शिमला।। हिमाचल प्रदेश में ग्राम पंचायतें अपने नियंत्रण की सरकारी जमीन पर सेब या अन्य फलों के बगीचे लगाएंगी। जहां बगीचे पहले से उगे हैं, उन्हें और दुरुस्त किया जाएगा। इन बगीचों से प्राप्त आमदनी को विकास कार्यों में खर्च किया जाएगा।
कुछ पंचायतों में सेब या अन्य फलों के बगीचे लगे हैं। इनसे बहुत अच्छी आमदनी हो रही है। इसी को देखते हुए राज्य के छठे वित्तायोग ने प्रदेश की ग्राम पंचायतों से इस संबंध में ब्योरा मांगा है।
किस पंचायत के पास किसी फल का कितना बड़ा बगीचा है। उससे कितनी आय होती है। घास की नीलामी कितनी होती है। दान या अन्य स्रोतों से क्या आय होती है। कितनी जमीन खाली है। सर्वेक्षण के लिए 22 पन्नों का एक प्रारूप तैयार किया गया है। इसमें बारीक से बारीक बात की जानकारी मांगी है। बता दें प्रदेश में कुल 3615 पंचायतें हैं। इन सभी पंचायतों को यह प्रारूप भरने को कहा गया है।
आइये इसे उदाहरण के तौर पर समझते हैं। शिमला जिला की ग्राम पंचायत क्यारी में करीब 40 बीघा जमीन पर सेब का बगीचा है। इसमें मौसम के अनुकूल रहने पर हर साल 1000 से 3000 पेटियां होती हैं। हर साल इस बगीचे से फलों की नीलामी होती है। 10 से 15 लाख तक कुल आय होती है।
इसके साथ ही इस बात की भी जानकारी मांगी है कि ग्राम पंचायतों ने नाजायज कब्जे तो नहीं किए हैं। अगर ऐसा है तो कब्जा बहाली के लिए उठाए गए कदम के बारे में भी जानकारी देने को कहा है। पटवारी से प्रमाणित ऐसी भूमि की भी जानकारी मांगी गई है, जिसमें कोई भवन निर्मित न हो। दुकानें, सराय आदि स्थायी संपत्ति का भी ब्योरा मांगा गया है। गलियों की सफाई, पशुओं के पंजीकरण, शादी पंजीकरण आदि कई योजनाओं पर लिए जाने वाले शुल्क का भी विवरण मांगा गया है।