इन हिमाचल डेस्क।। कोरोना संकट के कारण दुनिया बदल गई है और इसके साथ ही बसों से सफ़र करने का तरीक़ा भी बदला है। हिमाचल प्रदेश में सोमवार से बसें चलना शुरू हो जाएगी। ये बसें एक ज़िले से दूसरे ज़िले में भी जाएंगी। मगर अब बसों में 60 प्रतिशत से अधिक यात्री नहीं बैठ पाएँगे। साथ ही, एक फेरा लगाने के बाद बसों को सैनिटाइज भी किया जाएगा।
बसों के अंदर से लेकर बस अड्डों तक सोशल डिस्टैंसिंग का ध्यान रखा जाएगा। जिन सीटों पर लोगों को बैठने की इजाज़त नहीं होगी, उनपर क्रॉस लगा होगा। बस की एक, दो और तीन नंबर सीटों पर भी लोग नहीं बैठ पाएँगे। ये सीट बच्चों की और बातूनी चाचा-ताऊ लोगों की फेरविट रहती हैं।
यात्रियों के चेहरों पर मास्क भी होंगे। यह आपकी ज़िम्मेदारी होगी कि अगर किसी सहयात्री ने मास्क नहीं पहना है तो उसे प्रेरित करें। दिल्ली या अन्य राज्यों में आपने देखा होगा कि लोगों को कंडक्टरों के पास जाकर टिकट लेने पड़ते हैं और वो अपनी सीट पर ही बैठे रहते हैं। हिमाचल प्रदेश में कंडक्टर यात्रियों के पास जाकर टिकट काटा करते थे मगर अब आपको कंडक्टर की सीट के पास जाकर ख़ुद ही टिकट लेना होगा, वो आपके पास नहीं आएँगे।
कंडक्टर नहीं बजा पाएँगे सीटी
सोमवार से बसों में ट्रैवल करते हुए एक और चीज जो आप अलग पाएँगे, वो है कंडक्टर की सीटी। अक्सर कंडक्टर विसल बजाकर ड्राइवर से कम्यूनिकेट करते हैं। अगर किसी स्टॉप पर बस रोकनी है तो विसल बजाई जाती है, बस चलाने का इशारा करना है, तब भी विसल बजाई जाती है। दूसरे वाहन को पास देने से लेकर पार्किंग में पीछे हटने तक में कंडक्टर सीटी के ज़रिये ही ड्राइवर को संकेत देते हैं। मगर अब ऐसा नहीं होगा।
एक तो इसलिए कि सभी के लिए चेहरे पर मास्क पहनना अनिवार्य है तो कंडक्टर के लिए भी यही नियम लागू होगा। मास्क पहनकर विसल बजाई नहीं जा सकती और विसल बजाने के लिए मास्क उतारना भी ख़तरे से ख़ाली नहीं हो सकता। मगर विसल न बजाने का मास्क ही एक कारण नहीं है। इसके भी बड़ा कारण यह है कि विसल बजाने में फूंक मारनी पड़ती है जिससे सांस के साथ अंदर से रेस्परेटॉरी ड्रॉपलेट्स यानी महीन बंदूें निकलती हैं। कंडक्टर अगर कैरियर होगा तो ये बूंदें भी सवारियों या अन्य सतहों को संक्रमित कर सकती हैं। इसलिए अब बोलकर ही ड्राइवर-कंडक्टर को आपस संवाद करना होगा।
वैसे यात्रियों को बता दें कि अब आगे से आप भी ध्यान रखें कि बहुत सारे काम ऐसे होते हैं जो लापरवाही में संक्रमण फैला सकते हैं। उदाहरण के लिए परिवार में भी आप किसी का जन्मदिन मनाएं तो केक काटने से पहले मोमबत्तियों बुझाने के लिए फूंक न मारें। ये तो पहले से ही बहुत अनहाइजीनिक तरीक़ा है और कोरोना संकट के बाद और ख़तरनाक हो गया है। इसी तरह ग़ुब्बारे फुलाने से भी बचें।
आप कॉमेंट करके बता सकते हैं कि ऐसी ही और किन बातों का ख़्याल रखना चाहिए।
हिमाचल: सोमवार से चलेंगी बसें मगर कंडक्टर नहीं बजा पाएंगे सीटी