जानें, बीजेपी के लिए प्रतिष्ठा का विषय क्यों था सांगटी उपचुनाव

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शिमला।। नगर निगम शिमला के सांगटी वॉर्ड में हुए उपचुनाव में बीजेपी की उम्मीदवार मीरा शर्मा ने 44 वोटों से जीत हासिल की है. उन्होंने कांग्रेस की शिल्पा चौहान को हराकर अपनी तीसरा चुनाव जीता.

मीरा ने साल 2007 में सीपीएम, 2017 में कांग्रेस और अब बीजेपी के टिकट पर इलेक्शन लड़कर जीत हासिल की है. इस तरह से वह शिमला नगर निगम के लिए तीन बार अलग-अलग पार्टियों के टिकट से चुनाव लड़कर जीतने वाली पहली पार्षद बन गई हैं.

मीरा शर्मा को 622, कांग्रेस की शिल्पा चौहान को 578 और सीपीएम की उम्मीदवार रंजना वर्मा को 488 वोट मिले.

बीजेपी के लिए अहम है यह जीत
मीरा शर्मा की यह जीत भारतीय जनता पार्टी के लिए काफी अहमियत रखती है क्योंकि यह चुनाव बीजेपी के लिए नाक का सवाल बन गया था.

मीरा ने पिछला चुनाव कांग्रेस के टिकट पर लड़ा था और फिर इस्तीफा दे दिया था. उपचुनाव में उन्होंने दोबारा हिस्सा लिया मगर बीजेपी के टिकट पर.

ऐसे में उनके लिए तो जीतना अहम था ही, बीजेपी के लिए पर प्रतिष्ठा का विषय बन गया था. मगर राह में कई मुश्किलें आ रही थी.

भारतीय जनता पार्टी के कार्यकर्ताओं में नाराजगी थी कि क्यों उस प्रत्याशी को टिकट दिया गया, जिसके खिलाफ पिछले चुनाव में उन्होंने काम किया था.

इसके अलावा पार्टी की अंदरूनी राजनीति के बादल भी इस उपचुनाव पर घिरने लगे थे. शिमला अर्बन के एमएलए और शिक्षा मंत्री सुरेश भारद्वाज और कोटखाई के विधायक नरेंद्र बरागटा की आपसी प्रतिद्वंद्विता भी मीरा शर्मा के लिए मुश्किल का सबब बनने लगी थी.दरअसल सांगटी वार्ड में शिमला के ऊपरी इलाकों की आबादी ज़्यादा है और ये दोनों नेता वहीं से संबंध रखते हैं। ऐसे में दोनों के बीच तारतम्य जीतने के लिए ज़रूरी था।

उधर कांग्रेस तो पूरा ज़ोर लगा ही रही थी, सीपीएम ने भी पूरी ताक़त झोंक दी थी. मगर संगठन से रिपोर्ट मिलने के बाद मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने आखिरकार इस मामले में दखल दिया और सभी को साथ बिठाया. सांगटी उपचुनाव के लिए मुख्यमंत्री के आधिकारिक आवास ओकओवर में बैठक हुई थी।

इस बैठक में सीएम ने सबकी बातें सुनी और सबकी समस्याओं को सुलझाने का वादा करते हुए कहा कि बाक़ी काम बाद में, पहले एकजुट होकर चुनाव पर ध्यान दें.

इस बीच जिद पर अड़े कुछ नेताओं को मुख्यमंत्री ने कड़े शब्दों में घुड़की भी पिलाई.बाद में नेताओं ने जीत के लिए एकजुट होकर काम करने का आश्वासन दिया था।

अब चुनाव के नतीजे बीजेपी के पक्ष में रहे हैं तो पार्टी कार्यालय में जश्न का माहौल है. बेशक यह नगर निगम पर एक सीट का उपचुनाव था मगर इसमें जीत के माध्यम से जयराम कहीं न कहीं यह संदेश देने में कामयाब रहे हैं कि वह पार्टी के अंदर के मदभेदों को दूर कर सकते हैं. जानकारों का कहना है कि इसके पीछे उनका पार्टी के प्रदेशाध्यक्ष के तौर अर्जित अनुभव भी काम आया.