शिमला।। कांग्रेस विधायक राजेंद्र राणा के बेटे और हिमाचल प्रदेश कांग्रेस के सोशल मीडिया प्रभारी अभिषेक राणा पर गलत जानकारी फैलाने का आरोप लगा है। दरअसल, अभिषेक राणा ने कुछ दिन पहले पीजीआई चंडीगढ़ में इलाज करवाने वाले हिमाचलियों की एक जानकारी साझा की थी। अब कांग्रेस विधायक के पुत्र पर इसी जानकारी को लेकर भ्रम फैलाने का आरोप लगा है।
विधायक के बेटे ने क्या किया था शेयर
राजेंद्र राणा के बेटे अभिषेक राणा ने फेसबुक पर आरटीआई से जानकारी लेने का हवाला देते हुए एक पोस्ट किया। साथ ही साथ इस पोस्ट में उन्होंने एक ऐसा दावा भी कर दिया, जिस दावे पर अब सवाल उठ रहे हैं। अभिषेक राणा ने फेसबुक पोस्ट पर लिखा “आज हिमाचल कांग्रेस के सोशल मीडिया विभाग द्वारा इस आरटीआई का खुलासा किया गया जिसमें यह ब्यौरा शामिल है कि हिमाचल से लाखों लोग चंडीगढ़ पीजीआई में रेफर कर दिए जाते हैं।“
उसके आगे उन्होंने कुछ आंकड़े लिखे और अंत में लिखा कि “संदेश साफ है कि हिमाचल प्रदेश पूर्णत: एक रेफर प्रदेश बन चुका है।” लेकिन अभिषेक का दावा भ्रामक है और आरटीआई से मिली सूचना को गलत संदर्भ में पेश किया गया है।
अभिषेक राणा द्वारा शेयर किए गए आंकड़े और उनका स्क्रीन शॉट नीचे दिया गया है।
2018 से 2021 तक का डाटा
2018 में 2,27,576 मरीज़
2019 में 2,35,657 मरीज़
2020 में 75,407 मरीज़ (लॉक्डाउन में)
2021 (जुलाई तक)- 40,152 मरीज़
दरअसल इसी जानकारी में खेल है। इसी को लेकर अब सवाल उठ रहे हैं कि अभिषेक राणा क्यों गलत जानकारी साझा कर रहे हैं। कांग्रेस विधायक के पुत्र ने जिस सूचना का हवाला देते हुए लिखा है कि ‘हिमाचल एक रेफर प्रदेश बन चुका है’ वो जानकारी दरअसल आरटीआई में दी ही नहीं गई है।
आरटीआई में सवाल पूछा गया था कि “हिमाचल प्रदेश से जनवरी 2018 से जुलाई 2021 तक कितने मरीज रेफर होकर एमर्जेंसी वार्ड में आए हैं। इस संबंध में जो जवाब पीजीआई चंडीगढ़ द्वारा दिया गया उसमें लिखा गया है कि “यह जानकारी मांगे गए प्रारूप में उपलब्ध नहीं है।“
अब जिस जानकारी का हवाला अभिषेक ने दिया है, वह अलग सवाल के जवाब से ली गई है। ये दरअसल उन लोगों की संख्या है जो जनवरी 2018 से जुलाई 2021 तक हिमाचल प्रदेश से कितने मरीज जनरल ओपीडी में चेकअप या इलाज करवाने आए हैं। यह आरटीआई में पूछा गया दूसरा सवाल है।
सवाल था- “जनवरी 2018 से लेकर जुलाई 2021 तक हिमाचल प्रदेश से कितने मरीज चंडीगढ़ पीजीआई में जनरल ओपीडी में चेकअप/इलाज करवाने आए।” यानी ये रेफर किए गए लोगों की नहीं बल्कि उन लोगों की संख्या है जो किसी भी वजह से इलाज करवाने पीजीआई पहुंचे और उनका स्थायी पता हिमाचल प्रदेश का है। इसमें केवल उन लोगों की संख्या भी शामिल है जिनका स्थायी पता हिमाचल का है मगर रहते चंडीगढ़ में है। वे लोग भी हैं जो बिना कहीं से कंसल्ट किए सीधे पीजीआई जैसे संस्थान के सुपर स्पेशलिस्ट से इलाज करवाने खुद आए।
हिमाचल से काफी बड़ी संख्या में लोग चंडीगढ़ में रोजगार और अन्य दसरे सिलसिलों में रहते हैं। इनमें भी कई ऐसे लोग भी हैं, जिन्होंने चंडीगढ़ में घर तक बना लिए हैं मगर स्थायी पता हिमाचल का है। ध्यान देने वाली बात यह भी है कि इस दस्तावेज में जानकारी जनवरी 2018 के बाद मांगी गई है। अगर इससे पहले का डेटा होता तो यह भी पता चलता कि कांग्रेस सरकार के दौरान क्या स्थिति थी। और तो और, हिमाचल के लोगों की संख्या भी इस आंकड़े में साल दर साल घटती दिख रही है।
कांग्रेस सरकार के दौरान वीरभद्र भी जाते थे इलाज को चेन्नई
गौरतलब है कि खुद कांग्रेस सरकार में तत्कालीन मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह खुद अपने दांतों के इलाज के लिए पीजीआई चंडीगढ़ तो आंखों के इलाज के लिए चेन्नई तक जाते रहे हैं। इसके अलावा पिछली कांग्रेस सरकार में तत्कालीन स्वास्थ्य मंत्री कौल सिंह ठाकुर टेप कांड के बाद सीने में दर्द होने पर पीजीआई चंडीगढ़ में दाखिल हो गए थे। अन्य कई मंत्री भी इलाज के लिए प्रदेश और देश से बाहर जाते रहे हैं।
अभिषेक राणा की योग्यता पर उठे थे सवाल
खास बात यह है कि अभिषेक राणा को हिमाचल कांग्रेस सोशल मीडिया का प्रभारी बनाया गया है। उन्हें जब यह दायित्व सौंपा गया था तो खुद कांग्रेस के भीतर कई युवा नेताओं ने सवाल खड़े कर दिए थे। इन युवाओं नेताओं का सीधा सा सवाल उस दौरान यह था कि क्या राजेंद्र राणा के बेटे होने पर उन्हें औहदा दे दिया गया। आखिर उनके पास इस पद को लेकर क्या अनुभव और क्वालिफिकेशन है। अब फिर कांग्रेस के ही लोग अभिषेक राणा की इस जानकारी पर भी सवाल खड़े कर रहे हैं। राजनीतिज्ञ तो यहां तक बताते हैं कि राजेंद्र राणा अपने बेटे के लिए टिकट के चाहवान हैं।