बजट में इस बार कर्मचारियों की पुकार भी सुने सरकार

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राजेश वर्मा।। प्रदेश सरकार इस बार अपना दूसरा बजट पेश करने वाली है। प्रदेश का हर नागरिक इस बजट से अपने लिए कुछ न कुछ अच्छा होने की उम्मीद लगाए बैठा है। चाहे बेरोजगार युवा हो , छात्र हो, गृहणी हो, बुजुर्ग हो या फिर सरकार की रीढ़ कहे जाने वाले कर्मचारी हों? सभी अपने लिए कुछ न कुछ बेहतर की उम्मीद रखे हुए है।

नई सरकार बने हुए 1 वर्ष से उपर समय हो चला अभी भी बहुत से ऐसे वादे हैं जो सरकार को पूरे करने बाकी हैं। प्रदेश में सत्ता प्राप्ति और परिवर्तन के लिए कर्मचारियों की अहम भूमिका होती है। सरकार ने सत्ता में आने से पहले चुनावों में वादा किया था की वह सत्ता में आने पर कर्मचारियों की हर जाएज मांग को पूरा करेगी। हालांकि आमजन से किए वादे काफी हद तक पूरे भी हुए लेकिन कर्मचारियों से किए वादे अभी तक जस के तस है।

अनुबंध कर्मियों को वरिष्ठता की बात हो, अनुबंध कार्यकाल को कम करने का विषय हो, 2003 के बाद नियुक्त कर्मचारियों को पेंशन बहाली का मुद्दा हो, 4-9-14 की बात हो, अस्थाई कर्मचारियों के लिए कोई स्थाई नीति हो, या फिर नया वेतनमान लागू करने की बात हो अभी तक यह सब वादे अधूरे ही रहे हैं।

प्रदेश में विभिन्न विभागों में पिछले कुछेक वर्षों से ज्यादातर नियुक्तियां अनुबंध आधार पर ही हो रही हैं और इन्हें नियमित करने में भी नीति कम राजनीति ज्यादा रही है। जहां भाजपा के पिछले कार्यकाल में नियुक्त कर्मचारियों को पिछली सरकार ने पहले 8 व 6 वर्ष बाद नियमित किया तो बाद में इन कर्मचारियों के दबाव के चलते यह नीति अपने घोषणा पत्र अनुसार 5 वर्ष की कर दी तो बाद में इसी अनुबंध नीति को 3 वर्ष कर दिया जोकि अनुबंध कर्मियों के लिए राहत भरा फैसला था। लेकिन एक समान नीति न होने के चलते हजारों कर्मचारियों को शोषित होने पर मजबूर होना पड़ा।

यह कैसी अनुबंध नीति है जिसमें कर्मचारी की नियुक्ति के लिए तो एक समान नीति है एक समान नियम हैं लेकिन राजनीति स्वार्थ के चलते उन्हें अलग-अलग नीति के तहत नियमित किया जाता रहा है और किया जा रहा है। कर्मचारी चयन आयोग या लोक सेवा आयोग द्वारा संवैधानिक प्रक्रियाओं के तहत नियुक्त होने वाले कर्मचारियों को अलग-अलग अनुबंध काल के बाद नियमित करना किसी भी सरकार की शोषणकारी नीतियों को दर्शाता है। ऐसी नीतियां आपका वोट बैंक कभी नहीं बना सकती क्योंकि इसके तहत लगा युवा पूरे सेवाकाल में शोषित होता है, फिर चाहे कोई 8 वर्ष बाद, कोई 6, कोई 5, कोई 3 या फिर भले ही कोई 2 वर्ष बाद नियमित क्यों न हो रहा हो।

इसी कुंठा व शोषण के चलते अनुबंध कर्मी अपने अनुबंध काल को अपने नियमित सेवाकाल में गणना करने की मांग जोर शोर से उठाते आए हैं। चुनावों के समय इसी आक्रोश के चलते भाजपा ने ऐसे अनुबंध कर्मियों को उनके अनुबंध काल की वरिष्ठता ( सीनियोरटी) देने का वादा किया था। कर्मचारियों द्वारा मांग उठाते हुए एक वर्ष बीत चला लेकिन अभी तक यह वादा अधूरा ही है। देश के आम चुनाव दहलीज पर हैं लेकिन अभी तक इस मुद्दे पर बेरुखी समझ से परे है।

प्रदेश सरकार को इस बार के बजट में अनुबंध कर्मचारियों को सीनियोरटी देने का वादा पूरा कर अपनी कथनी को करनी में बदलना चाहिए लोकसभा चुनाव से पहले इस वादे को पूरा करने का बजट से बढ़िया और कोई समय नहीं हो सकता।

अनुबंध कार्यकाल को 3 वर्ष से कम करके 2 वर्ष करने के अपने चुनावी वादे को पूरा करने के लिए सरकार को बजट में तरजीह देनी चाहिए । हजारों अनुबंध कर्मी इस वादे के पूरा होने के इंतजार में हैं। अनुबंध प्रथा के खात्मे की तरफ यह फैसला मील का पत्थर साबित होगा।

आज प्रदेश ही नहीं देश भर में पेंशन बहाली को लेकर कर्मचारियों का आंदोलन चरम पर है। कर्मचारियों को सेवानिवृत्ति के बाद महज 1 हजार या 15 सौ रुपए की पेंशन मिलना कर्मचारी से ही भद्दा मजाक नहीं बल्कि संविधान का भी उपहास है महज 2003 से पहले वाले कर्मचारियों को पेंशन और उसके बाद नियुक्त कर्मचारियों को भीख मांगने पर मजबूर करना इस देश में इन कर्मचारियों व इनके करोड़ों परिवारजनों के साथ एक नई तरह की गुलामी को दर्शाता है। जो 2003 के बाद नियुक्त कर्मचारियों के हिस्से में आई जबकि संविधान में ऐसा कहीं इंगति नहीं है कि 2003 के बाद नियुक्त कर्मचारियों को पेंशन नहीं मिलेगी।
चुनाव से पहले वादा था की पुरानी पेंशन बहाली पर विचार होगा लेकिन अभी तक न पेंशन बहाल हुई न ही आजदिन तक इसपर विचार हुआ। उम्मीद की जानी चाहिए की प्रदेश के बजट में पुरानी पेंशन बहाली पर कुछ ठोस किया जाएगा ताकि आम चुनावों से पहले सरकार अपने वादे को पूरा कर वादाखिलाफ़ी के आरोपों प्रत्यारोपों से बच सके।

पिछली सरकार के समय सभी कर्मचारी, 4-9-14 को लेकर पांच साल तक मांग पर मांग करते आए लेकिन उनकी अनदेखी पिछली सरकार को चुनाव परिणामों के बाद नजर आयी। इसीलिए भाजपा ने चुनाव के समय वादा किया था कि वह सत्ता में आने पर कर्मचारियों को 4-9-14 का सेवा लाभ अवशय देगी। कर्मचारियों का यह मांग भी अभी तक पूरी नहीं हो पायी इसमें कछेक 4-9-14 का फायदा ले गए तो बहुत से अभी भी इस सेवा लाभ से वंचित हैं। यह कैसा नियम है कि एक साथ, एक ही विभाग, एक ही पद पर नियुक्त कुछेक कर्मचारियों को 4-9-14 का सेवा लाभ मिल रहा है तो वहीं शेष इस सेवा लाभ से वंचित हैं। इस बजट में कर्मचारियों की इस मांग को लेकर प्रदेश सरकार को गंभीरता दिखानी चाहिए।

अस्थाई भर्तीयां प्रदेश के बेरोजगारों का शोषण का जरिया बन चुकी हैं इसके लिए केवल एक राजनीतिक दल या सरकार ही दोषी नहीं सभी जमकर शोषण करते हैं चाहे पीटीए, पैरा, पैट, एसएमसी हो, आईटी शिक्षक हो या विभिन्न सोसायटीज के माध्यम से नियुक्त अन्य कर्मचारी हों इनके लिए स्थाई नीति व नियमितीकरण न होना इनमें पनप रहे आक्रोश को और बढ़ा रहा है। ऐसी नीतियों से सरकारें तो पैसे की बचत कर लेती हैं लेकिन इनके असुरक्षित भविष्य को लेकर कोई चिंतित नहीं दिखता बेरोजगार नीतियां नहीं बनाता वह तो बनी नीतियों का शिकार होकर शोषित होता है। बजट में सरकार को अस्थाई कर्मचारियों के लिए कुछ स्थाई समाधान अवशय करना चाहिए।

अंतिम मुख्य मांग जिसको लेकर कर्मचारी हमेशा उत्सुक रहता है वह है नया वेतनमान। केंद्र में नया वेतनमान कब से लागू हो चुका है और केंद्रीय कर्मचारी इसका लाभ भी उठा रहे हैं लेकिन प्रदेश पंजाब वेतनमान की सिफारिशों को लागू करने के चलते अभी भी नया वेतनमान लागू नहीं कर पाया। इसमें सरकार को दोष भी नहीं दिया जा सकता क्योंकि अभी पंजाब द्वारा गठित वेतन आयोग की न तो रिपोर्ट आई है और नही इसे वहां लागू किया गया है जिसके चलते प्रदेश में भी नए वेतनमान को लागू करने में देरी हो रही है। हालांकि प्रदेश सरकार ने इसकी भरपाई के लिए अंतरिम राहत और मंहगाई भत्ते की अतिरिक्त किश्तें जारी कर कर्मचारियों को काफी हद तक राहत दी है फिर भी समय आ गया है प्रदेश सरकार केंद्रीय वेतन आयोग की सिफारिशों को ही प्रदेश के कर्मचारियों पर लागू करे क्योंकि प्रदेश के कर्मचारियों को पंजाब पैटर्न पर केवल वेतन ही मिलता आया है।

भत्ते तो प्रदेश सरकार अपनी मर्जी से लागू करती व देती आयी है इसलिए पंजाब वेतनमान की मांग करने का कोई औचित्य भी नहीं बनता । प्रदेश सरकार बजट में केंद्रीय वेतनमान की सिफारिशों को लागू कर प्रदेश के कर्मचारियों को सौगात दे कर एक नयी पहल कर सकती है।

(स्वतंत्र लेखक राजेश वर्मा बलद्वाड़ा, मंडी के रहने वाले हैं और उनसे 7018329898 पर संपर्क किया जा सकता है।)