नई दिल्ली।। पीएम नरेंद्र मोदी ने आजादी के 75वें स्वतंत्रता दिवस के मौके पर देश को संबोधित करते हुए पांच प्रण और त्रिशक्ति का जिक्र किया। ये पांच प्रण क्या हैं और त्रिशक्ति क्या है, आइए देखते हैं-
पहला प्रण : 2047 तक विकसित भारत
पीएम नरेंद्र मोदी ने पहले प्रण का जिक्र करते हुए कहा कि हमें 2047 तक विकसित भारत के लक्ष्य पर काम करना होगा। इसके लिए हम सबको मिलकर काम करना होगा। विकसित भारत हमारा पहला संकल्प है। यह बड़ा संकल्प है, लेकिन इससे कम हमें मंजूर नहीं है।
दूसरा प्रण : गुलामी के अहसास से आजादी
पीएम मोदी ने लाल किले से लोगों को मानसिकता में बदलाव का संदेश दिया। उन्होंने कहा कि हमें दूसरे प्रण के रूप में गुलामी की मानसिकता से आजादी पर काम करना चाहिए। हमारी आदतों में गुलामी का कोई अंश है तो उसे निकालना होगा। हमें उसे बचने नहीं देना है।
तीसरा प्रण : विरासत पर गर्व
पीएम मोदी ने कहा कि हमें अपनी विरासत पर गर्व होना चाहिए। हमारी सांस्कृतिक विरासत दुनिया को रास्ता दिखाती है। हम सबको मिलकर अपनी विरासत के प्रति गर्व का भाव विकसित करना चाहिए।
चौथा प्रण : एकता और एकजुटता
पीएम नरेंद्र मोदी ने कहा कहा कि हमें एकता और एकजुटता पर जोर देना होगा।एकजुटता हमें किसी भी मुश्किल परिस्थिति का सामना करने की ताकत देता है। अगर 130 करोड़ भारतीय एकजुट हो जाएं।
पांचवां प्रण : नागरिकों का कर्तव्य
पीएम मोदी ने पांचवें प्रण का जिक्र करत हुए कहा कि नागरिकों को अपने कर्तव्य के प्रति जागरूक होना चाहिए। कर्तव्यों के प्रति जागरूक नागरिक ही देश को प्रगति की राह पर ले जाने में कामयाब होंगे।
त्रिशक्ति
पीएम नरेंद्र मोदी ने देश के विकास के लिए त्रिशक्ति का जिक्र किया। पीएम ने कहा कि आज दुनिया का भारत को लेकर नजरिया बदल चुका है। दुनिया भारत की धरती पर समाधान देखने लगी है। 75 साल की अनुभव यात्रा का यह परिणाम है। विश्व भी उम्मीदें लेकर जी रहा है, उम्मीदें पूरी करने का सामर्थ्य कहां पड़ा है। त्रिशक्ति के रूप में मैं इसे देखता हूं-
1. एसपिरेशन
2. पुनर्जागरण
3. विश्व की उम्मीदें