- संदीप चौधरी
आज सुबह अपनी फेसबुक फीड में नीरज भारती से जुड़ी एक पोस्ट दिखी, जिसमें कहा गया था वह अनाप-शनाप पोस्ट करते हैं। कई सालों से पुणे में हूं, इसलिए राजनीति पर ज्यादा ध्यान नहीं देता। कई बार मैंने परिजनों और दोस्तों को इस बारे में बात करते सुना, मगर ध्यान नहीं दिया। खुद ज्वाली का रहने वाला हूं, इसलिए आज सुबह जिज्ञासावश नीरज भारती की प्रोफाइल देखने चला गया। देखकर हैरान हो गया कि उसमें कितनी वाहियात पोस्ट्स हैं। प्रधानमंत्री को भौंकेंद्र मोदी, रामदेव को हरामदेव कानिया… और भी न जाने क्या-क्या।
इतनी गिरी हुई भाषा? कैसी मानसिकता है, यहां पर एक चुना हुआ नुमाइंदा इस तरह के शब्दों का इस्तेमाल कर रहा है। राजनीतिक विरोध अपनी जगह है, मगर ऐसी भाषा तो वही इस्तेमाल कर सकता है, जिसकी मानसिक स्थिति ठीक न हो। शिक्षित व्यक्ति भी असभ्य हो सकते हैं, इसका प्रमाण देखने को मिल गया। यकीन नहीं हुआ कि यह एक चुने हुए जन प्रतिनिधि की प्रोफाइल है।
विरोधी नेताओं को गलत नामों से पुकारना और उनकी शारीरिक विकृति का मजाक बनाना किसी भी समझदार व्यक्ति की निशानी नहीं है। बाबा रामदेव को ‘कानिया’ इसलिए कहा गया, क्योंकि उनकी एक आंख सामान्य नहीं है। इससे पता चलता है कि विकलांगों को किस नजर से देखते हैं यह जनाब। ऊपर से जनाब से अपनी पोस्ट्स में जस्टिफाई किया था कि बीजेपी वालों को उन्हीं की भाषा में जवाब दिया जा रहा है।
हैरानी यह भी हुई कि इस घटिया इंसान की प्रोफाइल में मुझे कुछ म्यूचुअल फ्रेंड्स भी दिखाई दिए। यही नहीं, इन लोगों ने नीरज भारती की पोस्ट्स जो लाइक भी किया था। पिछले दिनोंं एक कार्टून नजर आया, जिसमें नीरज भारती के व्यवहार को जस्टिफाई किया गया था। हैरानी हुई कि यह कार्टून ऐसे शख्स ने बनाया था, जिसे हिमाचल में बहुत से लोग एक प्रबुद्ध व्यक्ति मानते हैं। वैसे तो वह जनाब प्रदेश के हर मुद्दे पर राजनेताओं को घेरते हैं, मगर न जाने क्यों उन्हें नीरज भारती का व्यवहार पसंद आया। खैर, यह उनकी निजी सोच है, मगर निजी सोच ऐसी है तो उन्हें खुद को हिमाचल के हितों का पैराकार दिखाना बंद कर देना चाहिए।
फेसबुक वगैरह पर कुछ भी करना, किसी को अपमानित करना, धमकी देना या किसी भी तरह का अपराध आईटी ऐक्ट के दायरे में आता है। आए दिन हिमाचल सरकार द्वारा किए जा रहे कामों का क्रेडिट लेने वाले मुख्यमंत्री के तथाकथित आईटी सलाहकार भी नीरज भारती की फ्रेंड लिस्ट में हैं (अब नहीं हैं, संभवतः उन्होंने अन्फ्रेंड कर दिया हो) और उनके कई स्टेटसों को लाइक करते हैं। मगर वह अपने सीएम के चहेते को यह नहीं बता रहे कि आईटी ऐक्ट की किन धाराओं के तहत मामला दर्ज हो सकता है और जो किया जा रहा है, वह कितना गलत है।
इसी को कहते हैं सत्ता का दुरुपयोग। यह दिखाता है कि हम सरकार में हैं, आप जो मर्जी कर लें। केंद्र पर सीबीआई के दुरुपयोग का आरोप लगाने वाले कांग्रेसी नेताओं को यह नहीं दिखता कि कैसे उनका एक नेता अपने पद का दुरुपयोग कर रहा है। मगर इन लोगों को शर्म नहीं आएगी। मोटी चमड़ी वाले नेता अपनी राजनीतिक रोटियां सेंकते रहेंगे। शर्म आएगी हम जैसे लोगों को, जिनका सिर नीचा हुआ पड़ा है।
पिछले दिनों मैंने देखा कि कुछ लोग कॉमेंट करते हैं कि ‘इन हिमाचल’ क्यों बार-बार इस शख्स की खबरें उठा रहा है और क्यों तवज्जो दे रहा है। मैं इन हिमाचल को साधुवाद देता हूं कि वह ऐसी खबरों उठा रहा है। इसीलिए मैंने अपना यह आर्टिकल भेजा, क्योंकि इन हिमाचल का मैं समर्थन करता हूं कि किसी एक व्यक्ति की वजह से अगर प्रदेश बदनाम हो रहा हो, तो उसपर कार्रवाई होनी चाहिए। वीरभद्र कार्रवाई करे या न करे, उनकी सारा ध्यान तो अपने ऊपर हो रही कार्रवाई से बचने पर फोकस है। मगर ज्वाली की जनता में आक्रोश पनप रहा है और वह कार्रवाई जरूर करेगी। चुनाव आने को हैं। पहले मैंने सोचा कि नाम बदलवा दिया जाए, क्योंकि मेरी माता शिक्षा विभाग मे कार्यरत हैं और हो सकता है कि राजनीतिक दुर्भावना के तहत शिक्षा विभाग के संसदीय सचिव कोई कदम उठाएं। मगर सच कहने में डर कैसा। मैंने कुछ भी गलत नहीं कहा।
(लेखक पुणे में आईटी इंजिनियर हैं, मूलरूप से कांगड़ा के जवाली के रहने वाले हैं।)