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छात्रों को अगली क्लास में प्रमोट करने के विरोध का मतलब क्या है?

राजेश वर्मा।। शिक्षा विभाग ने स्कूली बच्चों को अगली कक्षा में प्रमोट करने का फ़ैसला किया तो बहुत से शिक्षक साथी विरोध करने लगे। वे कह रहे हैं कि यह गलत है। गलत है या सही, इसका निर्णय करने से पहले थोड़ा तथ्यों पर तो गौर कर लीजिए। आज देश-प्रदेश ही क्या पूरा विश्व कोरोना जैसी आपदा से जूझ रहा है। पूरा विश्व अपने आप में सिमट कर रह गया है। भले ही लॉकडाउन 14 अप्रैल तक है लेकिन जिस तरह से दिन ब दिन हालात खराब हो रहे हैं, इस बात की कोई गांरटी नहीं कि यह आगे नहीं खिसकेगा। लॉकडाउन का हटना या बढना हमारे सहयोग पर निर्भर करेगा। लेकिन बच्चों को प्रमोट करने के पीछे हमारी नाराजगी क्यों?

आठवीं तक बच्चे पहले ही पास होते हैं फिर 9वीं और 11वीं के बच्चों को यदि इस बार प्रमोट कर भी दिया तो कौन सा गुनाह हो गया? एक तरफ हम कहते हैं CBSE का पैटर्न लागू करो लेकिन यदि परीक्षा परिणामों के बारे में लागू कर दिया तो हम आपत्ति कर रहे हैं? जब परीक्षाएं खत्म हुई तब ज्यादातर शिक्षक कोरोना के डर से यही कह रहे थे की पेपर बाद में चैक हो सकते हैं सबसे पहले इंसानी जिंदगियां जरूरी हैं, सरकार लॉकडाउन करे और परीक्षाएं स्थगित करे।

कुछेक शिक्षक कह रहे हैं कि चार दिन की बात थी परिणाम निकल सकता था लेकिन ये साथी यह तो बताएं वो चार दिन कौन से हैं? क्योंकि अभी कुछ निश्चित ही नहीं कि कब चार दिन देखने को मिलेंगे। बच्चों के मनोविज्ञान को भी समझें जिनको हर समय अपने परिणाम की चिंता खाए जा रही थी। विरोध करना लोकतांत्रिक अधिकार है लेकिन घर में बैठकर हमारा विरोध के लिए विरोध करना कहां तक न्यायोचित है? कम से कम इस आपदा की घड़ी में हमें सरकार, प्रशासन व शिक्षा विभाग का सहयोगी बनकर और विभागों के लिए भी प्रेरणा बनना चाहिए।

आज सबसे ज्यादा शिक्षक वर्ग ही लोगों को शिक्षित करने में लगा हुआ है कि घरों में रहो, सामाजिक दूरी बनाए रखो लेकिन हम खुद यह बोल रहे हैं की चार दिन स्कूल खोल दो। माना कुछेक ने पेपर चैक कर लिए हैं लेकिन सभी के तो नहीं हुए? कुछेक साथी बोल रहे हैं कि मेहनती बच्चों का क्या होगा, मेहनती बच्चों का जो होता आया है वही होगा, वह हम सभी को भी पता है और बच्चों को भी। आज बच्चे खुद डरे सहमे हुए हैं। हमारा दायित्व बनता है कि हम उन्हें इस भय से बाहर निकालें। कोरोना कोई सरकार के लिए ही आपदा नहीं यह तो हम सबके लिए आपदा है।

शिक्षक साथियो, धैर्यपूर्वक सोचें सबसे ज्यादा मेहनती और कार्य करने की क्षमता के लिए जिस वर्ग को जाना जाता है वह शिक्षक वर्ग ही है। कोई ऐसा काम नहीं जिसको शिक्षक न कर सकता हो और तो और आज प्रदेश के नाकों पर शिक्षकों की ड्यूटी लगा दी गई है। आज जरूरत तो इस बात की है उन सभी कर्मचारी साथियों के लिए भले ही वह किसी भी विभाग में कार्यरत हैं उनके लिए PPE सुरक्षा किट मुहैया करवाने की मांग करते जो नाकों पर केवल मास्क के सहारे फर्ज अदा किए जा रहे क्योंकि परिवार उनके भी हैं, बच्चे उनके भी है और परीक्षा परिणाम उनके भी निकलते हैं।

(स्वतंत्र लेखक राजेश वर्मा लम्बे समय से हिमाचल से जुड़े विषयों पर लिख रहे हैं। उनसे vermarajeshhctu @ gmail.com पर संपर्क किया जा सकता है)

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