- विवेक अविनाशी
नाहन के चौगान मैदान के बिलकुल सामने खड़ा रणजोर पैलेस आज भी सिरमौर रियासत के राजसी वैभव की गौरव गाथा सुनाता है l इस रियासत के अंतिम शासक महाराजा राजेंद्र प्रकाश ने देश की आज़ादी के बाद 13 मार्च ,1948 को भारत संघ में विलय के लिए हस्ताक्षर किये और 15 अप्रैल 1948 को सिरमौर हिमाचल प्रदेश का एक जिला बना।
सन 1800 में सिरमौर रियासत की स्टंप |
नाहन फोर्ट का चित्र 1850 (Source www. wikipedia.org) |
विभिन्न इतिहासकारों के अनुसार सिरमौर रियासत पर 11वीं सदी से लेकर हिमाचल प्रदेश में विलय तक 44 से ले कर 48 राजाओं ने राज किया l सिरमौर का पहला राजा सुभाहंस प्रकाश था। स्वर्गीय परमानन्द शास्त्री ने इन्दुकाव्यम के पांचवें सर्ग से ले कर सातवें सर्ग तक सिरमौर की कथा का वर्णन किया है। उन्होंने अपने इस काव्य में 46 राजाओं का उल्लेख किया है। परमानन्दशास्त्री ने अपने काव्य में नटनी की कथा का भी उल्लेख किया है जिस के श्राप के कारण 11वीं सदी में सिरमौर की तत्कालीन राजधानी सिरमौरी ताल राजा समेत नष्ट हो गयी थी।
इन्दुकाव्य्म की परमानंद जी की हस्त लिखित पांडुलिपि |
इन हिमाचल ,का सोभाग्य है कि यह फोटो प्रति हमारे पाठक सतीश धर ने विशेष रूप से हमें प्रेषित की हैl जो खुद भी एक लेखक हैं लेखक सतीशधर ने स्वर्गीय परमानंद की पुस्तक ‘भारत और भारतीय संस्कृति ‘ का सह-सम्पादन उनके पुत्र रमेश शर्मा के साथ किया है।
1877 में बनाया गया Lytton मेमोरियल |
लेखक हिमाचल प्रदेश के हितों के पैरोकार हैं और जनहित के मुद्दों पर लंबे समय से लिख रहे हैं। इन दिनों ‘इन हिमाचल’ के नियमित स्तंभकार हैं। उनसे vivekavinashi15@gmail.com के जरिए संपर्क किया जा सकता है)