नूरपुर: हिंदुत्ववादी संगठन करते रहे हैं नाम बदलने की मांग

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इन हिमाचल डेस्क।। नूरपुर का नाम बदलने की पहल को लेकर हिमाचल प्रदेश सरकार को सोशल मीडिया पर भारी आलोचना का सामना करना पड़ रहा है। दरअसल, स्थानीय विधायक और वन मंत्री राकेश पठानिया ने कहा है कि नूरपुर वीरों की भूमि है और इसका नाम बदल कर वीरपुर रखा जाएगा।

उनके मुताबिक, इसके लिए नगर परिषद की पहली बैठक में इस बारे प्रस्ताव डाला जाएगा। एक खबर के अनुसार, मंत्री ने कहा, “नूरपुर वजीर राम सिंह पठानिया व वीरों की धरती है और इसका बड़ा समृद्ध इतिहास है। इसलिए हम सब ने इसका नाम बदलने का निर्णय लिया है।”

यह पहला मौका नहीं है जब इस तरह की मांग उठी है। दक्षिणपंथी संगठन इस तरह की मांग करते रहे हैं। 2018 में जब शिमला का नाम बदलने की चर्चा छिड़ी थी, तब हिंदुत्ववादी संगठनों ने नूरपुर में एसडीएम के माध्यम से मुख्यमंत्री को ज्ञापन भेजकर नूरपुर का नाम बदलकर वजीर राम सिंह नगर रखने की मांग की थी। ज्ञापन देने वालों की दलील थी कि ‘नूरपुर का नूरपुर नाम नूरजहां के नाम पर रखा गया था जो आज भी मुगलों की दासता का प्रतीक है और इसे शीघ्र बदलना चाहिए।’

क्या है इतिहास
नूरपुर शहर को इससे पहले कई नामों से जाना जाता रहा था। नूरपुर रियासत का उल्लेख एक से ज़्यादा मुग़ल बादशाहों के लेखकों की किताबों में मिलता है। उदाहरण के लिए अकबर द्वारा अधिकृत किताब “तारीख़-ए-अल्फ़ी (1685)” में शहर का नाम “दामल” है। इस किताब में बताया गया है कि यह शहर हिंदुस्तान की सीमाओं पर एक पहाड़ी पर स्थित था। वहीं, जहांगीर की आत्मकथा रूपी किताब “तुज़ुक-ए-जहांगीरी” में शहर का “धमेरी” नाम से उल्लेख है जबकि युरोपीय यायावरों की किताबों में इसका उल्लेख “तेम्मरी” नाम से है।

हालांकि, कुछ इतिहासकारों का मानना है कि मुगल बादशाह जहांगीर के सम्मान में धमेरी का नाम बदलकर नूरपुर कर दिया गया था। तुज़ुक-ए-जहांगीरी और शश फ़तह-ए-कांगड़ा (जिसे बादशाह शाहजहां के समय अधिकृत किया गया था), के अनुसार जहांगीर का काफिला सन 1622 में जब कांगड़ा से वापस आ रहा था तब वह धमेरी से गुज़रा था। कहा जाता है कि जहांगीर इसे देखकर इतना ख़ुश हुआ था कि उसने यहां क़िले के लायक़ और भी भवन बनाने के लिए शाही ख़ज़ाने से एक लाख रुपये दे दिए थे। तभी धमेरी का नाम नूरपुर रखा गया था। (कवर इमेज नूरपुर किले के अवशेषों की है)

लोगों के बीच मान्यता है कि नूरपुर नाम जहांगीर की बेगम नूरजहां के नाम पर रखा गया था। लेकिन तथ्यों के आधार पर ऐसा माना जाता है कि नूरपुर नाम शायद जहांगीर के नाम पर ही रखा गया हो क्योंकि जहांगीर का असली नाम ‘नूरउद्दीन मोहम्मद सलीम’ था।