शिमला।। घाटे के चंगुल में फंसे हिमाचल पथ परिवहन निगम की हालत सुधरने के कोई संकेत नजर नहीं आ रहे हैं। एचआरटीसी की हालत पहले भी ठीक नहीं थी मगर कोरोना लॉकडाउन के कारण मामला और गंभीर हो गया है। ऐसा देखने को मिल रहा है कि लॉकडाउन से पहले के महीनों से अभी की तुलना करें तो हर महीने 40 से 50 करोड़ रुपये का घाटा हो रहा है।
साल 2019 की आखिरी तिमाही (अक्तूबर से दिसंबर) में एचआरटीसी ने जिसने रुपये कमाए थे, 2020 की आखिरी तिमाही में उससे बहुत कम ही कम कमाए है। 2019 के अक्तूबर में एचआरटीसी ने 72.77 करोड़, नवंबर में 66.4 करोड़ और दिसंबर में 62.29 करोड़ कमाए थे। मगर अक्तूबर 2020 में मात्र 21.71 करोड़, नवंबर 2020 में 28.88 करोड़ और दिसंबर 23.68 करोड़ रुपये ही कमाए।
क्या कहता है निगम?
इस बारे में एचआरटीसी का कहना है कि कोरोना के कारण यह हालत हुई है। निगम के अधिकारियों का कहना है कि अभी भी अधिकतर बसें 40 फीसदी भर रही हैं और लॉकडाउन के बाद लगभग 40 फीसदी रूट ही बहाल हो पाए हैं। अधिकारियों के मुताबिक, भले ही बंदिशें कम हो गई हैं लेकिन बहुत से लोग सार्वजनिक परिवहन साधनों का इस्तेमाल करने से बच रहे हैं।
हिमाचल प्रदेश पथ परिवहन निगम को लॉन्ग रूट से कमाई की उम्मीद थी, लेकिन किसानों के प्रदर्शन के कारण भी उसकी उम्मीदों को झटका लगा है। इसके अलावा, अवैध ढंग से दौड़ रही निजी बसें भी सरकार को चूना लगा रही है।