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कुल्लू: अब तक 44 लोगों की मौत, जानें हादसे के 5 कारण

कुल्लू।। हिमाचल प्रदेश के कुल्लू जिले के बंजार में गुरुवार शाम चार बजे के करीब हुए बस हादसे में मरने वालों की संख्या 44 पहुंच गई है। 35 लोग घायल हैं और उनका इलाज चल रहा है। बस एक मोड़ के पास अनियंत्रित होकर 500 फुट गहरी खाई में गिर गई थी। बस ओवरलोड थी और इसमें क्षमता से लगभग दोगुने यात्री भरे हुए थे। अब हादसे को लेकर कुछ और बातें भी सामने आ रही हैं। जानें, अब तक मिली जानकारी के अनुसार हादसे के क्या कारण हो सकते हैं-

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1. पुरानी बस
मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने हादसे की मजीस्ट्रियल जांच के आदेश दे दिए हैं। मगर इस बीच कुछ और बातें भी सामने आ रही हैं जिससे पता चल रहा है कि हादसा क्यों हुआ। सबसे पहली बात तो यह कि बस पुरानी थी और अक्सर उसमें दिक्कतें आती रहती थी। ऐसा कहा जा रहा है कि गियर फंस जाने के कारण यह हादसा हुआ।

2. ओवरलोडिंग
यह बस ओवरलोडेड थी। जहां पर यह हादसा हुआ, वहां मोड़ के साथ चढ़ाई भी थी। इस बस में लगभग 80 यात्री सवार थे और उनमें से कुछ छत पर भी बैठे थे। इस कारण चढ़ाई में बस अनियंत्रित हो गई। हालांकि पुलिस ने शुरुआती जांच में पाया है कि मोड़ के पास बस की ब्रेक न लगने से यह हादसा हुआ।

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3. अनाड़ी ड्राइवर
इस बस का ड्राइवर नौसिखिया होने की बातें भी सामने आ रही हैं। अमर उजाला ने लिखा है कि ड्राइवर पहली बार इस बस को चला रहा था वह बस से कूद गया था। पंजाब केसरी ने लिखा है- “लोगों का कहना है कि इस प्राइवेट बस में कोई रेगुलर चालक कभी नहीं देखा। कभी जीप चालक उसे चलाता है तो कभी टिप्पर चालक उसे चलाते हुए देखा गया है।”पुलिस ने चालक के खिलाफ मामला दर्ज करके छानबीन शुरू कर दी है। ड्राइवर के बारे में कोई जानकारी नहीं मिल पा रही है।

4. सुरक्षा के उपाय नहीं
जहां पर यह हादसा हुआ है, वहां तीखे मोड़ों के पास खड़ी घाटी है। यहां पर हादसे होने की आशंका बनी रहती थी। मगर जहां से बस गिरी, वहां न तो पैरापिट थे और न ही क्रैश बैरियर।

5. प्रशासनिक लापरवाही
हादसे के लिए प्रशासन भी जिम्मेदार माना जा सकता है। दरअसल लोगों का कहना है कि अक्सर ही यह बस ऐसे ही ओवरलोडेड जाती थी मगर किसी ने रोकना उचित नहीं समझा। कुल्लू और मंडी के अंदरूनी इलाकों के लोग मजबूरी में इस बस से यात्रा करते थे।

इस बस में यात्री ज्यादा होने का कारण यह भी बताया जा रहा है कि ग्रामीण इलाकों के लोगों के पास रोजगार के साधन कम हैं इसलिए वे पैसे बचाने के चक्कर में निजी बस से जाते थे क्योंकि सरकारी बसों की तुलना में निजी बस कम किराया लेती थी।

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