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बिना रोक-टोक, बिना कोरोना नेगेटिव रिपोर्ट हिमाचल पहुँच रहे पर्यटक

शिमला।। एक ओर जहां अनलॉक 2 के बाद केंद्र सरकार ने राज्यों को इंटरस्टेट मूवमेंट के लिए ई-पास व्यवस्था ख़त्म करने को कहा है, दूसरी ओर हिमाचल प्रदेश ने अपने दरवाज़े कुछ दिशानिर्देशों के साथ पर्यटकों के लिए भी खोल दिए हैं। इससे हुआ यह है कि टूरिज़्म विभाग के दिशानिर्देशों की धज्जियाँ उड़ाते हुए पड़ोसी राज्यों के पर्यटक हिमाचल के अंदरूनी इलाक़ों तक पहुँच जा रहे हैं।

लोग आशंका जता रहे हैं कि अगर इनमें से कोई कोरोना संक्रमित हुआ तो बाक़ी लोगों को भी ख़तरा हो सकता है। इस बात को लेकर भी लोगों में ग़ुस्सा है कि जब हिमाचल प्रदेश में बाहर से लौट रहे लोगों को संस्थागत और होम क्वॉरन्टीन किया जा रहा है तो ये पर्यटक कैसे हर जगह घूम पा रहे हैं। कम से कम प्रदेश के प्रवेश द्वारों पर क्यों नहीं उन्हें रोका जा रहा?

हिमाचल प्रदेश सरकार ने स्पष्ट कहा है कि जो भी व्यक्ति पर्यटन के लिए हिमाचल आना चाह रहा है, उसके पास हिमाचल में मान्यता प्राप्त होटल में कम से कम पाँच दिन की बुकिंग का सबूत और साथ में कोरोना के नेगेटिव टेस्ट की रिपोर्ट होनी चाहिए। और यह रिपोर्ट एक वाहन में सवार सभी के पास अपनी होनी चाहिए। मगर सोमवार को कुल्लू में हुई एक घटना ने प्रदेशवासियों की चिंता बढ़ा दी है।

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प्रतीकात्मक तस्वीर

स्वारघाट से सीधे कुल्लू पहुँच गए
कुल्लू के बजौरा मे लगाए गए नाके से सोमवार को पंजाब, हरियाणा एवं चंडीगढ़ से आए 19 पर्यटकों को लौटाया गया है। इन लोगों के पास कोविड-19 नेगेटिव होने की रिपोर्ट नहीं थी। इनमें हरियाणा के दस और पंजाब और मोहाली से नौ पर्यटक आए थे। हालाँकि, नाके से लौटाए जाने के बाद वे लौटे हैं या हिमाचल में ही कहीं और रुके हैं, इसकी पुष्टि करने का पुलिस के पास और कोई तरीक़ा नहीं है। इस बीच सोमवार शाम को ही काँगड़ा ज़िले के पर्यटन स्थल बीड़ में स्थानीय लोग हरियाणा नंबर की गाड़ी पर सवार लोगों को देख चिंता में जताते पाए गए।

कुल्लू से लौटाए गए पर्यटक स्वारघाट नाके से आए थे और बिलासपुर से मंडी होते हुए कुल्लू पहुंचे थे। यह दिखाता है कि रास्ते में उन्हें कहीं पर भी चेक नहीं किया गया। ऐसे में सवाल उठता है कि अगर चेकिंग ही नहीं करनी है तो फिर कोरोना नेगेटिव रिपोर्ट और बुकिंग जैसे अन्य तामझाम जैसे नियम बनाने का मतलब क्या है? इससे पहले कुछ पर्यटकों के बड़ोग और कसौली घूमकर लौटने की भी ख़बरें आई थीं।

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प्रतीकात्मक तस्वीर

पर्यटन विभाग की बनती है ज़िम्मेदारी
हिमाचल के लोग कोरोना नेगेटिव रिपोर्ट की शर्त पर इसलिए भी सवाल उठा रहे हैं क्योंकि फोटोशॉप जैसे सॉफ़्टवेयर के ज़रिये आसानी से लोग अपना नाम बदलकर किसी भी रिपोर्ट में अपना नाम लिखकर फ़र्ज़ी रिपोर्ट बना सकते हैं। यही नहीं, मेरठ की एक लैब में पैसे लेकर फ़र्ज़ी नेगेटिव रिपोर्ट बनाए जाने की ख़बर भी हिमाचल प्रदेश यूज़र्स द्वारा सोशल मीडिया पर शेयर की जा रही है।

फ़िलहाल देशभर में सरकारी स्तर पर कोरोना के टेस्ट विदेश से या फिर बाहरी राज्यों से आने वाले लोगों के ही किए जा रहे हैं। निजी लैब्स उन्हीं मरीज़ों का टेस्ट करने के लिए अधिकृत हैं, जिन्हें किसी डॉक्टर ने टेस्ट के लिए लिखा हो। और डॉक्टर तभी किसी को कोरोना टेस्ट की सलाह दे सकते हैं जब मरीज़ में कोरोना के लक्षण हों। ऐसे में पर्यटक घूमना आना चाहेगा तो सिफ़ारिश लगवाकर ही ऐसा टेस्ट करवा सकता है।

मान लीजिए कि वह कोरोना का टेस्ट नेगेटिव की रिपोर्ट लेकर आ रहा है तो क्या गारंटी है कि वह हिमाचल पहुँचने के रास्ते में कहीं संक्रमित नहीं होगा? और फिर उसे कोरोना नेगेटिव रिपोर्ट होने के आधार पर घूमने की छूट दी जा रही है तो किस आधार पर हिमाचल में बाहर से लौटे प्रदेशवासियों को 14 दिन तक क्वॉरन्टीन किया जा रहा है और रिपोर्ट नेगेटिव आने के बाद भी होम क्वॉरन्टीन रहने को कहा जा रहा है?

प्रतीकात्मक तस्वीर

क्या है सही तरीक़ा?
अभी हिमाचल कोविड ई-पास पर पास देने की व्यवस्था बंद है और सिर्फ़ पंजीकरण करवाने पर आपको अकनॉलेजमेंट मिल जाता है, जिसे आपको लेकर आना होता है। पर्यटकों के लिए पर्यटन विभाग अलग से व्यवस्था करे जिसमें ऐसी अकनॉलेजमेंट देने से पहले आधार नंबर माँगा जाए। उस आधार नंबर को आईसीएमआर के संबंधित सर्वर से जोड़ा जाए ताकि उसके आधार पर देखा जाए कि पर्यटक ने कोरोना का टेस्ट करवाया है या नहीं।

चूँकि कोरोना का टेस्ट करवाए जाने से पहले फ़ॉर्म में आधार का नंबर डालना अनिवार्य है, ऐसे में सरकार चाहे तो उस आधार नंबर के आधार पर चेक कर सकती है कि उस व्यक्ति ने वाक़ई टेस्ट करवाया है या नहीं और रिपोर्ट क्या है। ऐसे में टेस्ट करवाने और रिज़ल्ट नेगेटेवि होने की पुष्टि होने पर ही पर्यटक को अनुमति दी जाए अन्यथा उसका आवेदन रद्द किया जाए। जितने भी लोग साथ आ रहे हों, सबके लिए यही प्रक्रिया होनी चाहिए।

पर्यटन विभाग होटलों को भी अपने साथ जोड़े ताकि बुकिंग की पुष्टि की जा सके। सिर्फ़ नियम बनाकर बैठ गए पर्यटन विभाग के अधिकारियों को चाहिए कि प्रदेश के नाकों पर अपने विभाग के कर्मचारियों को तैनात करे और फिर देखे कि पर्यटकों के पास वैध अकनॉलेजमेंट या अनुमतियाँ है या नहीं। वे अपने डेटाबेस से मिलान करने के बाद ही लोगों को प्रवेश की अनुमति दे। जिसके दस्तावेज फ़र्ज़ी हों, उस पर तुरंत कार्रवाई की जाए।

जब सख़्त नियम हिमाचल प्रदेश वासियों के घर लौटने पर लागू किए जा रहे हैं तो पर्यटकों पर भी होने चाहिए। पर्यटकों का स्वागत है, उनसे कोई दिक़्क़त नहीं। मगर इस दौर में फ़ोकस कारोबार या आय बचाने का नहीं, जान बचाने का होना चाहिए। ये महामारी का दौर है, कोई मज़ाक़ नहीं चल रहा। मामले कम होने का मतलब यह नहीं है कि ख़तरा टल गया है।

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