वनमहोत्सव के तामझाम पर फिजूलखर्ची क्यों नहीं रोक रही सरकार

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इन हिमाचल डेस्क।। वन विभाग हर साल लाखों पौधे तैयार करता है और रोपता भी है। उसमें उतना खर्च नहीं आता जितना हमारे नेता वन महोत्सव करवाने के नाम पर कर देते हैं।

सारा प्रशासनिक अमला पहुंचता है, टेंट-माइक-एलसीडी-कुर्सियां लगतीं हैं, लोहे के बोर्डों पर पेंटर से पौधा लगाने वाले नेता का नाम लिखा होता है। अगले साल बोर्ड वहीं होता है और पौधा सूखा मिलता है। ये सब होता है जनता के पैसे से।

सरकारी पैसे पर अपनी छवि चमकाने की कोशिशों के अलावा ये और क्या है? कर्ज पर चल रही सरकार जनता पर तो आर्थिक बोझ थोप देती है लेकिन खुद एक पैसे की बचत करने को तैयार नहीं।

नेता ये दिखावा करते किसलिए हैं? क्या जनता को समझ नहीं आता कि वो क्या कर रहे हैं? आप 15 लाख पेड़ लगाने का दावा करो या 15 करोड़ का, वह आपकी उपलब्धि नहीं है। आपका मूल्यांकन आपके विजन और नीतियों के आधार पर किया जाएगा।

बाकी, द ग्रेट खली की मनोरंजक रेसलिंग को खेलों को बढ़ावा देने की पहल बताकर प्रचारित करने से ही पता चल गया था कि सरकार में बैठे कुछ लोगों का एक्सपोजर कितना है और कैसे वो स्टंट करके जनता को लुभाने की रणनीति बना रहे थे।

उस समय भी जनता ने संदेश दिया था कि उसे काम चाहिए, शिगूफे नहीं। अफसोस, उससे भी कुछ सबक नहीं लिया गया।

वन विभाग हर साल लाखों पौधे तैयार करता है और रोपता भी है। उसमें उतना खर्च नहीं आता जितना हमारे नेता वन महोत्सव करवाने के…

Posted by In Himachal on Tuesday, July 21, 2020

जो गोविंद सिंह ठाकुर परिवहन मंत्री हैं, वही हिमाचल के वन मंत्री भी हैं। एक तरफ तो आर्थिक नुकसान की बात करके वह बसों का किराया बढ़ा देते हैं, दूसरी तरफ अनावश्यक खर्च करके वन महोत्सव के नाम पर प्रदेश भर में लाखों खर्च करते हैं और इसे बड़ी पहल दिखाते हैं।

कल प्रदेश के हर डिवीजन में यह ऐक्टिविटी की गई। वीडियो कांफ्रेंसिंग के लिए कहीं एलसीडी लगाया गया कहीं टेंट लगाए गए तो कहीं माननीयों के नाम वाली पट्टी। इसका पैसा सरकारी खाते से ही तो जाएगा। पिछले 2 बार सालों में लगे पौधों का हिसाब कौन देगा? 2018 में 15 लाख पौधे लगाए गए थे, उनका क्या हुआ?

नीचे दी गई तस्वीरें उदाहरण हैं। हमीरपुर के विधायक ने एक पौधा लगाया और उसके लिए कितना तामझाम किया गया। ये दिखाता है कि सरकार खुद तो फिजूलखर्ची रोकना नहीं चाहती और उसका पैसा जनता से निकलवाना चाहती है। ऊपर से इस फिजूलखर्ची को भी उपलब्धि दिखाया जाता है।

आप 15 लाख पौधे लगाएं या डेढ़ करोड़, इस स्टंट से जनता प्रभावित नहीं होने वाली। बात तो तब है जब आप नेता और खासकर वन मंत्री अपने इलाके में पहले से लगे वनों को कटने से बचाएं।