शिमला।। हिमाचल प्रदेश में अध्यापक बनने के लिए अध्यापक पात्रता परीक्षा (टेट) की वैधता को आजीवन कर दिया गया है। मंगलवार को हुई कैबिनेट की बैठक में यह फैसला हुआ है। इसका लाभ उन अभ्यर्थियों को मिलेगा जिन्होंने अगस्त 2011 के बाद टेट पास किया है।
टेट की वैधता आजीवन करने का फैसला केंद्रीय कैबिनेट का था, जिसे मंगलवार को प्रदेश कैबिनेट की बैठक में मंजूरी दी गई। कैबिनेट के इस फैसले का लाभ प्रदेश के लाखों अभ्यर्थियों को होगा।
इससे पहले टेट पास करने पर अभ्यर्थी केवल सात साल तक ही नौकरी के लिए पात्र होता था। इसके बाद अध्यापक बनने के लिए अभ्यर्थी को दोबारा परीक्षा देनी पड़ती थी।
बता दें कि केंद्र और राज्य एनसीटीई नियमों से टेट करवाते हैं। केंद्र सरकार के लिए सीबीएसई परीक्षा करवाता है, जबकि राज्य अपनी परीक्षा खुद करवाते हैं। टेट की वैधता आजीवन करने के लिए कुछ दिन पहले नेशनल काउंसिल फ़ॉर टीचर एजुकेशन राज्यों को लिखित निर्देश जारी किए थे। जिसके बाद मंगलवार को प्रदेश सरकार ने भी इसे लागू करने का फैसला किया है।
माना जा रहा है कि महिलाओं को सरकार के इस फैसले का सबसे अधिक लाभ होगा। दरअसल, शादी और बच्चों के चलते कई बार उन्हें नौकरी छोड़नी पड़ती थी। अब टेट के वैधता आजीवन होने से वे दोबारा आसानी से नौकरी पा सकेंगी।
इसके अलावा प्रदेश सरकार टेट परीक्षा में भी बदलाव करने पर विचार कर रही है। इस बदलाव के बाद टेट की दो परीक्षाएं लेने की तैयारी है। पहली परीक्षा प्रदेश से संबंधित जानकारियों, सामान्य ज्ञान और बीएड की पढ़ाई पर आधारित होगी। जबकि दूसरी परीक्षा सिलेबस से संबंधित होगी। इसमें स्नातक और स्नातकोत्तर में की गई विषय वार पढ़ाई को शामिल किया जाएगा। प्रदेश में अभी टेट परीक्षा का जिम्मा राज्य स्कूल शिक्षा बोर्ड के पास है।