इन हिमाचल डेस्क।। प्रदेश के विभिन्न हिस्सों में जरूरतमंद लोगों के पास जाकर उनके साथ तस्वीर खिंचाने और उन लोगों का दर्द उठाने का दावा करने वाले कांगड़ा जिले के एक समाजसेवी की सोशल मीडिया पोस्ट्स काफी शेयर की जाती हैं। लोग भावुक होकर कई जरूरतमंद लोगों की मदद भी कर चुके हैं। मगर कई बार उनकी पोस्ट्स में किए जाने वाले दावों की पूरी सच्चाई पर सवाल भी उठते रहे हैं।
ताजा मामला है मंडी जिले के जोगिंदर नगर के द्राहल गांव की बर्फी देवी का। सोशल मीडिया पर पोस्ट वाइरल हुई कि बर्फी देवी 17 साल पहले पति की मौत हो जाने के बाद मुश्किल हाल में रह रही हैं।
दावा किया गया कि जूते पोलिश करके 20-25 रुपये कमाती हैं मगर पंचायत ने उन्हें गांव की सबसे अमीर महिला घोषित किया है और 7 साल पहले आईआरडीपी से नाम काट दिया गया।
पुत्रा,20 या 25 रुपये कमा लेती हूं शाम तक जूते पालिश या सिल कर पर जूतों को सिलाने का रिवाज तो लगभग खत्म हो गया है…
Sanjay Sharma ಅವರಿಂದ ಈ ದಿನದಂದು ಪೋಸ್ಟ್ ಮಾಡಲಾಗಿದೆ ಭಾನುವಾರ, ಮಾರ್ಚ್ 10, 2019
जाहिर है, ऐसा होना नहीं चाहिए किसी के साथ। मगर यह तो हुआ एक पहलू-
डीसी मंडी ने कहा- गलत तस्वीरें शेयर हुईं
‘इन हिमाचल’ से बातचीत में मंडी के डीसी ऋग्वेद मिलिंद ठाकुर ने बताया, “हमने मामले की जांच की है। जांच के पहले हिस्से में सामने आया है कि महिला के घर की जो तस्वीर सोशल मीडिया में शेयर की गई है, वो गलत है। महिला का पक्का मकान है और वह अपने रोजगार के लिए काम करती हैं। अभी मामले को पूरी तरह देखा जा रहा है।”
क्या बोले संजय शर्मा
‘इन हिमाचल’ ने समाजसेवी संजय शर्मा से भी संपर्क किया। उन्होंने कहा, “मुझे ये मामला समाचार पत्र के माध्यम से जानकारी में आया और उसके बाद मैं महिला से मिला। महिला ने जो तथ्य मेरे सामने रखे, उसी पर मैंने उसके लिए राशन की व्यवस्था भी की थी। प्रधान ने भी महिला की जानकारी को सही बताया था।”
संजय ने कहा कि उनके पास इसकी वीडियो रिकॉर्डिंग भी मौजूद है। उन्होंने कहा कि वह समाज सेवा के लिए काम कर रहे है। ‘इन हिमाचल’ के सवालों पर उन्होंने कहा कि उन्होंने महिला की मदद की है लेकिन प्रशासन जो तथ्य बता रहा है और इन हिमाचल ने जो तथ्य रखे हैं, उससे सबक लेते हुए आगे हर मामले के सभी पहलू देखकर काम करेंगे ताकि समाज में गलत संदेश न जाए।
क्या सामने आया है पड़ताल में?
सोशल मीडिया पर पोस्ट की जानकारी मिलने के बाद मुख्यमंत्री कार्यालय की ओर से डीसी मंडी को आदेश दिया गया। प्रशासन हरकत में आया और मामले की पड़ताल की तो और ही कहानी सामने आई। अब प्रशासन का पक्ष सुनिए।
पंचायत का कहना है कि बर्फी देवी का नाम परिवार रजिस्टर में बड़े बेटे नरेश के साथ दर्ज है।
नरेश सम्पन्न हैं और कुल्लू में रहते हैं।
बर्फी देवी दावा करती हैं कि वह छोटे बेटे रमेश के घर में रहती हैं मगर उनके पास नरेश के घर की भी चाबियां हैं। ये पक्का मकान है और सब सुविधाओं से सम्पन्न है।
उनके छोटे बेटे रमेश का घर भी लेंटर वाला है। हालांकि उसमें दरार आई है और पंचायत ने उसकी तस्वीरेँ आगे भेजने का दावा किया है।
और जो चूल्हे की तस्वीर शेयर की गई है, हिमाचल में इस तरह से घर से बाहर भी पानी गर्म करने आदि के लिए शेड के नीचे चूल्हे बनाने का रिवाज है।
बहरहाल, मुख्यमंत्री कार्यालय से निर्देश मिलने के बाद प्रशासन ने इस मामले में कदम उठाना शुरू कर दिया है ताकि बुजुर्ग महिला को सरकारी योजनाओं के तहत लाभ दिया जाए। उज्ज्वला योजना के तहत भी बर्फी देवी को लाया जा सकता है।
मेहनतकशी की मिसाल हैं बर्फी देवी
परिवार के अन्य सदस्यों का पक्ष सामने नहीं आया है, संजय शर्मा की पोस्ट में सिर्फ महिला के हवाले से बात रखी गई है। लेकिन यह बात भी समझी जानी चाहिए कि यदि कोई आत्मनिर्भरता के लिए रोजगार के लिए काम कर भी रहा है, उसे गलत निगाह से दीन-हीन नहीं समझना चाहिए। साथ ही सोशल मीडिया पर कुछ भी पोस्ट करते समय यह जिम्मेदारी बनती है कि हर पहलू को सामने रखा जाए। एक तरफा दावे अक्सर भ्रामक हो सकते हैं। इससे जनता को भी सबक यह है कि सोशल मीडिया पर पोस्ट की गई हर बात पर आंख मूंदकर यकीन नहीं करना चाहिए।