बंदरों के आतंक से त्रस्त चम्बा के लोग, नेताओं से भी उम्मीद नहीं रही

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चम्बा।। मुख्यालय व उसके आसपास बंदरों की समस्या जस की तस बनी हुई है। जहां इन बंदरों की वजह से किसान अपनी खेती को लेकर परेशान हैं वहीं शहर में भी इन बंदरों ने आतंक मचाया हुआ है। शहर में भी अक्सर यह बंदर पैदल चलने वाले लोगों पर हमला करते हैं। पिछले कुछ महीने पहले इन बंदरों ने लोगों की खड़ी फसलों को बर्बाद कर दिया था और अब जब गेहूं की बिजाई का समय है तो यह किसानों के खेतों से गेहूं के बीज को भी नहीं छोड़ रहे हैं।

किसान सारा दिन इन बंदरों के पहरे में बैठे रहते हैं लेकिन उसके बावजूद भी बंदर उनके खेतों से गेहूं का बीज चट कर रहे हैं। बंदरों पर पाबंदी पाने के लिए सरकार की नसबंदी योजना भी कारगर सिद्ध नहीं हुई क्योंकि जिस तरह से इनकी तादाद बढ़ रही है उसे साफ तौर पर यह लगता है कि सरकार का नसबंदी कार्यक्रम बिल्कुल नाकामयाब साबित हुआ है। लोग प्रशासन से गुहार लगा रहे हैं बंदरों से निजात दिलाने के लिए सरकार कोई उपाय करें ताकि अपनी खेती बाड़ी सही ढंग से कर पाए।

स्थानीय लोगों ने बताया कि बंदरों की संख्या दिन प्रतिदिन बढ़ती जा रही है जिससे इनका आतंक भी बढ़ गया है। उन्होंने कहा जहां शहरों में इन बंदरों ने आतंक मचाया हुए हैं वहीं इन बंदरों की वजह से लोगों की खेती-बाड़ी प्रभावित हो रही है। लोगों ने बताया कि इन बंदरों की वजह से लोगों ने खेतीबाड़ी करना छोड़ दिया है और मात्र गेंहूं व मक्की की फसल बीजते हैं लेकिन यह बंदर उन्हें भी नहीं छोड़ते हैं। उन्होंने बताया कि सारा दिन इन बंदरो से अपने खेतों को बचने के लिए पहरा देना पड़ता है लेकिन फिर भी बंदर खेत में बीजीं तक को चट कर जाते हैं।लोगो ने सरकार से आग्रह किया हे की इन बंदरों से उन्हें निजात दिलाई जाये।

जहां लोगों बंदरो की वजह से परेशान है वही आवारा पशुओं ने भी लोगों की नाक में दम कर रखा है शहर में इतने आवारा पशु बढ़ गए हैं कि उनसे यहां का यातायात भी बाधित हो रहा है। साथ ही शहर के साथ लगते गांव में किसानों की फसलों को यह आवारा पशु बर्बाद कर रहे हैं।

लोगों ने बताया कि शहर में आवारा पशुओं की संख्या बढ़ गई है। उन्होंने कहा कि अक्सर इन आवरा पशुओं की वजह से लोग चोटिल भी हो रहे हैं क्योंकि सड़क पर वाहन चलाते समय किसी भी समय आवारा पशु गाड़ी के सामने आ जाते हैं जिससे दुर्घटना हो जाती है। उन्होंने कहा कि आवारा पशु की वजह से उनके खेत भी प्रभावित हो रहे हैं। उन्होंने सरकार से आग्रह किया है कि इन पशुओं का जल्द से कोई हल किया जाए उन्हें कहीं गौशाला में बांधा जाए ताकि लोगों को इनकी परेशानी से निजात मिल पाए।

वही वन अरण्य पाल चम्बा ओ.पी सोलंकी ने बताया कि बंदरों की समस्या दिन प्रतिदिन बढ़ती जा रही है। लोगों की फसलों व लोगों के घरों में बंदर घुसकर उन्हें नुकसान पहुंचा रहे हैं। उन्होंने बताया कि सरकार इसके लिए काफी प्रयासरत है। नसबंदी कार्यक्रम इसके लिए चलाया जा रहा है साथ ही इन्हें कई तहसीलों में वार्निंग घोषित भी कर दिया गया है और जहां पर लोगों को इनकी ज्यादा समस्या हो वह इसका फायदा उठा सकते हैं। उन्होंने बताया कि वनों में 40%फलदार पौधे लगाए जा रहे हैं ताकि इन बंदरों को दोबारा से शहर से जंगलों की तरफ भेजा जाए।

साथ ही उन्होंने लोगों से अपील किया कि इन बंदरों को खाने के लिए कुछ न दे क्योंकि उन्हें यहां खाने के लिए मिल जाता है तो इनकी संख्या यहां और भी बढ़ती जा रही है।