे? सवाल यह भी उठता है कि ऐसा क्यों हो रहा है कि कई देश भांग से जुड़े कानूनों को बदल रहे हैं? कई देशों ने तो इसे कानूनी रूप से वैधता दे दी है।

शुरुआत कहां से हुई
साल 2012 में उरुग्वे ने एलान किया था कि वह दुनिया का पहला ऐसा देश बनने जा रहा है जहां भांग का इस्तेमाल वैध होगा। यह कदम इसलिए उठाया गया था कि ताकि वहां पर भांग के कारोबार से जुड़े संगठित अपराधों की कड़ियां तोड़ी जा सकें और इसके कारोबार को सरकारी नियमों के तहत लाकर जवाबदेही तय की जा सके।

इसी साल बाद में वॉशिंगटन और कोलोराडो राज्य अमरीका के शुरुआती ऐसे राज्य बने जिन्होंने भांग को दवा के उद्देश्य से इस्तेमाल किए जाने के अलावा भी अन्य कामों में इस्तेमाल करने को कानूनी इजाजत दी।

पश्चिमी देशों का नजरिया बदल रहा है

जिस समय बराक ओबामा अमरीका के राष्ट्रपति थे, अमरीकी सरकार ने भांग को लेकर संघीय कानून लागू करने में नरमी बरती थी और राज्यों को विकल्प तलाशने की हरी झंडी दिखा दी थी। वॉशिंगटन डीसी और अन्य आठ राज्यों ने मनोविनोद के लिए भांग के इस्तेमाल को वैध करने का समर्थऩ किया है और अन्य राज्यों में इसके इस्तेमाल पर बरती जाने वाली सख्ती भी कम हुई है। वहीं 50 में से 33 राज्यों में मेडिकल उद्देश्यों के लिए दवा के रूप में भांग का इस्तेमाल वैध है।

कहां-कहां नरम पड़ी हैं सरकारें

  • अमरीका के पड़ोसी देश कनाडा ने एक कदम और आगे बढ़ते हुए इसी साल अक्तूबर में पूरे देश में मनोरंजन के मकसद से भांग रखना, खरीदना और बेचना कानूनन वैध कर दिया।
  • अब अमरीका का दूसरा पड़ोसी देश मेक्सिको भी इसी दिशा मे बढ़ता नजर आ रहा है। नए राष्ट्रपति आंद्रे मैनुएल लोपेज ओब्राडोर की सरकार ने एक विधेयक पेश किया है जिसमें भांग को मेडिकल और रीक्रिएशनल इस्तेमाल के लिए वैध करने की व्यवस्था है। यह कदम सरकार उस समय उठा रही है जब देश के सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में भांग पर लगाए गए प्रतिबंध को असंवैधानिक बताया था।
  • अन्य देश भी इस दिशा में आगे बढ़ रहे हैं। ब्राजील, जमैका और पुर्तगाल में हालांकि भांग की बिक्री गैरकानूनी है, मगर थोड़ी मात्रा में भांग रखना अपराध नहीं है।
  • स्पेन में निजी रूप से भांग का इस्तेमाल जायज है जबकि नीरदलैंड में कॉफी शॉप तक में खुलेआम भांग के उत्पादों की बिक्री होती है।
  • अन्य कई देशों में बदलाव हो रहे हैं। ब्रिटेन में डॉक्टरों को इजाजतहै कि वे अपने मरीजों को भांग से बने उत्पाद लेने की सलाह दे सकते हैं।
  • नवंबर से दक्षिण कोरिया ने भी कड़े नियमों के तहत मेडिकल कारणों के लिए भांग के इस्तेमाल की इजाजत दे दी है।
  • मलेशिया में एक युवक को कैनबिस ऑइल बेचने पर मौत की सजा सुनाए जाने पर भांग को लेकर बहस छिड़ी हुई है।
  • इसी तरह से दक्षिण अफ्रीका के सर्वोच्च न्यायालय ने निजी स्थानों पर व्यस्क लोगों को भांग के इस्तेमाल की इजाजत दे दी है।
  • लेसोथो पहला ऐसा अफ्रीकी देश बन गया है जहां पर मेडिकल उद्देश्यों के लिए मैरवाना की खेती लीगलाइज़ कर दी गई है।
  • लेबनान भी ऐसा ही करने पर विचार कर रहा है ताकि अपने अर्थव्यवस्था को रफ्तार दे सके।

मेडिकल यूज़ से बदली सोच

कई जगहों पर मैरवाना ऑइल से मिर्गी से जूझ रहे बच्चों को राहत मिलने का दावा किया गया है।

कई देशों में लोगों के रुख को देखते हुए भांग को वैध करने की दिशा में नरमी बरती गई है। अमरीका और कनाडा में उन बीमार बच्चों की तस्वीरों ने लोगों के दिलों में बदलाव किया, जिनके लिए और कोई दवा काम की साबित नहीं हो पाई। इससे लोगों के विचार बदले और वे मेडिकल उद्देश्यों के लिए भांग के इस्तेमाल के हिमायती हो गए। जैसे कि कई जगह मिरगी के मरीजों को कैनबिस ऑइल दिया गया।

ब्रिटेन में 12 साल के बिली काल्डवेल ने लोगों का नजरिया बदला। गंभीर रूप से मिर्गी से जूझ रहे इस बच्चे को दिया जाने वाला मेडिकल कैनबिस ऑइल जब जब्त कर लिया गया तो उसे अस्पताल में भर्ती करवाना पड़ा। एक महीने बाद ही  आठ साल के एल्फी डिंगले को कैनबिस ऑइल इस्तेमाल करने के लिए खास लाइसेंस दिया गया था। यह बच्चा भी मिर्गी की एक गंभीर किस्म से जूझ रहा है। इस तरह की कई कहानियां हैं।

2012 को छपी खबर के मुताबिक उस समय आठ साल के रहे फॉरेस्ट स्मेलसर को मेडिकल मैरवाना के चलते मिर्गी से राहत मिली थी। Imgae: Facebook/Tanesha Smelser

बड़े स्तर पर चले अभियानों के बाद ब्रितानी सरकार ने कानून बदला और डॉक्टरों को इजाजत दे दी कि वे मरीजों को कैनबिस के उत्पादन खाने का प्रिस्क्रिप्शन दे सकते हैं। अमरीका में कैलिफोर्निया में 1990 से 2000 के बीच मेडिकल यूज के प्रति नरमी दिखाई थी और बाद में मनोरंजन के लिए भांग के इस्तेमाल की इजाजत दे दी। मगर ब्रितानी गृह मंत्रालय कहता है कि उनके यहां मनोविनोद के लिए भांग का इस्तेमाल प्रतिबंधित ही रहेगा। हालांकि कई नेता इस मामले में नरम रुख भी रखते हैं।

मेक्सिको में भांग को लीगलाइज करने का काम इसलिए चलाया जा रहा है ताकि ड्रग्स के खिलाफ चलाए जा रहे अभियान में हो रही हिंसा को कम किया जा सके। वहां भले ही ड्रग गिरोहों के कारोबार में मैरवाना की हिस्सेदारी कम है, मगर इस पर लगे प्रतिबंध ने हालात खराब कर दिए हैं। मेक्सिको ने पहले ही कहा था कि चूंकि उसकी सीमा से लगते अमरीका के राज्य कैलिफोर्निया ने इसके मनोरंजन के लिए इस्तेमाल की छूट दे दी है, ऐसे में उसके लिए कैनबिस के खिलाफ लड़ाई लड़ना मुश्किल होगा।

बाजार में हैं असीम संभावनाएं
पूरी दुनिया में जहां भांग को कानूनी मान्यता देने की तैयारियां हो रही हैं, वहीं लातिन अमरीकी देशों की सरकारें चाहती हैं कि किसान भांग उगाएं ताकि कैनबिस के उभरते हुए व्यापार पर पहले से ही उनकी पकड़ हो जाए। इस दिशा में बड़ी कंपनियों ने भी रुचि दिखाई है। उदाहरण के लिए अल्ट्रिया नाम की कंपनी, जो मार्लबोरो सिगरेट भी बनाती है, उसने कनाडा की एक कैनबिस कंपनी में निवेश किया है।

सिगरेट कंपनियां भी इस कारोबार में उतर आई हैं

अमरीका से सबक लें तो लगता है कि जहां-जहां पहले मेडिकल यूज़ के लिए इजाजत मिलेगी, बाद में वहां धीरे-धीरे भांग को मनोविनोद या मस्ती के लिए इस्तेमाल करने को लेकर भी नरमी बढ़ती जाएगी। इसकी राह में दिक्कत यही है कि मनोरंजन के लिए इस्तेमाल होने वाली भांग को देश अपने स्तर पर इधर से उधर ट्रांसपोर्ट नहीं कर सकते। उन्हें इसके लिए लाइसेंस लेना होगा और इंटरनैशनल नारकोटिक्स कंट्रोल बोर्ड की निगरानी मे यह काम करना होगा।

मोरक्को और जमैका में किसान भले ही कैनबिस उगाने के लिए चर्चित हैं, लेकिन मगर वे उन बाजारों में अपना माल नहीं भेज सकते, जहां इसकी जरूरत है और वह जरूरत स्थानीय सप्लायर पूरी नहीं कर पा रहे। ऐसा ही कनाडा में भी देखने को मिला, जब वहां भांग को लीगलाइज किया गया। इसकी डिमांड स्थानीय उत्पादक पूरी नहीं कर पाए।

(लंदन स्कूल ऑफ इकॉनमिक्स के डॉक्टर जॉन कॉलिन्स के लेख पर आधारित)

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