Update: आखिरकार पुलिस ने सभी एसपी को निर्देश जारी किया है जिसके बाद घटनाओं में कमी आई है। इसलिए, पुलिस को नाम और लिंक सौंपने की योजना हमने त्याग दी है।
पढ़ें क्या कहा है पुलिस ने
बच्चा चोरी की अफवाहों पर आखिरकार हरकत में आई हिमाचल पुलिस।राज्य में बच्चा चोरी की अफवाहों और उसके बाद लोगों से मारपीट…
In Himachal ಅವರಿಂದ ಈ ದಿನದಂದು ಪೋಸ್ಟ್ ಮಾಡಲಾಗಿದೆ ಮಂಗಳವಾರ, ಸೆಪ್ಟೆಂಬರ್ 3, 2019
मूल आर्टिकल-
इन हिमाचल डेस्क।। हिमाचल प्रदेश में बच्चा चोरी की अफवाहें थमने का नाम नहीं ले रही है। कहीं पर मानसिक रोगियों को पीट दिया जा रहा है तो कहीं पर प्रवासी मजदूरों को। कहीं पर मंदिरों के दर्शन करने आए पति-पत्नी को पीट दिया गया तो कहीं पर पर्यटकों को। पुलिस ने अपने चलताऊ से फेसबुक पेजों, जो न वेरिफाइड हैं और न ही उनकी रीच है, वहां पर पोस्ट डालकर अपनी जिम्मेदारी पूरी कर ली है।
मुख्यधारा का मीडिया, जिनमें टीवी और अखबार शामिल हैं, वे भी इस ओर ध्यान नहीं दे रहे। मगर चूंकि ये वीडियो और फर्जी पोस्ट डिजिटल प्लैटफॉर्म पर ज्यादा फैल रहे हैं, इसलिए हमारी जिम्मेदारी बनती है कि ऐसी अफवाहों को एक्सपोज करें। समय-समय पर हिमाचल में फैलने वाली अफवाहों की हमने कमर तोड़ी है। चाहे वो आसमान में हुए रहस्यमय धमाके की हो या फिर चोटी काटने के नाम पर फैले मास हिस्टीरिया की। शिमला के बलग में खुद को शिव अवतार बताने वाले बच्चों को भी हमारे अभियान के कारण ही डॉक्टरी मदद मिल पाई थी। इस बार भी हम अपनी जिम्मेदारी निभाएंगे।
हमने बार-बार अपने मंच के माध्यम से लोगों से अपील की कि वे अफवाहों में न आएं, कहीं से किसी का भी बच्चा चोरी नहीं हुआ है। हमने पुलिस से गुजारिश की अपने मंच से कि वह अभियान चलाए, बयान जारी करे कि लोग कानून अपने हाथ में न लें। मगर शिमला, कुल्लू, मंडी, पालमपुर, बैजनाथ, कांगड़ा, जोगिंदर नगर, फतेहपुर, सरकाघाट- न जाने कितनी जगह लोगों ने बेगुनाहों को पीट दिया गया। जिन थाने में फोन किया, वे कहते कि हमारे यहां से तो कोई बच्चा चोरी नहीं हुआ।
कुछ लोग अन्य राज्यों के वीडियो यहां शेयर कर रहे हैं। कुछ ने ऐसे वीडियो भी शेयर किए हैं जिनमें मां किसी कारण बच्चे को लेकर परेशान है तो उसे भी यह करकर शेयर कर दिया गया कि फलाणी जगह बच्चा चोरी हो गया। बच्चा किसका चोरी हुआ, कोई नहीं जानता। अगर किसी का बच्चा घर से भाग जाए तो उसका भी शक उन बच्चा चोरों पर, जिन्हें किसी ने नहीं देखा। ये हालत है कि अगर किसी दिन वाकई किसी के बच्चे के अपहरण हो जाएगा तो लोग यकीन नहीं करेंगे। भेड़िये और गड़रिये वाली कहानी तो सुनी ही होगी।
यह सिलसिला तबसे शुरू हुआ है, जब कुछ लोगों ने भीड़ इकट्ठा करके कुछ लोगों को धर्म, क्षेत्र के नाम पर पीट दिया था झूठे आरोपों में। पुलिस ने तब भी इस भीड़ के उस्तादों पर कार्रवाई नहीं की थी और हिमाचल में इतने सारे मामले हो गए बेकसूरों को पीटने के, और अब भी एक भी हुड़दंगी पर मामला नहीं चला। इससे भीड़ की हिम्मत बढ़ गई।
अगर पुलिस बेकसूरों की धुनाई करने वालों को पकड़ती तो यह नौबत ही न आती। अगर सोशल मीडिया पर हम यानी इन हिमाचल टीम के सदस्य इतने सारे अफवाहों वाले वीडियो देख सकते हैं तो पुलिस को क्यों नहीं दिखते? साइबर सेल का क्या काम है? कुछ पुलिसकर्मी भी फेसबुक पर ऐसे वीडियो शेयर करते नजर आ रहे हैं जिन्हें प्रामाणिक नहीं कहा जा सकता।
इस तरह का कॉन्टेंट शेयर करने वाले ये नहीं सोचते कि कल को वे भी फंस सकते हैं या उनका परिजन फंस सकता है। गाजियाबाद में एक महिला को इसलिए पीट दिया गया क्योंकि उसका पोता गोरा था। कल आपकी मां के साथ भी ऐसा ही हो सकता है।
हम तो किसी पर कार्रवाई कर नहीं सकते। कार्रवाई करना पुलिस का काम है। मगर फिर भी, हम अब लिस्ट बनाने जा रहे हैं जिसके तहत जो कोई आधी-अधूरी जानकारी के बच्चा चोरी को लेकर भ्रामक पोस्ट शेयर करेगा, उसकी आईडी, स्क्रीनशॉट, पोस्ट का लिंक सेव किया जाएगा। इसके साथ ही कहीं पर लोगों की पिटाई का वीडियो, फेसबुक लाइव करने वालों की भी जानकारी इकट्ठा की जाएगी ताकि उसे हिमाचल पुलिस को सौंपा जाए।
बतौर नागिरक, यह हमारा काम होगा। आगे का काम पुलिस का होगा जिसकी जिम्मेदारी घटना हो जाने के बाद ही कोई ऐक्शन लेना नहीं बल्कि प्रिवेंटिव मेज़र्स यानी एहतियाती कदम उठाना भी है। आप यानी हिमाचल प्रदेश वासी भी इस मुहिम में शामिल हो सकते हैं। व्हाट्सएप ग्रुपों के अंदर क्या हो रहा है, इसे हम नहीं देख सकते। मगर फेसबुक पर ऐसे कॉन्टेंट को पकड़ना बेहद आसान है। अगर आपकोभी कोई अफवाह वाला या आधी-अधूरी जानकारी वाला पोस्ट या वीडियो दिखे तो हमारे फेसबुक पेज पर मेसेज करें या inhimachal.in @gmail.com पर ईमेल करें।
शुक्रिया।
टीम इन हिमाचल।