4 साल से दिल्ली में सरकारी बंगला खाली नहीं कर रहे वीरभद्र सिंह

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इन हिमाचल डेस्क।। दिल्ली के वीआईपी एरिया लुटिन्यस जोन को ब्रिटिशन आर्किटेक्ट एडविन लुटियन्स ने 20वीं सदी की शुरुआत में डिजाइन किया था। बड़े ही सुनियोजित ढंग से पेड़ लगाए गए थे, बड़े-बड़े बंगले बनाए गए थे और चौड़ी सड़कें बनाई गई थीं। ये बंगले बड़े मत्रियों और अधिकारियों आदि को अलॉट होते हैं। मगर ये बंगले बहुत कम हैं और मंत्रियों और अन्य वीवीआईपी लोगों की संख्या बहुत ज्यादा हो गई है।

यहां का ठाठ कुछ ऐसा है कि जिन्हें यहां बंगला मिल जाए, वह मुश्किल से ही छोड़ता है। जब कार्यकाल पूरा हो जाता है या दिल्ली से बाहर जाना पड़ता है, तब भी बहुत से नेता इन बंगलों को नहीं छोड़ते। सबसे खास बात यह है कि जो लोग तय सीमा से एक्स्ट्रा रुकते हैं, उन्हें डेढ़ से 2 लाख रुपये प्रति वर्ष यानी करीब 10 से 15 हजार रुपये हर महीने के हिसाब से ही किराया देना पड़ता था।

इस नीति को सख्त बनाते हुए इस साल जून में एनडीए सरकार ने कड़ा रुख अपनाया और एक महीना अतिरिक्त रुकने पर 10 प्रतिशत एक्स्ट्रा चार्ज लगाया और दूसरे महीने से यह पेनल्टी 20 पर्सेंट कर दी। जब तक कि किराया 10 लाख नहीं हो जाता, तब तक हर महीने यह डबल होता रहता है।

अंग्रेजी अखबार हिंदुस्तान टाइम्स की खबर इस तरह से बहुत से लोगों ने तो अपने बंगले खाली कर दिए, मगर 4 वीआईपी ऐसे हैं, जिन्होंने ये बंगले अब तक नहीं छोड़े। इन चार लोगों में एक नाम हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह का भी है।

वीरभद्र सिंह ने अब तक दिल्ली का सरकारी बंगला खाली नहीं किया है।
वीरभद्र सिंह ने अब तक दिल्ली का सरकारी बंगला खाली नहीं किया है।

वीरभद्र सिंह को 1 जंतर-मंतर वाला बंगला तब अलॉट हुआ था, जब वह यूपीए 1 में केंद्रीय इस्पात मंत्री थे। जब 2012 में वह हिमाचल के मुख्यमंत्री बने और यहां लौट आए, तब नियमानुसार उन्हें यह बंगला खाली करना था। मगर उन्होंने आज तक यह बंगला खाली नहीं किया। यानी 4 साल से वह बंगले पर कब्जा जमाए बैठे हैं। जनसत्ता की खबर कहती है कि वह बंगला खाली कराए जाने के आदेश के खिलाफ अदालत गए हैं। (क्लिक करके खबर पढ़ें)

गौरतलब है कि साउथ दिल्ली के महरौली में मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह के बेटे और बेटी के नाम से बनी कंपनी के नाम पर एक फार्म हाउस भी है। इस फार्म हाउस का सौदा भी सीबीआई जांच के दायरे में है। नई दुनिया की खबर के मुताबिक साल 2011 में खरीदे गए इस फार्म के लिए लगभग साढ़े पांच करोड़ रुपये नकद दिए गए थे। बेचने वाले व्यक्ति ने खुद आयकर विभाग को दिए बयान में इसका खुलासा किया है और बयान की यह प्रति सीबीआई के पास मौजूद है। (क्लिक करके खबर पढ़ें)

2012 में दिल्ली में मंत्री पद छोड़कर सीएम बनने हिमाचल आ गए थे वीरभद्र।
2012 में दिल्ली में मंत्री पद छोड़कर सीएम बनने हिमाचल आ गए थे वीरभद्र।

उनके अलावा उत्तराखंड के सीएम हरीश रावत, पूर्व गृहमंत्री बूटा सिंह और असम के मुख्यमंत्री सरबानंद सोनवाल शामिल हैं। गौरतलब है कि इस मामले में एनडीए सरकार ने सख्त नीति अपनाई है और पूर्व वित्त मंत्री यशवंत सिन्हा तक को नियमों के आधार पर अपना घर खाली करना पड़ा था।