सरकाघाट पुलिस ने मंत्री की पत्नी को दे दी एस्कॉर्ट

सरकाघाट।। आर्थिक तंगी के दौरान हिमाचल प्रदेश सरकार ने जहां प्रदेश की आईपीएच मंत्री और उनके परिवार को चार चार गाड़ियां मुहैया करवाई है वहीं पर अब मंत्रियों की पत्नियों को भी पुलिस ने एस्कॉर्ट सुविधा देना शुरू कर दिया है। बीते कल सजाओपीपलू में आयोजित एक संस्था के कार्यक्रम में एक तरफ जहां आईपीएच मंत्री महेंद्र सिंह के परिवार के लिए सरकारी गाड़ी तैनात थी तो वहीं दूसरी तरफ स्वास्थ्य मंत्री विपिन परमार की पत्नी के लिए ना सिर्फ स्वास्थ्य मंत्री की सरकारी गाड़ी मुहैया करवाई गई थी बल्कि पुलिस द्वारा एस्कॉर्ट सेवा उपलब्ध करवाकर एक नई प्रथा शुरू कर दी गई है।

एक तरफ केंद्र की मोदी सरकार वीआईपी कल्चर खत्म करने में जुटी है वहीं प्रदेश की भाजपा सरकार इसी वीआईपी कल्चर की धज्जियां उड़ाने में जुटी है। यहां तक कि लाल बत्ती का कानून खत्म तो कर दिया गया है लेकिन आज भी हिमाचल प्रदेश सरकार के मंत्री उनकी धर्मपत्नी और परिवार को पुलिस एस्कॉर्ट प्रदान कर रही है।

शुक्रवार को स्वास्थ्य शिविर में स्वास्थ्य मंत्री विपन परमार की पत्नी बतौर मुख्य अतिथी उपस्थित हुई। मंत्री की पत्नी को सरकाघाट पुलिस की गाड़ी ने अपनी सीमा से लेकर धर्मपुर की सीमा तक बकायदा एस्कॉर्ट किया।

शहर के लोग उस वक्त हैरान रह गए जब स्वास्थ्य मंत्री की फॉरच्यूनर गाड़ी में उनकी धर्मपत्नी को पुलिस विभाग द्वारा एस्कॉर्ट किया गया। पुलिस की पायलत गाड़ी लगातार सायरन बजाते हुए बाजार से गुजरी, जैसे क्षेत्र में मुख्यमंत्री का दौरा हो। स्वास्थ्य शिविर में मुख्यमंत्री की धर्मपत्नी डॉक्टर साधना ठाकुर को आमंत्रित किया गया था परंतु वह तो नहीं आईं, उनकी जगह स्वास्थ्य मंत्री की पत्नी ने इस स्वास्थ्य शिविर में बतौर मुख्य अतिथि शिरकत की।

गलतफहमी हुई थी: डीएसपी
डीएसपी सरकाघाट चंद्रपाल सिंह ने कहा कि शायद पुलिसकर्मियों को गलती लग गई थी और गलतफहमी में पुलिस की गाड़ी मुहैया की गई थी क्योंकि शहर में ट्रैफिक जाम हुआ था। उन्होंने बताया कि उन्हें भी सूचना थी कि शिविर में रेड क्रॉस की अध्यक्षता मुख्यमंत्री की धर्मपत्नी आ रही है, शायद पुलिसकर्मियों को भी इसकी गलतफहमी हो गई होगी। डीएसपी ने कहा कि अगर गाड़ी हुटर बजाती हुई निकली होगी तो वह इस मामले की जांच करेंगे। उन्होंने कहा कि इसे एस्कॉर्ट नहीं कह सकते है।

मामला उजागर होने के बाद पुलिस इसे मात्र गलतफहमी का बयान देकर पल्ला छुड़ाना चाहती है। वहीं विपक्ष में बैठे कांग्रेस, माकपा और धर्मपुर न्याय मंच ने इस मुद्दे को लेकर सत्तारूढ़ भाजपा सरकार को घेरना शुरू कर दिया है।

प्रदेश हथकरघा निगम के पूर्व उपाध्यक्ष एवं कांग्रेस नेता चंद्रशेखर ने कहा की सस्ती लोकप्रियता हासिल करने व सरकारी धन के दुरुपयोग धर्मपुर में लगातार किए जा रही है। उन्होंने कहा कि अगर आईपीएच मंत्री महेंद्र सिंह ठाकुर जनसेवा की भावना से तीन दिवसीय स्वास्थ्य लगाते तो ज्यादा अच्छा होता। उन्होंने कहा, “इसमें स्वास्थ्य मंत्री की धर्मपत्नी को अगर बुलाया ही गया था तो उसके लिए वह निजी वाहन उपलब्ध करवाते ना कि स्वास्थ्य मंत्री की सरकारी फॉर्च्यूनर गाड़ी में उन्हें लाते।”

उन्होंने कहा कि इस मामले में साफ दर्शाता है कि मंत्री के परिवार किस तरह सरकारी सुविधा का लुत्फ़ उठा रहे हैं तथा धन का दुरुपयोग किया जा रहा है। चंद्रशेखर ने सवाल उठाया कि महेंद्र सिंह के परिवार की जिस संस्था को चलाया जा रहा है उसे धन कहां से आ रहा है। इसकी फंडिंग करने वाली एजेंसी कौन है, इसकी भी जांच होनी चाहिए।

चन्द्रशेखर ने कहा कि जिस तरह शिविरों के नाम पर सस्ती लोकप्रियता हासिल करने और सरकारी धन के दुरुपयोग का गोरखधंधा धर्मपुर विधानसभा क्षेत्र में चला है इसे पूरी तरह बंद किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि कांग्रेस पार्टी ने इसके ख़िलाफ़ सड़कों पर उतरकर आंदोलन शुरू कर दिया है।

उधर ,जिला पार्षद भूपेंद्र सिंह एवं धर्मपुर न्याय मंच ने कहा की प्रदेश की जयराम सरकार जनता के पैसे से मंत्रियों के परिवार के सैर सपाटे और मौज मस्ती के लिए पेसा फूँक रही है। धर्मपुर में मंत्री का पूरा परिवार सरकारी गाड़ियों में घूमता है जिसके बारे में धर्मपुर न्याय मंच पहले भी मुद्दा उठा चुका है, लेकिन मुख्यमंत्री इस परिवार के आगे असहाय नजर आ रहे हैं।

उन्होंने कहा की लोकतंत्र को जिंदा रखना है तो मुख्यमंत्री को मंत्रियों के परिवार को एस्कॉर्ट गाड़ियां मुहैया कराने की प्रथा को ना सिर्फ बंद कर देना चाहिए बल्कि इस मामले की जांच भी की जानी चाहिए तथा दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की जानी चाहिए।