जानें, क्या है खुदाई के दौरान मूर्ति से लिपटे नाग की हकीकत

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शिमला।। सोशल मीडिया के दौर में बहुत से लोग फेसबुक और वॉट्सऐप पर कहीं से भी आने वाले कॉन्टेंट को सच मान लेते हैं और आंख मूंदकर आगे बढ़ा देते हैं। इसी तरह से झूठ, अफवाहों और साजिशों का प्रसार होता है। अब सोशल मीडिया पर कुछ पेज यह प्रचारित कर रहे हैं कि हिमाचल में फोर लेन के काम के दौरान एक मूर्ति मिली है, जिससे काफी देक तक एक नाग चिपका रहा।

विभिन्न पेजों से शेयर किए गए इस कॉन्टेंट को बहुत से लोग सच मानकर शेयर कर चुके हैं। मगर हकीकत है कि हिमाचल प्रदेश में ऐसी कोई घटना नहीं हुई है।

मामला दरअसल महाराष्ट्र के बीड जिले का है। परली अम्बाजोगाई रोड पर कन्हेरवाड़ी के पास यह मूर्ति मिली है। यहां खुदाई की जा रही ताकि मिट्टी को सड़क निर्माण में इस्तेमाल किया जाए। खुदाई के दौरान वहां पर एक नाग नजर आया, जो संभवत: बिल नष्ट हो जाने के कारण बदहवास था। नीचे वीडियो में देखा जा सकता है कि जेसीबी के पंजे से नाग डरा हुआ है। उसे भगाने की कोशिश की जा रही है।

फिर किसी ने शायद यहीं पर खुदाई में निकली एक मूर्ति को नाग के आगे डाल दिया, जो संभवत: शरारतपूर्ण था। बेचारा जीव छिपने के लिए मूर्ति का सहारा लेने लगा और आखिरकार उस मूर्ति से लिपट गया। आपने देखा होगा कि डरे हुए सांप अक्सर किसी न किसी चीज से लिपट जाया करते हैं। बहरहाल, ये सांप काफी देर तक यूं ही लिपटा रहा।

मगर अब तक लोगों को मसाला मिल चुका था कि फ्लां जगह खुदाई में मूर्ति निकली है और नाग चिपककर बैठा है। बहुत सी सुनी सुनाई कहानियों से यह किस्सा भी मैच कर रहा था। तो चर्चाओं का दौर शुरू हो गया। कुछ ने तस्वीरें खींची और सोशल मीडिया पर डाल दीं। पूरे भारत में खबर जंगल में आग की तरह फैल गई। हर कोई इसे अपने यहां की घटना बताने लगा। उत्तर प्रदेश के लोगों ने इसे यूपी के ही किसी इलाके की घटना बताया तो मध्य प्रदेश के किसी व्यक्ति ने अपने यहां की। हिमाचल के कुछ पेज भी अफवाहें फैलाने में शामिल हो गए।

हकीकत यह है कि जिस जगह पर मूर्ति मिली है, वहां पहले भी पुरातात्विक चीजें मिलती रही हैं। चर्चा है कि ये 11वीं शताब्दी की कोई प्रतिमा हो सकती है। कुछ इसे दंड के कारण कुबेर की प्रतिमा बता रहे हैं तो कुछ इसे सूर्य की प्रतिमा बता रहे हैं। गदा देखकर कुछ ने हनुमान की प्रतिमा भी बता दिया। मगर अभी पुरातत्व विभाग की ओर से जानकारी नहीं मिली है कि यह कब की मूर्ति है।

इससे पहले कि पुरातत्व विभाग कार्बन डेटिंग आदि से मूर्ति के सही समय का पता चलता, आस्था के नाम पर पूजा-पाठ की दुकान इस जगह पर खुल गई और दूर-दूर से लोग आने लगे। देखें:

बहरहाल, हिमाचल प्रदेश के लोग निश्चिंत रहें, आपके प्रदेश में यह मूर्ति नहीं मिली है। अफवाहों पर ध्यान न दें।