हिमाचल प्रदेश के निवासी इस बात पर गर्व करते हैं कि उनका प्रदेश बेहद सादगी पसंद है और यहां के लोग दिखावे यानी कि शो ऑफ में यकीन नहीं रखते। मगर हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री ने कुछ ऐसा कर दिया है, जिससे हिमाचल प्रदेश के युवा शर्म महसूस कर रहे हैं। मुख्यमंत्री ने अपने ऑफिशल ट्विटर अकाउंट पर फर्जीवाड़ा किया है।ट्विटर अकाउंट पर देखें तो आपको 11.7K यानी 11 हजार 700 यूजर मिलेंगे। मगर आपको यह जानकर हैरानी होगी कि इन यूजर्स में से सिर्फ कुछ यूजर ही असली हैं और हिमाचल के यूजर्स की संख्या शायद दहाई में हो। जी हां, हिमाचल के मुख्यमंत्री को फॉलो कर रहे लोगों में 10 हजार से ज्यादा यूजर फर्जी हैं। इनमें से कुछ हैंडल रूस के लोगों के हैं तो कुछ अरब देशों के लोगों के। अब भला रूस के या अरब के लोग हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री को क्यों फॉलो करेंगे?‘इन हिमाचल’ को फेसबुक पर लाइक करें
दरअसल ये सभी अकाउंट फर्जी हैं। आप इनकी प्रोफाइल पर जाएंगे तो देखेंगे कि हर एक ने कई सारे लोगों को फॉलो किया है और इन्हें फॉलो करने वाले एक-दो ही लोग हैं। यही नहीं, इन लोगों ने कभी ट्वीट तक नहीं किया या फिर कई महीने पहले किया है। इससे साबित हो जाता है कि मुख्यमंत्री ने अपने फॉलोअर्स की संख्या बढ़ा-चढ़ाकर दिखाने के लिए इन सभी नकली यूजर्स को खरीदा है।
वीरभद्र हिमाचल के सीएम हैं या रूस के किसी प्रांत के? |
गौरतलब है कि आजकल ऐसी कई एजेंसियां हैं, जिनसे फेसबुक पर लाइक्स और ट्विटर पर फॉलोअर्स खरीदे जा सकते हैं। इन एजेंसियों कई सारी फेक प्रोफाइल्स और हैंडल बनाए होते हैं। ऐसे में जो कस्टमर इनकी सर्विस लेता है, वे उनके फेसबुक पेज या ट्विटर हैंडल को लाइक या फॉलो करवा देते हैं। आपको जानकर हैरानी होगी कि कुछ एजेंसियां 4 रुपये प्रति लाइक/फॉलोअर से लेकर 10 रुपये प्रति लाइक/फॉलोअर की दर से चार्ज करती है। मान लिया जाए कि वीरभद्र सिंह ने 5 रुपये प्रति फॉलोअर की दर से फर्जी फॉलोअर खरीदे हैं, तो इस किसाब से उन्होंने 50 हजार रुपये से ज्यादा की रकम चुकाई है।
‘इन हिमाचल’ को ट्विटर पर फॉलो करें
इससे पहले राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत पर भी फेसबुक लाइक्स खरीदने के आरोप लग चुके हैं। उनके फेसबुक पेज पर 80 फीसदी से ज्यादा लोग तुर्की के थे। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार उन्होंने और कई नेताओं ने अपने प्रशंसकों की संख्या बढ़ा-चढ़ाकर दिखाने के लिए ऐसी ही फर्जी एजेंसियों का सहारा लिया था।
अहम सवाल उठता है कि मुख्यमंत्री को ऐसा करने की जरूरत क्यों पढ़ी? उन्हें दिखावा करने में फायदा है या ट्विटर के जरिए लोगों तक अपनी बात पहुंचाने में? शायद वीरभद्र सिंह जब किसी अन्य प्रदेश के मुख्यमंत्री से तुलना करते होंगे, तो देखते होंगे कि उनके फॉलोअर तो कम हैं। इसी मौके को भुनाने के लिए किसी एजेंसी ने उनके सामने प्रस्ताव रखा होगा और उन्होंने झट से हां कह दी होगी।
जो भी हो, उनके इस कदम से युवा यूजर शर्मिंदा महसूस कर रहे हैं। दिल्ली में आईटी कंपनी में जॉब करने वाले सोमेश पटियाल ने ‘इन हिमाचल’ को बताया कि मुख्यमंत्री को ऐसा नहीं करना चाहिए था। वहीं बैंकिंग सेक्टर में काम कर रहे अरविंद शर्मा ने कहा कि वीरभद्र सिंह का यह कदम हैरान नहीं करता। उन्होंने कहा कि पहले से मुख्यमंत्री पर धांधलियों के कई आरोप लगते रहे हैं, ऐसे में वह ऑनलाइन धांधली कर दें तो यह बात नई नहीं है। इस बीच मार्केटिंग एक्सपर्ट मुकेश बरागटा ने मुख्यमंत्री का बचाव किया है। उन्होंने कहा कि राजा साहब पर ऐसा आरोप लगाना सही नहीं है। हो सकता है कि ट्विटर से कोई गलती हुई हो।
अभी तक सीएम ने हमारे सवाल का जवाब नहीं दिया है |
इस बारे में मुख्यमंत्री से फोन बात करने की कोशिश की गई, मगर जवाब मिला कि वह किसी महत्वपूर्ण कार्य में बिजी हैं। हमने ट्विटर पर भी उनसे सवाल पूछा है, मगर उनकी प्रतिक्रिया नहीं मिल पाई है। अगर सीएम की तरफ से कोई जवाब और स्पष्टीकरण आता है, तो पत्रकारिता के सिद्धांतों का सम्मान करते हुए ‘इन हिमाचल’ उसे जरूर पब्लिश करेगा।
अगर आप यह फर्जीवाड़ा खुद देखना चाहते हैं तो https://twitter.com/virbhadrasingh/followers पर क्लिक करें और 4-5 बार स्क्रॉल डाउन करने के बाद आपको रूस के यूजर दिखने शुरू हो जाएंगे।