शिमला।। दो दिन पहले बेंगलुरु से चलने वाले पोर्टल ‘वन इंडिया’ में एक खबर छपी- हिमाचल चुनाव: भाजपा प्रत्याशियों की सूची में वीरभद्र के मंत्री भी शामिल! इसमें दावा किया गया था कि केंद्रीय मंत्री जेपी नड्डा ने हिमाचल बीजेपी के अध्यक्ष सतपाल सिंह सत्ती को एक ईमेल भेजकर बताया है कि किन लोगों को बीजेपी इस बार टिकट देगी। बाकायदा इसका स्क्रीनशॉट लगाया था जिसमें नड्डा और सत्ती की ईमेल आईडी नज़र आ रही थी। अब देखा-देखी में कई सारे पोर्टलों ने यह खबर चला दी। बता दें कि इस स्क्रीनशॉट वाला ईमेल ‘इन हिमाचल’ को भी आया था, मगर हमने पाया था कि इस स्क्रीनशॉट में कोई विश्वसनीयता नहीं है। और इसीलिए हमने फर्जी आईडी से आए ईमेल पर भरोसा नहीं करते। आज हम पाठकों को बताते हैं कि कैसे नकली स्क्रीनशॉट लिया जा सकता है।
अमूमन हम खुद को जानकारियां देने वालों का पता जाहिर नहीं करते और उनकी निजता बनाए रखते हैं। मगर चूंकि इस ईमेल में निजता बनाए रखने के लिए नहीं कहा गया था और राजनीतिक ईमेल था, इसलिए हम यहां गोपनीयता न बरतते हुए पारदर्शिता बरत रहे हैं। अन्य खुफिया सूचनाओं या पाठकों की तरफ से मिलने वाली अहम जानकारियों के मामले में हम उनकी पहचान छिपाए रखने की नीति को जारी रखेंगे। 30 अगस्त को हमारे पास himachalpradesh@protonmail.com से ईमेल आया, जिसे हमारे साथ info@hillpost.com को सीसी किया गया था। यही नहीं, जब हमने इसे नहीं छापा तो आज फिर सुबह 10.30 पर हमें इसने यही ईमेल फॉरवर्ड किया। इसमें दो स्क्रीनशॉट्स थे, जो नीचे हैं:
हमने सबसे पहले ईमेल अड्रेस की जांच की तो पता चला कि नड्डा और सत्ती इन्हीं ईमेल अड्रेस को इस्तेमाल करते रहे हैं और इंटरनेट पर बीजेपी की वेबसाइट्स पर उनके यही अड्रेस मेंशन किए गए हैं। यानी कोई भी जान सकता है कि इन नेताओं के पते क्या हैं। फिर उनके आधार पर स्क्रीनशॉट लेने के लिए फर्जी ईमेल दिखाना आसान है।
आप ऊपर से स्क्रीनशॉट्स देखेंगे तो लगता है कि नड्डा ने सत्ती को ईमेल भेजा है। और फिर इसे आगे फॉरवर्ड किया गया है। अब इस ईमेल को या तो सत्ती फॉरवर्ड कर सकते हैं या नड्डा। मगर दोनों ऐसा क्यों करेंगे। मगर इस फर्जी ईमेल का स्क्रीनशॉट बनाने वाला चालाक तो था, मगर एक हद तक। उसे लगता होगा कि हर कोई उसकी बातों पर यकीन कर लेगा और ऐसा हुआ भी। कुछ मीडिया पोर्टल्स ने खबरें छाप दीं। मगर हमने किस आधार पर पड़ताल की और क्यों इसे विश्वसनीय नहीं पाया, हम आगे बता रहे हैं-
फॉरवर्ड करते वक्त ईमेल अड्रेस भी एडिट हो सकते हैं
जब कभी आप किसी ईमेल अड्रेस को फॉरवर्ड करने लगते हैं, उसका टेक्स्ट नीला हो जाता है। साथ ही एडिट मोड ऑन हो जाता है, जिससे आप मूल ईमेल के कॉन्टेंट में बदलाव कर सकते हैं। यहां तक कि आप उन अड्रेस को भी बदल सकते हैं, जिनका मूल ईमेल में जिक्र है। यानी किसी बंदे ने पहले तो ईमेल आईडी के बीच फर्जी ईमेल भेजा, फिर उसे फॉरवर्ड करने लगा तो भेजने वाले की आईडी को एडिट करके वहां नड्डा की आईडी डाल दी और रिसीव करने वाली की आईडी की जगह सत्ती की। ठीक ऐसे ही, जैसे हमने आपको समझाने के लिए फर्जी स्क्रीनशॉट इसी तरीके से बनाया है।
बहरहाल, ये तो बाद की बातें हैं। In Himachal लिस्ट में शामिल नामों से ही समझ गया था कि इस मेल को तैयार करने वाली की राजनीतिक समझ इतनी कम है कि उसने जिन नामों को शामिल किया है, उनमें से कुछ को टिकट मिलने के आसान दूर-दूर तक नहीं हैं। साथ ही कुछ ऐसे नाम भी लिख दिए हैं, जिन्हें साफ टिकट मिलने तय हैं। मगर जोगिंदर नगर समेत कई ऐसी सीटें, जहां भ्रम की स्थिति बनी हुई है, वहां पर कैंडिडेट्स के नाम तक नहीं लिखे। 68 में से 31 नामों की ही लिस्ट?
कौन है ईमेल भेजने वाला
हमने खोजबीन आगे बढ़ाई। पता चला कि यह फर्जी ईमेल भेजने वाला संभवत: बीजेपी का ही कार्यकर्ता है। संभव है वह धूमल समर्थक खेमे का न हो और नड्डा समर्थक खेमे का हो। इसीलिए उसने इस लिस्ट में हमीरपुर में प्रेम कुमार धूमल की जगह उनके बेटे अरुण का नाम लिखकर यह संकेत देने की कोशिश है कि इस बार धूमल सीएम नहीं बनेंगे। वैसे कोई कितना भी चालाक बन जाए, सबूत छोड़ ही देता है।
जिस ईमेल आईडी से हमें यह ईमेल भेजा गया था, उस आईडी से फेसबुक पर एक प्रोफाइल बनी है- भ्रष्टाचार मुक्त हिमाचल, जिसका यूआरएल- https://www.facebook.com/himachal.sharma.180 है। आप himachalpradesh@protonmail.com को फेसबुक पर सर्च करके इस आईडी को ढूंढ सकते हैं। यानी हो सकता है कि किसी ‘शर्मा’ टाइटल वाले व्यक्ति ने यग प्रोफाइल बनाई हो। मगर इस प्रोफाइल को गौर से देखें तो डिस्प्ले इमेज में “धूमल और वीरभद्र के गले मिलने वाली तस्वीर” लगाई गई है और ऊपर कवर इमेज में पीएम मोदी के साथ सिर्फ नड्डा हैं। बहुत संभावना है कि नड्डा के किसी अनाड़ी समर्थक ने इस मनगढ़ंत लिस्ट बनाने का पूरा खेल रचा हो।
मगर अफसोस, हमारा मीडिया का कुछ हिस्सा बिना चीज़ों को वेरिफाई किए भ्रम फैला रहा है। वह भी तब, जब दूसरों की ईमेल आईडी के माध्यम से भ्रम फैलाना अपराध है और सज़ा मिल सकती है।