क्या आप जानते हैं ‘बांठड़ा’ क्या होता है? नहीं पता तो जरूर जानें

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इन हिमाचल डेस्क।। आज तो मनोरंजन के कई साधन मौजूद हैं मगर 100-150 साल पहले लोग क्या किया करते थे? उस दौर में स्मार्टफोन, टीवी, रेडियो वगैरह भी नहीं थे। ऐसे में लोकनृत्य, गायन और नाटक आदि वगैरह ही लोगों के मनोरंजन के साधन थे। हिमाचल प्रदेश के मंडी जिले में मनोरंजन का ऐसा ही एक माध्यम था- बांठड़ा।

बांठड़े की पंरपरा ऐसी थी कि लोग तरह-तरह के वेश रचकर मनोरंजन किया करते थे। वे न सिर्फ लोगों का यानी प्रजा का मनोरंजन करते थे बल्कि राजाओं का भी मनोरंजन हुआ करता था। लोगों को स्वांग रचकर हंसाया जाता था और मजेदार संवाद कहे जाते थे। चुटीली बातों के जरिए जो मनोरंजन होता था, उसे लोग खूब पसंद किया करते थे। शाम को बांठड़े का सिलसिला शुरू होता और देर रात तक चलता। इस स्वांग की बातों के जरिए जनता की समस्याओं को भी उठाया जाता था।

आज भी मंडी में बांठड़ा देखने को मिलता है, मगर औपचारिक रूप में। पहले यह आए दिन हुआ करते थे और कलाकार अपनी समस्याओं को रोचक ढंग से राजाओं के सामने रखा करते थे और उनका सामाधान भी हुआ करता था। अब साल में एक बार बांठड़े का आयोजन किया जाता है, वह भी परंपरा को बचाए रखने की कोशिश के रूप में।

अब ग्रामीण अपने स्तर पर बांठड़े का आयोजन करते हैं तो लोग रुचि नहीं लेते। टीवी पर आने वाले सीरियल्स आदि की तुलना में उन्हें यह मनोरंजक नहीं लगता। अब गिने-चुने लोग ही बांठड़े में आते हैं। देव पंरपराओं से जुड़े होने की वजह से ही अब तक यह औपचारिक रूप से ही सही, मगर बचा हुआ है। पंजाब केसरी की यह रिपोर्ट देखें-