एमबीएम न्यूज, नाहन।। गर्मियां आते ही हिमाचल प्रदेश के हर हिस्से में चीड़ के जंगलों में आग की घटनाएं सामने आने लगती हैं। इस समय प्रदेश के विभिन्न हिस्सों में जंगल दहक रहे हैं। सिरमौर के जमटा इलाके में पिछले कुछ दिनों से जंगल सुलग रहे हैं जिससे न सिर्फ पेड़ों को नुकसान पहुंचा है बल्कि जंगल में रहने वाले लाखों जीव-जंतु भी मारे गए हैं।
जमटा इलाके में तैनात वनकर्मी पुरुषोत्तम सिंह ने इन जंगलों में कई पौधे अपने हाथों से लगाए हैं। जंगल में आग लगी तो बुझाने की कोशिश में दिन रात लगे रहे। मगर पानी और अन्य साधन न होने पाने के कारण वह भला क्या कर पाते। बेबसी से पौधों और न जाने कितने ही जंतुओं को आग में भस्म होते देखते रहे।
ऐसे ही एक दहकते हुए जंगल के बीच जब पत्रकारों की मुलाकात पुरुषोत्तम से हुई तो उन्होंने नुकसान के बारे में पूछना चाहा। हालात को बयां करते-करते पुरुषोत्तम भावुक हो गए। नम आंखों और रुंधे हुए गले से उन्होंने जो बातें कहीं, वे बताती हैं कि हमारे वनकर्मी कितने बेबस हैं।
जले हुए जंगल का दौरा करने के बाद कई जंतुओं के बच्चों, पक्षियों और उनके अंडों वगैरह को जला हुआ देखकर पुरुषोत्तम की हालत खराब हो गई। उन्होंने बताया कि यही नहीं, कई पौधों को नर्सरी से लेकर जंगल तक उन्हीं ने लगाया था और वही अब राख हो गए। वन विभाग की नर्सरी तक जल गई है।
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पुरुषोत्तम जैसे हजारों वनकर्मी हैं जो हर साल लगने वाली आग के आगे खुद को ऐसे ही बेबस पाते हैं। बहुत से लोग आज बुझाते हुए शहीद भी हो चुके हैं। वनकर्मी ही नहीं, गांव वाले भी अपनी जान पर खेलकर आग बुझाने में लगे रहते हैं कई जगह।
वन विभाग के पास न सिर्फ जरूरी उपकरणों की कमी है बल्कि चीड़ के जंगल अभिशाप बन गए हैं जो छोटी सी चिंगारी से भी धधक उठते हैं और आग बेकाबू हो जाती है। लोगों की लापरवाही और शरारत भी लाखों जीवों की मौत का कारण बनती है मगर इस संबंध में कार्रवाई न होने के कारण शरारती तत्व बाज भी नहीं आते।
(यह एमबीएम न्यूज नेटवर्क की खबर है और सिंडिकेशन के तहत प्रकाशित की गई है)