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Friday, September 12, 2025
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शर्मनाक! 17 साल में भी नहीं लग पाए बिजली के तार

शिमला।।

चीन को 1,181 किलोमीटर लंबा गोर्मू-ल्हासा रेलमार्ग बिछाने में सिर्फ 4 साल का वक्त का लगा, मगर चीन से लगते हिमाचल प्रदेश के किन्नौर जिले में 150 किलोमीटर लंबी बिजली की तारें लगाने में ही 17 साल से ज्यादा का वक्त लग गया है। अफसोस, काम अभी भी पूरा नहीं हुआ है।

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सर्दियों में जनजातीय इलाकों में बिजली की सप्लाई बरकरार रहे, इसलिए लिए साल 1997 में राज्य सरकार ने 66 किलोवाट का प्रॉजेक्ट लगाने का फैसला किया। इरादा था कि किन्नौर और लाहौल-स्पीति जिलों के दूर-दराज के इलाकों में बिजली पहुंचाई जाए। मगर अफसोस! अभी तक यह काम पूरा नहीं हो पाया है।

ये सर्दियां भी अंधेरे में कटेंगी

मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह ने हाई लेवल इन्क्वायरी के आदेश दिए हैं। बिजली विभाग का कहना है कि अगले साल मई तक यह काम पूरा कर लिया जाएगा। मगर लोगों की परेशानी का अंदाजा लगाइए, जिन्हें ये सर्दियां भी बिना बिजली के गुजारनी पड़ रही हैं। वहीं मैदानी इलाकों और राजधानी में बड़े कार्यालयों में बैठने वाले आला अफसर और नेता सरकारी बिजली पर हीटर सेंक रहे हैं।

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हिमाचल प्रदेश में गांव-गांव के बच्चे बी.टेक, डिप्लोमा  आईटीआई, एमबीए आदि तकनीकी और प्रफेशनल कोर्स कर रहे हैं। अच्छे स्किल और ज्ञान होने के बावजूद हमारे युवा जानकारी या जागरूकता के अभाव में जॉब के मौकों को मिस कर जाते हैं। इसलिए प्रदेश के युवाओं के लिए विभिन्न सरकारी एवं निजी  क्षेत्रों में नौकरियों की सूचना समय-समय पर ‘इन हिमाचल’ पर उपलब्ध करवाई जाएगी ।  ऐसी पोस्ट्स को कृपया ज्यादा से ज्यादा शेयर करें ताकि ज्यादा से ज्यादा युवाओं को फायदा मिल सके। किसी भी नौकरी के लिए अप्लाई करते हुए कोई दिक्कत आ रही हो या कुछ पूछना हो, तो आप हमारे फेसबुक पेज पर संदेश भेज सकते हैं या inhimachal.in@gmail.com पर ईमेल भेज सकते हैं। हम आपकी पूरी मदद करेंगे।

अब BJYM पदाधिकारी की फेसबुक पोस्ट पर बवाल

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मंडी।।
कांग्रेस विधायक और सीपीएस नीरज भारती के बाद अब भारतीय जनता युवा मोर्चा के एक पदाधिकारी की फेसबुक पोस्ट पर बवाल हो गया है। मामला मंडी जिले के जोगिंदर नगर का है, जहां पर BJYM के मंडल अध्यक्ष पर ब्लॉक कांग्रेस कमिटी के अध्यक्ष जीवन ठाकुर ने 50 लाख रुपये का मानहानि का दावा ठोका है। इसके साथ ही उनके ऊपर अपनी ही पार्टी के सांसद पर भी टिप्पणी करने का आरोप लगा है।

कुछ दिनों पहले मंडी लोकसभा सीट से सांसद रामस्वरूप शर्मा ने जोगिंदर नगर मंडल की द्रुब्बल पंचायत का दौरा किया था। इस दौरान जोगिन्दर नगर ब्लॉक कांग्रेस के अध्यक्ष जीवन ठाकुर, जो कि इस पंचायत के प्रधान भी हैं, ने प्रोटोकॉल के तहत सांसद का स्वागत किया। वह पंचायत प्रधान होने की वजह से मंच पर आगे वाली पंक्ति पर बैठे और सभा को संबोधित करते हुए उन्होंने सांसद को गांव की समस्याओं से भी अवगत करवाया।

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इसी बात को लेकर जोगिन्दर नगर मंडल के BJYM अध्यक्ष ने इस सभा की तस्वीर अपनी फेसबुक टाइमलाइन पर शेयर करते हुए लिखा कि कांग्रेस अध्यक्ष बीजेपी की बैठक में शामिल हुए और वह बीजेपी में शामिल होने जा रहे हैं। इसी पोस्ट से नाराज जीवन ठाकुर ने पुलिस में शिकायत दी है और साथ ही 50 लाख रुपये का मानहानि का दावा ठोका है। कांग्रेस नेता का कहना है कि उनकी छवि को खराब करने की कोशिश की गई है।

यही नहीं, युवा बीजेपी पदाधिकारी ने इस पूरे प्रकरण में सांसद रामस्वरूप शर्मा को भी घसीट लिया था। उन्होंने फेसबुक पोस्ट डाली कि सांसद रामस्वरूप बीजेपी कार्यकर्ताओं को पीछे धकेल रहे हैं और कांग्रेस कार्यकर्ताओं को आगे कर रहे हैं। बीजेवाईएम पदाधिकारी की इस पोस्ट पर फेसबुक पर बहस छिड़ गई थी। बीजेपी से ही जुड़े स्थानीय नेताओं ने भी इस पोस्ट पर कॉमेंट करके आपत्ति जाहिर की। पार्टी के कुछ लोगों ने इसे अनुशासनहीनता मानते हुए प्रदेश आलाकमान  तक पहुंचा दिया है।

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खुद को बीजेपी समर्थक बता रहे कुछ लोग फेसबुक पर युवा बीजेपी पदाधिकारी की तस्वीर शेयर करते हुए सांसद पर की गई टिप्पणी का विरोध कर रहे हैं। एक शख्स ने कॉमेंट किया है, ‘जनता के चुने हुए प्रतिनिधि पार्टी से ऊपर होते हैं। ऐसे में किसी भी विचारधारा से संबंध होने पर पंचायत प्रधान का सांसद के कार्यक्रम में जाना गलत नहीं है। ऐसी सोच प्रदेश को गर्त की तरफ ले जा रही है।’

सूत्रों की मानें तो हिमाचल बीजेपी के वरिष्ठ नेताओं को एक सांसद के खिलाफ अपनी ही पार्टी के पदाधिकारी द्वारा की गई यह टिप्पणी नागवार गुजरी है। ‘इन हिमाचल’ को नाम न बताने की शर्त पर युवा मोर्चा के एक वरिष्ठ पदाधिकारी ने बताया की संगठन उस टिप्पणी के आधार पर कार्रवाई करने का मन बना चुका है। इस बारे में जब ‘इन हिमाचल’ ने सांसद रामस्वरूप शर्मा से प्रतिक्रिया लेने की कोशिश की तो उनसे संपर्क नहीं हो पाया।

अभी तो भारतीय जनता युवा मोर्चा के नेता ने ये पोस्ट्स डिलीट कर दी हैं, लेकिन कानूनी जानकारों का मानना है कि डिलीट कर देने से मुश्किलें कम नहीं हुई हैं। जिस तरह से कोई भी क्राइम होते देखने वालों की गवाही अहम मानी जाती है, उसी तरह से किसी पोस्ट को पढ़ने वालों की गवाही को भी कोर्ट में मान्य समझा जाता है। पोस्ट के स्क्रीनशॉट्स के साथ लोगों की गवाही अहम हो जाती है।

कोर्ट अगर उचित समझे तो पुलिस फेसबुक के हेडक्वॉर्टर से संपर्क करके जानकारी मांगने का अधिकार रखती है, जहां से हर पोस्ट का पूरा रेकॉर्ड लिया जा सकता है। कानूनी जानकारों का कहना है कि बीजेवाईएम पदाधिकारी के खिलाफ आईटी ऐक्ट की धारा 66(A) और आईपीसी की धारा 153(A) तहत भी मामला दर्ज हो सकता है।

(नोट: इस पूरे प्रकरण पर  युवा बीजेपी पदाधिकारी को भी उनकी फेसबुक प्रोफाइल पर इन हिमाचल की तरफ से मेसेज भेजा गया है, ताकि इस मामले में उनका पक्ष भी जाना जा सके। अभी तक कोई जवाब नहीं आया है, अगर जवाब आता है तो हम उसे भी पब्लिश करेंगे।)

बचकाना व्यवहार, भारती ने ‘इन हिमाचल’ की पोस्ट पर किए कॉमेंट

शिमला।।
खबर छापे जाने पर ‘इन हिमाचल’ की फेसबुक पोस्ट पर आकर कुछ ऐसे कॉमेंट किए नीरज भारती ने। बड़ी इमेज देखने के लिए नीचे दी गई इमेज पर क्लिक करें।

नीरज भारती की ‘अमर्यादित’ फेसबुक पोस्ट्स से कांग्रेस में नाराजगी

शिमला।।
ज्वाली से विधायक और इन दिनों मुख्य संसदीय सचिव(CPS) नीरज भारती का सोशल मीडिया पर गैर-जिम्मेदाराना व्यवहार इन दिनों हिमाचल कांग्रेस के लिए फजीहत का विषय बना  हुआ है। भारती की ‘अमर्यादित’ पोस्ट्स से नाराज पार्टी नेता अब उनकी शिकायत आलाकमान से करने का मूड बना चुके हैं।

नीरज भारती

27 नवंबर को रात करीब डेढ़ बजे नीरज भारती की टाइमलाइन पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनके समर्थकों को निशाने पर लेता हुआ एक अमर्यादित ‘जोक’ शेयर किया गया है। इसमें लिखा है, ‘जितनी चिंता मोदी के टट्टुओं को कांग्रेस की है, उतनी अगर वे जसोदा बेन की कर लेते तो बुढ़ापे में एक-आध भतीजा गोद में खेल रहा होता।’ इसके अलावा भी पीएम मोदी को निशाना बनाते हुए कई सारी पोस्ट्स लगातार शेयर की गई हैं।

नीरज भारती की प्रोफाइल पर बाबा रामदेव को लेकर भी निशाना साधा गया है। न सिर्फ उनकी तुलना हाल ही में बवाल करने वाले स्वयंभू संत रामपाल से की गई है, बल्कि एक महिला के साथ उनकी फोटो भी पोस्ट की है। यह वही फोटो है, जो सोशल मीडिया में शेयर की जा रही थी औऱ बाबा रामदेव के चरित्र पर उंगली उठाई जा रही थी। इस पर बाबा रामदेव ने सफाई देते हुए कहा था कि यह महिला कैंसर पीड़ित है और उनके लिए बेटी जैसी है। बाबा रामदेव ने अपने फेसबुक पेज से पोस्ट जारी करके ओछी टिप्पणियां करने वालों को धिक्कारा भी था।

कांगड़ा से ही कांग्रेस के एक सीनियर नेता ने इन हिमाचल को नाम न छापने की शर्त पर बताया कि सोशल मीडिया पर नीरज भारती का व्यवहार स्कूल-कॉलेज के लड़कों जैसा है। उन्होंने, ‘राजनीति में कुछ मर्यादाएं होती हैं। जब आप सार्वजनिक जीवन में होते हैं तो आपको सोच-समझकर बातें करनी चाहिए। जिस तरह की सामग्री वह पोस्ट कर रहे हैं, उससे न सिर्फ उनकी बल्कि पार्टी की छवि भी खराब हो रही है।’ उन्होंने कहा कि यह दिखाता है कि वह कितने अपरिपक्व नेता हैं। वह पूरी पार्टी की इमेज को नुकसान पहुंचा रहे हैं।

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शिमला से कांग्रेस के एक नेता ने कहा कि राजनीतिक विरोध औऱ मतभेद अपनी जगह होते हैं, मगर आरोप तथ्यों के आधार पर ही लगाने चाहिए। उन्होंने कहा, ‘मैंने अभी तक नीरज भारती की फेसबुक पर यह पोस्ट्स देखी नहीं है, मगर वाकई अगर ऐसा कुछ पोस्ट किया गया है तो यह निंदनीय है। सोशल मीडिया पर तो कई चीज़ें शेयर की जाती हैं। अगर बिना जांच किए उन्हें एक नेता शेयर कर  रहा है तो वह सबसे बड़ा अपराधी है।’

सूत्रों का कहना है कि पिछले कई दिनों से प्रदेश के सभी नेताओं के सोशल मीडिया अकाउंट्स पर नजर रखी जा रही है। एक युवा नेता ने कहा,  ‘नीरज भारती को हमारी पार्टी का एक धड़ा ‘प्रदेश के भविष्य’ के तौर पर पेश करता रहा है। अगर आप विपक्ष पर बिना तथ्यों पर या नैतिकता से परे हटकर निशाना साधते हैं तो आप अपनी पार्टी का ही नुकसान करते हैं। इससे न सिर्फ आप विपक्षियों को अपने से दूर कर देते हैं, बल्कि आपकी पार्टी का समर्थक बुद्धिजीवी तबका भी छिटक जाता है।’

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सूत्रों का कहना है कि जल्द ही इस बारे में संगठन के वरिष्ठ अधिकारियों को सूचित किया जाएगा और उचित कदम उठाया जाएगा। यह पूछे जाने पर कि पोस्ट्स को तो डिलीट भी किया जा सकता है या अकाउंट फर्जी होने की बात कही जा सकती है, सूत्रों ने बताया कि यह प्रोफाइल उन्हीं की है क्योंकि उनके परिवार से सदस्य भी इस पर कॉमेंट करते रहे हैं और नीरज अपनी निजी तस्वीरें भी शेयर करते हैं। इसके अलावा स्क्रीनशॉट भी रख लिए गए हैं ताकि जरूरत पड़ने पर पेश किया जा सके।

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राजनीति में पिछड़ती हिमाचल प्रदेश सेंट्रल यूनिवर्सिटी और छात्र हित

आज ही एक अखबार में हिमाचल प्रदेश के एक बड़े राजनेता का बयान पढ़ा-

“केंद्रीय विश्वविद्यालय के भवन निर्माण में अड़चन पैदा की जा रही है। धर्मशाला के ऐतिहासिक महत्व को देखते हुए केंद्रीय विवि का प्रशासनिक खंड धर्मशाला और शैक्षणिक खंड देहरा में होना चाहिए।”

इस बयान को पढ़कर मन अत्यंत दुखी और अचंभित हुआ।  पहली बात यह है कि किसी भी एजुकेशनल इंस्टिट्यूट के लिए जगह तय करने के लिए किसी स्थान के ऐतिहासिक महत्व का कोई लेना-देना नहीं है। एक एकदम बिना लॉजिक की बात है। दूसरी  बात यह कि अगर प्रशासनिक भवन और शैक्षणिक भवन 50 किलोमीटर दूर होंगे, तो यह न सिर्फ फालतू का खर्च होगा, बल्कि टीचर्स और छात्रों के रोज के कामों को भी प्रभावित करेगा।

राजनीति की भेंट चढ़ा हिमाचल प्रदेश केंद्रीय विश्वविद्यालय

किसी भी यूनिवर्सिटी में प्रशासन का मतलब कोई अलग से बहुत बड़ा डिपार्टमेंट नहीं होता, बल्कि क्लैरिकल स्टाफ को छोड़कर शिक्षक या यूं कहिए कि प्रफेसर ही बारी-बारी से प्रशासनिक पदों पर कुछ वर्षों के लिए बैठते हैं।  किसी प्रफेसर को डीन बना दिया जाता है, कोई डेप्युटी डायरेक्टर ऐडमिन हो जाता है  तो कोई रजिस्ट्रार बना दिया जाता है । और यह सब पोस्ट्स एक निर्धारित समय  के बाद  बदलती रहती हैं।  ऐसा नहीं है कि प्रशासनिक जिम्मेदारी मिलने से प्रफेसर पढ़ाना छोड़ देता है।  वह अपने सब्जेक्ट की क्लास भी लेते  हैं और निर्धारित समय अवधि  के दौरान दिन के कुछ घंटे प्रशासनिक कार्यालय  में बैठ  कर अपनी प्रशासनिक जिम्मेदारी भी  निभाते हैं।

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मुझे नहीं पता कि धर्मशाला  और देहरा के 50 किलोमीटर के सफर को ऐसे प्रफेसर कैसे तय कर पाएंगे। और अगर शैक्षणिक और प्रशासनिक ब्लॉक अगर 50 किलोमीटर दूर होंगे तो क्या छात्र अपने छोटे-छोटे कामों के लिए धर्मशाला का चक्कर लगाते रहेंगे? कुलसचिव अगर कहीं और बैठंगे और शिक्षा कहीं और चलेगी तो क्या अनुशासन होगा? प्रशासनिक खंड क्या होता है? यह मात्र एक बिल्डिंग ही तो है। फिर इसका पूरी यूनिवर्सिटी के साथ बनना कैसे गलत है?

फालतू में सरकार के संसाधन खर्च करना, शिक्षा  का माहौल खराब करना,  विद्यार्थियों के ऊपर आर्थिक बोझ डालना और उन्हें दो जगहों पर छोटे-छोटे कार्यों के लिए दौडाए रखना कहां तक जायज और समझदारी है? मैं भी आईआईटी दिल्ली में रिसर्च स्कॉलर हूं। शैक्षणिक कार्यों के अलावा अन्य छोटे-छोटे कार्यों के लिए मुझे किसी ऐप्लिकेशन पर हस्ताक्षकर करवाने  के लिए कई  बार प्रशासनिक खंड में जाना पड़ता है।  और यह महज मेरी लैब से 200 मीटर दूर है।  ऐसे छोटे कार्यों के लिए हिमाचल प्रदेश में  बनने वाली सेंट्रल यूनिवर्सिटी के छात्र क्या 50 किलोमीटर जाया करेंगे।  या बाई पोस्ट  ऐप्लिकेशन भेजा करेंगे ताकि 10 मिनट का कार्य 10 दिन में पूरा हो।

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शिक्षण संस्थान में शैक्षणिक और प्रशासनिक खंड में कोई भेद नहीं है। यूनिवर्सिटी किसी भी स्थान पर बने, वो मेरा मुद्दा नहीं है। लेकिन खुद  एक विकासशील  देश  का नागरिक और छात्र होने की वजह से सरकारी संसधनों के मितव्यय और छात्रहित के बारे में यही मेरी राय और अनुभव है कि वह जहां भी बने, एक स्थान पर दोनों खंड हों। सरकारी खर्चे और छात्र हित में यह जरुरी है। हिमाचल प्रदेश की सेंट्रल यूनिवर्सिटी भी इसका अपवाद नहीं हो सकती।

दुःख इस बात का है इसी के साथ खुली अन्य प्रांतों की सेंट्रल यूनिवर्सिटीज़ में विभिन्न कोर्स शुरू हो चुके हैं, लेकिन हमारे प्रदेश की सेंट्रल यूनिवर्सिटी का स्थान तय न हो पाने की वजह से अभी नाम मात्र के लिए ही कोर्स शुरू हो पाए हैं। प्रदेश सरकार और मुख्यमंत्री भी इस मुद्दे पर सिर्फ भाषणबाजी कर रहे हैं और अभी तक उन्होंने केंद्र को किसी जगह का नाम नहीं सुझाया है। इस पर बीजेपी और कांग्रेस दोनों को राजनीति बंद करनी चाहिए और बरसों से लटके इस कार्य को अब पूरा करवाने की कोशिशों में जुटना चाहिए।

लेखक:
Aashish Nadda (PhD Research Scholar)
Center for Energy Studies
Indian Institute of Technology Delhi
E-mail  aksharmanith@gmail.com

(आप भी अपने लेख या रचनाएं प्रकाशन के लिए हमें inhimachal.in@gmail.com पर भेज सकते हैं। तस्वीर भी साथ भेजें। हमारा फेसबुक पेज लाइक करने के लिए क्लिक करें: In Himachal)

दिल्ली में रह रहे हिमाचलियों के बीच भावुक हुए रामस्वरूप शर्मा

नई दिल्ली।।

रविवार को दिल्ली में रहने वाले हिमाचल प्रदेश के लोगों की सोसाइटी ‘हिमाचल कल्याण सभा, दिल्ली’ का 44वां सालाना समारोह मनाया गया। प्रदेश के तीन सांसदों ने इसमें शिरकत की। सभी ने अपने विचार लोगों के साथ साझा किए। आखिर में कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे मंडी के सांसद रामस्वरूप शर्मा ने लोगों को संबोधित किया।

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पं. रामस्वरूप शर्मा ने  हिमाचल प्रदेश, और खासकर मंडी क्षेत्र के लोगों को से यह वादा किया कि कुछ सालों बाद जब भी आप मंडी में अपने घर आएंगे तो पठानकोट -मंडी और कीरतपुर-मंडी हाइवे  आपका स्वागत करेंगे।  उन्होंने साथ ही साथ यह भी जोड़ा कि शांता कुमार से मिलकर वह पठानकोट-लेह रेलवे लाइन का मुद्दा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और रक्षा मंत्री समेत अन्य संबंधित मंत्रालयों के साथ उठा रहे हैं।  उन्होंने कहा कि जल्द ही ये कोशिशें धरातल पर भी दिखने लगेंगी।

मंडी के सांसद का स्वागत करते सभा के पदाधिकारी।

अंत में रामस्वरुप शर्मा ने कार्यक्रम में बुलाने के लिए उपस्थित जनमानस और सभा के लोगों का हार्दिक धन्यवाद किया। सभा में उस समय कुछ देर तक खामोशी छा गई और हर किसी की आंखों में भावनओं से छल गईं, जब सांसद भावुक हो गए। शर्मा ने भावुक होकर कहा, ‘मैं कई बरसों से अख़बारों में पढ़ा करता था कि दिल्ली में हिमाचल से जुड़ी एक सभा है, जो हिमाचली संस्कृति को कई वर्षों से संजोए हुए है। सभा का कार्यक्रम होता है बड़े-बड़े नेता शिरकत करते हैं।  परन्तु  आज मंडी क्षेत्र के लोगों के आशीर्वाद से  मेरे जैसा साधरण कार्यकर्ता, गांव का व्यक्ति आज यहां सांसद के रूप में सम्मानित किया गया।’

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शर्मा ने कहा, ‘आज तक मंडी में राजा-रजवाड़ों और बड़े-बड़े नेताओं ने राज किया है, परन्तु अब मंडी की सेवा का मौका एक आम व्यक्ति, साधारण कार्यकर्ता को मिला है। आपको विश्वास दिलाता हूं कि मंडी छोटी काशी का वैभव जरूर प्राप्त करेगी।’

कार्यक्रम खत्म होने के बाद भी सांसद वहां रुके रहे और अपने क्षेत्र के हर व्यक्ति से रूबरू हुए।

मंत्री न बनाए जाने से नाखुश नहीं हूं: अनुराग ठाकुर

रायपुर।।
भारतीय जनता युवा मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष और हमीरपुर लोकसभा सीट से सांसद अनुराग ठाकुर का कहना है कि हाल में हुए मंत्रिमंडल विस्तार में जगह न मिलने से वह निराश नहीं है। उन्होंने इस तरह की खबरों को गलत बताया कि वह पीएम मोदी के मंत्रिमंडल में शामिल न किए जाने नाखुश हैं।

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रायपुर में एक कार्यक्रम में शिरकत करने पहुंचे अनुराग ठाकुर ने कहा, ‘मैं भाग्यशाली हूं कि पार्टी में मुझे लगातार तीसरी बार सांसद बनने का मौका दिया और भाजयुमो का राष्ट्रीय अध्यक्ष भी बनाया।’ उन्होंने कहा कि वह संगठन के लिए काम कर रहे  हैं इसे जारी रखेंगे।

गौरतलब है कि मंत्री बनाए जाने के लिए अनुराग ठाकुर के नाम पर भी अटकलें लगाई जा रही थीं, लेकिन वह फाइनल लिस्ट में जगह नहीं बना सके। वहीं हिमाचल प्रदेश से ही पार्टी के सीनियर नेता जे.पी. नड्डा को कैबिनेट मंत्री बनाया गया है।

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जानिए, कौन हैं जे.पी. नड्डा

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के माहिर रणनीतिकार और बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह के विश्वासपात्र जगत प्रकाश नड्डा को कैबिनेट मंत्री की जिम्मेदारी मिली है। उन्हें सरकार में जगह मिलना दिखाता है कि उनकी संगठन क्षमता और पर्दे के पीछे रहकर काम करने की खूबी को पुरस्कृत किया गया है।
अपने कॉलेज के दिनों में प्रभावी छात्र नेता रहे 53 साल के नड्डा बेहद मृदुभाषी हैं। मुश्किल से मुश्किल कामों को आसानी से सुलझाने में माहिर नड्डा बीजेपी के अध्यक्ष पद की रेस में भी थे, लेकिन बाद में उन्होंने अपना समर्थन अमित शाह को दे दिया था।

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नड्डा आज मोदी और शाह के साथ बीजेपी की सबसे शक्तिशाली तिकड़ी का हिस्सा हैं। वह पार्टी के हर बड़े फैसले में शामिल रहते हैं, साथ ही पार्टी और सरकार के बीच में कड़ी की भूमिका भी निभाते हैं।  उन्हें आरएसएस से भी समर्थन मिलता है और बीजेपी से सभी बड़े नेताओं से उनके अच्छे रिश्ते हैं।
उन्हें हिमाचल प्रदेश में बीजेपी के अगेल सीएम कैंडिडेट के तौर पर देखा जा रहा है।
2 दिसंबर, 1960 को बिहार के पटना में उनका जन्म हुआ था। उनके पिता पटना यूनिवर्सिटी के वाइस चांसलर थे। नड्डा जेपी आंदोलन से प्रभावित होकर छात्र राजनीति में आए थे।  उन्होंने हिमाचल प्रदेश आने से पहले अपनी जवानी के दिन बिहार में भी बिताए थे।
नड्डा कॉलेज के दौर में छात्र राजनीति से जुड़े और एबीवीपी के सक्रिय मेंबर बनए। वह साल 1977 में पटना यूनिवर्सिटी में एबीवीपी के सचिव चुने गए। 1977 से लेकर 1990 तक वह एबीवीपी में करीब 13 सालों तक विभिन्न पदों पर रहे। 31 साल की उम्र में नड्डा साल 1991 में बीजेपी के युवा मोर्चा के नैशनल प्रेजिडेंट बन गए।

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राज्यसभा के लिए चुने जाने से पहले वह हिमाचल प्रदेश में विधायक थे। नड्डा 1993 से 1998, 1998 से 2003 और 2007 से 2012 तक बिलासपुर सदर से हिमाचल प्रदेश विधानसभा के सदस्य रहे। साल 1998 से 2003 तक वह राज्य से स्वास्थ्य मंत्री रहे और 2008 से 2010 तक वन एवं पर्यावरण, विज्ञान एवं तकनीकी मंत्री रहे। अप्रैल 2012 में उन्हें राज्यसभा के लिए चुना गया और कई सारे संसदीय कमिटियों में जगह दी गई।
मई 2010 से नड्डा बीजेपी के राष्ट्रीय महासचिव हैं। पिछले सालों में हिमाचल प्रदेश में वह बेहद कद्दावर नेता बनकर उभरे। कम उम्र में ही बीजेपी के साथ उनका जुड़ाव रहा। जमीनी स्तर से उठकर उन्होंने यहां तक का सफर किया है, जिससे उनका व्यक्तित्व कुछ ऐसा बन गया है कि वह हर राजनीतिक समस्या को बेहद शांति से सुलझा सकते हैं।

(टीम इन हिमाचल)