कांगड़ा।। शाहपुर की बोह घाटी के रुमेहड़ गांव का भीमसेन 22 जिंदगियां बचाकर खुद मौत के मुंह में चला गया। सोमवार को भारी बारिश से हुई तबाही में भीमसेन का घर भी मलबे के साथ का बह गया। उस वक्त भीमसेन परिवार सहित घर में मौजूद था। अफ़सोस, 22 लोगों की जिंदगियां बचाने वाला भीमसेन परिवार सहित खुद को इस प्राकृतिक आपदा से नहीं बचा सका।
जो लोग घरों के अंदर थे, बह गए। जो बाहर थे वो घटना के प्रत्यक्षदर्शी बने। प्रत्यक्षदर्शियों ने बताया किसोमवार रात से भारी बारिश हो रही थी। बारिश की वजह से पहाड़ के नीचे बसे अमर सिंह के घर की ओर छोटा नाला अवरुद्ध होने की वजह से थोड़ा-थोड़ा पानी आ रहा था।
हम करीब 22 लोग सुबह से ही पानी की निकासी के लिए जुटे हुए थे। सुबह करीब साढ़े 10 बजे करीब 70 मीटर दूर पहाड़ी पर अपने घर से भीमसेन ने हमें देखकर जोर-जोर से आवाजें लगाईं। उसने कहा कि पहाड़ से मलबा आ रहा है। यहां से भाग जाओ। भीमसेन की आवाज सुनकर सभी सड़क की तरफ भागे।
प्रत्यक्षदर्शियों ने बताया कि केवल 10 सेकंड में ही सब तबाह हो गया। पहाड़ से आया मलबा मकानों को बहाकर नीचे ले गया। हम सभी लोग वहां से भाग कर सड़क पर आ गए। यह भयानक मंजर देख हमारी आंखों के आगे अंधेरा सा छा गया। मलबा बहुत ज़्यादा था इसलिए हम भी एक घर के नीचे छिप गए। लेकिन जब यह घर भी बहने लगा तो हम सभी भागकर सुरक्षित स्थान तक पहुंचे।
जिन लोगों ने यह भयानक मंज़र देखा उनके लिए इसे बयान करना मुश्किल है। उन्होंने कहा कि भगवान की कृपा से आज लोग जिंदा है। अगर भीमसेन हमें मलबे के आने की चेतावनी नहीं देता तो आज हम जिंदा नहीं होते।
उन्होंने कहा कि भीमसेन उन्हें चेतावनी देने के बाद अपने परिवार को बाहर निकालने के लिए घर के अंदर भागा था। लेकिन कुछ पलों में ही उनका मकान मलबे के साथ बह गया।