शिमला।। हिमाचल प्रदेश की चारों लोकसभा सीटों पर भाजपा के उम्मीदवारों की रिकॉर्ड अंतर से जीत के बाद बीजेपी के खेमे में जश्न का माहौल है। यह जीत मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर के लिए भी बड़ी मानी जा रही है क्योंकि इसे उनके सवा साल के कार्यकाल का इम्तिहान भी माना जा रहा था। उनके गृह जिले की सीट मंडी पर भी सबकी निगाहें थीं और वहां से बीजेपी के रामस्वरूप शर्मा ने कांग्रेस के आश्रय शर्मा को बड़े अंतर से हराया है।
मंडी सीट पर पैदा हुए हालात जयराम के लिए असहज करने वाले ज़रूर नज़र आ रहे थे, मगर नतीजे ने बता दिया कि यहां को लेकर लगाए जा रहे तमाम कयास गलत थे। इन चुनावों ने बता दिया कि न तो सुखराम ‘चाणक्य’ हैं, जैसा कि कुछ पत्रकार उन्हें लिखते हैं, न ही अनिल शर्मा और उनके परिजनों का अब कुछ बूथों से बाहर प्रभाव बचा है।
मंडी सीट ही नहीं, अन्य सीटों, कम से कम कांगड़ा और शिमला में भी चुनाव मोदी के नाम और जयराम के काम के आधार पर लड़ा जा रहा था। इन सीटों पर भी भाजपा प्रत्याशियों ने जीत के नए रिकॉर्ड बनाए हैं। साथ ही हमीरपुर सीट पर अनुराग की बड़ी जीत के साथ वह अटकलें भी गलत साबित हुई कि पार्टी का एक धड़ा उनके खिलाफ काम कर रहा था।
हिमाचल ने इस बार न सिर्फ 2014 वाले नतीजे दोहराए हैं बल्कि चारों सीटों पर जीत के पिछले आंकड़ों को भी पीछे छोड़ा है। वोट बेशक मोदी के नाम पड़े हैं मगर राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि अगर राज्य सरकार के काम से जनता को असंतोष होता तो भाजपा प्रत्याशियों की जीत का अंतर इतना ज्यादा न होता। बहरहाल, मोदी सरकार को फिर जनादेश मिलने के साथ ही यह भी साफ हो गया कि राज्य में जयराम आराम से सरकार चलाते रहेंगे।