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विक्रमादित्य सिंह ने संकेत तो दिए मगर कहां से चुनाव लड़ेंगी प्रतिभा सिंह?

इन हिमाचल डेस्क।। हिमाचल प्रदेश में उपचुनावों से पहले राजनीतिक कयासों का दौर जारी है। इस बीच शिमला ग्रामीण के विधायक विक्रमादित्य सिंह के एक फेसबुक पोस्ट ने नई चर्चाओं को जन्म दे दिया है। इसमें उन्होंने अपनी मां प्रतिभा सिंह की एक तस्वीर पोस्ट की है और लिखा है- ‘जीत और हार आपकी सोच पर निर्भर करती है, मान लो तो हार होगी ठान लो तो जीत होगी।’उन्होंने ये बातें उस समय पोस्ट की हैं जब उनके पिता वीरभद्र सिंह के निधन से खाली अर्की विधानसभा सीट पर उपचुनाव होना है और साथ ही मंडी लोकसभा सीट पर भी, जहां से प्रतिभा सिंह दो बार सांसद रह चुकी हैं। राजनीतिक पंडितों का मानना है कि विक्रमादित्य के पोस्ट से ऐसे संकेत मिल रहे हैं कि प्रतिभा सिंह ने चुनाव लड़ने का मन बना लिया है। हालांकि यह अभी तक साफ नहीं है कि वह अर्की से चुनाव लड़ेंगी या मंडी से।

FB/Vikramaditya Signh

क्या चाहती है कांग्रेस
हिमाचल प्रदेश में जल्द ही एक लोकसभा और तीन विधानसभा सीटों पर उपचुनाव होने है। कांग्रेस चाहती है कि इन उपचुनावों में जीत हासिल करके 2022 के विधानसभा चुनावों से पहले बीजेपी को एक झटका दिया जाए। ऐसा करके कांग्रेस मनोवैज्ञानिक बढ़त हासिल करके यह संदेश देना चाहेगी कि प्रदेश की बीजेपी सरकार से लोग खुश हैं।

कांग्रेस चाह रही है कि अर्की और मंडी, दोनों में से एक जगह पर प्रतिभा सिंह उतरेंगी तो सहानुभूति वोट मिलने से उनकी जीत की संभावनाएं बढ़ जाएगी।

कहां से चुनाव लड़ेंगी चुनाव?
‘इन हिमाचल’ पर कुछ समय पहले प्रकाशित एक राजनीतिक विश्लेषण में कहा गया था कि अगर ‘वफादारियां बनी रहीं तो हिमाचल में कांग्रेस का पावर सेंटर वीरभद्र परिवार ही रहेगा।‘ ऐसा इसलिए क्योंकि विक्रमादित्य भले पहली बार विधायक होने के कारण कम अनुभवी हों, मगर उनकी मां प्रतिभा सिंह पार्टी की वरिष्ठ नेत्री हैं और दो बार लोकसभा में मंडी का प्रतिनिधित्व कर चुकी हैं। अगर वीरभद्र समर्थक नेता और विधायक उनके साथ आते हैं तो कांग्रेस की ओर से सीएम कैंडिडेट बनने की चाह देख रहे कई नेताओं की उम्मीदों पर पानी फिर जाएगा।

राजनीतिक जानकारों का मानना है कि प्रतिभा सिंह अर्की सीट से चुनाव नहीं लड़ना चाहेंगी क्योंकि अगर वो जीतती हैं तो ऐसे सदन में पहुंचेंगी जहां उनकी पार्टी विपक्ष में है और मुकेश अग्निहोत्री कांग्रेस विधायक दल के नेता हैं। अब कांग्रेस अचानक अग्निहोत्री को हटाकर प्रतिभा सिंह को तो जिम्मेदारी देगी नहीं।

ऐसे में प्रतिभा सिंह अगर चाहती हैं कि 2022 के विधानसभा चुनावों में वह सीएम कैंडिडेट या फिर संभावित मुख्यमंत्री के तौर पर उभरें तो अर्की से विधायक बनने की जगह मंडी से लोकसभा के लिए चुनना उनकी प्राथमिकता होगा। मंडी चूंकि प्रतिभा के साथ-साथ वीरभद्र सिंह की भी लोकसभा सीट रही है, इसलिए यहां से भी उन्हें सहानुभूति वोट मिलना तय है। फिलहाल बीजेपी ने भी कोई चेहरा घोषित नहीं किया है जिससे आकलन किया जाए कि उसका कैंडिडेट कितना दमदार होगा।

लोकसभा उपचुनाव में उतरने के साथ प्रतिभा सिंह का सक्रिय राजनीति में आगमन होगा और इससे वीरभद्र समर्थक फिर से लामबंद होंगे। अगर उन्हें जीत मिल जाती है तो इससे उनका क़द और बढ़ जाएगा। पार्टी की सीनियर नेता और सांसद होने के कारण  2022 के विधानसभा चुनावों तक वह इस स्थिति में होंगी कि कांग्रेस की ओर से सीएम दावेदार बन जाएं। इस तरह वह पार्टी आलाकमान को भी संदेश दे पाएंगी कि प्रदेश में ‘वीरभद्र परिवार का राजनीतिक आधार’ मज़बूत है।

अगर ऐसी स्थिति बनी तो प्रतिभा सिंह 2022 में अर्की विधानसभा सीट से चुनाव लड़ सकती हैं। उस स्थिति में वीरभद्र खेमे के उन सभी लोगों को बैकफुट पर आकर प्रतिभा सिंह के पीछे चलना ही पड़ेगा जो कुछ दिन पहले ‘डिप्लोमेसी की तस्वीरें’ शेयर करके खुद कांग्रेस के संभावित सीएम कैंडिडेट बनने की योजना बना रहे थे।

तो अभी अर्की से कौन?
वीरभद्र परिवार के समर्थक तो चाहते हैं कि अगर प्रतिभा मंडी से लड़ें तो अर्की से वे अपनी बहू और विक्रमादित्य सिंह की पत्नी सुदर्शना सिंह को लड़वाएं। यह एक संभावना तो दिखती है मगर मजबूत नहीं। इसकी वजह यह है कि अभी वीऱभद्र परिवार की ओर से सुदर्शना को राजनीति में लाने के कोई संकेत नहीं मिले हैं। ऊपर से कांग्रेस इसके लिए तैयार हो जाएगी, यह भी पक्का नहीं कहा जा सकता। ऐसी स्थिति में अर्की सीट वीरभद्र परिवार नहीं, बल्कि कांग्रेस का विषय बन जाएगी। यानी यह कांग्रेस को देखना होगा कि यहां से वह किसे उतारती है और उसे जिताने के लिए क्या करती है।

बहरहाल, ये सभी राजनीतिक कयास हैं। आने वाले कुछ ही दिनों के अंदर स्पष्ट हो जाएगा कि कौन कहां से चुनाव लड़ेगा, कहां से नहीं। लेकिन तब तक महफिलों, जमघटों और सोशल मीडिया में चर्चाओं और अटकलों का दौर चलता रहेगा।

‘वफ़ादारियां’ जिंदा रहीं तो वीरभद्र परिवार ही रहेगा कांग्रेस का पावर सेंटर

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