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कोरोना लॉकडाउन के चलते बाहर फँसे हिमाचलियों का दर्द

इन हिमाचल डेस्क।। कोरोना वायरस का फैलाव रोकने के लिए घोषित पाबंदियों के कारण पूरे देश में परिवहन के साधन ठप हो गए हैं। इस कारण लोग जहां-तहां फँस गए हैं। मुश्किल दौर में आदमी अपने घर का रुख़ करता है। परिवार सामने होता है तो हिम्मत मिलती है। मगर यह ऐसा संकट है कि लोग अपने घरों तक नहीं पहुँच पा रहे।

देश के विभिन्न हिस्सों में ऐसी तस्वीरें और वीडियो आ रहे हैं कि लोग बेबस हैं और कुछ जगह तो पैदल ही अपने घरों की ओर निकल पड़े हैं। मगर राज्यों की सीमाएँ सील होने के कारण वे न तो घर के रहे, न घाट के। ऊपर से बॉर्डर पर इतने लोग जमा हो गए हैं कि जिस सोशल डिस्टैंसिंग को कोरोना को रोकने के लिए अहम समझा जा रहा है, उसी की ऐसी-तैसी हो गई है।

हिमाचल प्रदेश के बहुत सारे लोग देश-दुनिया के विभिन्न हिस्सों में फँसे हैं। उन्हें लग रहा है कि जब कार्यस्थल या पढ़ाई वाले शहर में यूँ इनडोर लॉक्ड ही रहना है तो बेहतर होता कि समय पर अपने गाँव, अपने घर, हिमाचल पहुँच जाते। इस तरह से अपने घर और परिवार से दूर फँसे लोगों से इन हिमाचल ने बात की और जानना चाहा कि उनके मन में क्या चल रहा है।

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कहां गए हिमाचल के विधायक?’

आशीष भरमौरिया, मंडी निवासी, इस समय हैदराबाद में लॉक्ड।। हैदराबाद में डिजिटल मीडिया में कार्यरत हूं। हमें भी छुट्टी नहीं है, रोज़ ऑफिस जाना होता है। लेकिन परिस्थितियां देखते हुए अब घर की चिंता होती है। मम्मी को मेरी चिंता ज़्यादा होती है क्योंकि मैं तेलंगाना में हूँ जहां अब तक 59 केस सामने आ चुके हैं।

शुक्र है कि हिमाचल में हालत ठीक है। मगर स्थिति और ज़्यादा बिगड़ी तो तनाव बढ़ जाएगा। मेरी परेशानी भी बढ़ेगी और घरवालों की भी। बेबसी ये है कि हालात ख़राब हुए तो मैं घर नहीं पहुँच पाऊँगा।

कोरोना संकट की इस घड़ी में हिमाचल के 67 विधायकों का कोई अता पता नहीं है तो कम से कम सरकार से यही आशा है कि सभी मंत्रियों और बंद विभागों की सरकारी गाड़ियों का इस्तेमाल दूसरे राज्यों में फंसे लोगों को वापस हिमाचल तक पहुंचाने के लिए इस्तेमाल किया जाए।

‘स्पेशल बसें चलाए हिमाचल सरकार’

अनुज चौधरी, काँगड़ा निवासी, इस समय चंडीगढ़ में लॉक्ड।। हमें तो अभी कोई समस्या नहीं हो रही मगर मेरे कुछ परिचित हैं जो इलाज के लिए पीजीआई आए थे। वे इलाज करवा चुके हैं मगर लॉकडाउन के कारण परेशान हैं। वे हिमाचल प्रदेश नहीं लौट पा रहे और सही से देखरेख न होने के कारण उनकी तबीयत बिगड़ने की आशंका बनी हुई है। ऐसे और भी लोग होंगे जो इलाज के लिए बाहर निकले मगर अब फँस गए हैं।

सरकार को चाहिए कि कम से कम बीमार लोगों (कोरोना के अलावा अन्य बीमारियों का इलाज करवाए आए) और बुजुर्गों को हिमाचल लाने का इंतज़ाम करे वरना लॉकडाउन और खिंचा तो उन्हें दिक़्क़त हो सकती है। हम तो जैसे तैसे अपना इंतज़ाम कर लेंगे, मगर सरकार को इस बारे में सोचना होगा।

हिमाचल सरकार को पंजाब और उत्तर प्रदेश की तरह कम से कम चंडीगढ़ और दिल्ली में फंसे हिमाचलियों के लिए स्पेशल बसें चलवानी चाहिए और उन्हें हिमाचल लाकर 14 दिनों के लिए निगरानी में रखना चाहिए। प्राथमिकता बुजुर्गों, महिलाओं, बच्चों और मरीजों को मिलनी चाहिए।

‘मुश्किल तो है मगर जहां हैं, वही रहना ठीक’

श्रद्धा परमार, मंडी निवासी, दिल्ली में लॉक्ड।। कोरोना संकट चिंता की बात तो है मगर इस दौरान ख़ुद को पॉज़िटिव रखना ज़रूरी है। मेरे ख़्याल से ये लॉकडाउन खुद के साथ समय बिताने का अच्छा मौका है। आज की भागदौड़ भरी जिंदगी में आदमी इतना उलझ कर रह गया है कि उसे परिवार के साथ तो बहुत दूर की बात है पर खुद के लिए भी समय निकालने नहीं मिलता।

अब अच्छा मौका है परिवार और स्वयं के साथ समय बिताने का। पर कुछ लोग तो परिवार के पास पहुंच गए हैं और कुछ मेरी तरह जहां थे, वहीं के वहीं रह गए। ऐसा भी नहीं है कि मौका नही मिला घर जा पाने का। मगर घर ना जाने के अपने कारण हैं।
अब कुछ सोच समझ कर ही घर न जाने का निर्णय लिया था जबकि पता था कि लॉकडाउन की स्थिति हो सकती है।

घर की अभी उतनी याद भी नहीं आ रही क्योंकि पिछले महीने ही हो आई थी। पर लॉक डाउन होने पर कुछ समय तो अजीब लगा क्योंकि अब तो बिल्डिंग से बाहर निकले भी एक हफ्ता हो गया। तो लॉक डाउन का पहला व दूसरा दिन थोड़ा तनावपूर्ण रहा। घर से फोन आने लगे की अब क्या खाएगी, कैसे रहेगी, कैसे लेने आएं? तो थोड़ा तनाव हुआ क्योंकि घर वाले परेशान हो गए थे। पर खुद को संभाला और घरवालो को यही तसल्ली दी कि अरे कोई बात नहीं मुझे कोई दिक्कत नहीं और भी लड़कियां हैं यहां, सब साथ हैं और खाने पीने की कोई दिक्कत नहीं है। तब जा कर घर वाले थोड़े निश्चिंत हुए। मगर रोज़ वीडियो कॉल और ऑडियो कॉल के माध्यम से सबसे बात होती है।

बस अभी यही चिंता है कि कोरोना के मामले और न बढ़ें व मरीजों की सेहत में सुधार हो जाये। हिमाचल सरकार ने कोरोना की रोकथाम के लिए महत्वपूर्ण निर्णय लिए हैं जो सराहनीय हैं। और मेरी तो यही सलाह है कि अब 15 दिनों की ही तो बात है, जहां हैं वही रहेंगे तो ज़्यादा सुरक्षित हैं। सफ़र करना बिल्कुल सुरक्षित नहीं है। इस समय ये बात खुद भी समझें और अपने परिवार को भी यही समझाए। सरकार भी यही समझा रही है। तो जागरूक नागरिक बनें और कोरोना के खिलाफ इस लड़ाई में स्वयं व अपने परिवार की सुरक्षा के लिए सरकार का सहयोग दें।

‘समय रहते लोगों की सुध ले राज्य सरकार’

आशीष नड्डा, बिलासपुर निवासी, इस समय दिल्ली में लॉक्ड।। घर जाने का मन कर रहां है लेकिन देश और वायरस की स्थिति को देखते हुए सरकार द्वारा लगाई गई पाबंदी के पालन के लिए भी पूरा संकल्प है। हम उन लोगों में हैं जिन्हें घर से दूर यहाँ भी किसी दिक्कत का सामना नहीं करना पड़ रहा। मगर सभी व्यक्ति कंफर्ट में रह रहे हैं, यह सच नहीं है। ग़रीब और दिहाड़ीदार तबके की स्थिति ख़राब है और उसके सामने गुजर-बसर का संकट खड़ा हो गया है।

आशंका ऐसी है कि 14 अप्रैल के बाद हालात औ बिगड़ेगी और कहीं लॉकडाउन की अवधि न बढ़ानी पड़े। हिमाचल सरकार को ऐसी स्थिति का ध्यान रखते हुए इधर-उधर फँसे प्रदेश के लोगों के लिए अभी से इंतज़ाम करने होंगे। लंबे समय तक घर-परिवार से दूर रहना और वो भी संकट वाले हालात में, संभव नहीं है।

सरकार को अभी से घर आने के लिए प्रयास कर रहे और घर आने के इच्छुक लोगों का डेटाबैंक बनाने का काम शुरू कर देना चाहिए ताकि भविष्य में आपात स्थिति में उनती राहत पहुँचाने के लिए ही सही, कुछ इंतज़ाम किया जा सके। अभी मेडिकल टेस्ट वग़ैरह करके लोगों को सावधानी के साथ घर पहुँचाने के प्रयास करने चाहिए।

(अगर आप भी बाहर फँसे हैं और अपनी बात कहना चाहते है तो inhimachal.in@gmail.com पर अपनी बात रख सकते हैं।)

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