हिमाचल की सांस्कृतिक राजधानी मानी गई है मंडी रियासत

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विवेक अविनाशी।।  हिमाचल की  ‘छोटी काशी’ के नाम से विख्यात मंडी सबसे पुरानी रियासतों में से एक हैl  प्राप्त दस्तावेजों के अनुसार  यह रियासत पंजाब के पोलिटिकल कमिश्नर की निगरानी में थी और राजा बलबीर सेन के सुपुत्र विजय सेन (1851) को हिजहाइनेस की उपाधि से अलंकृत किया गया था l राजाओं का रुतबा तोपों की सलामी और रियासत की वार्षिक आय से आँका जाता था l मंडी रियासत की वार्षिक आय चार लाख रूपये थी और राजा साहिब को 11 तोपों की सलामी दी जाती थी lयह क्षेत्र उत्तर में कुल्लू और काँगड़ा , दक्षिण में सुकेत और पश्चिम में काँगड़ा से घिरा हुआ है l इस रियासत की राजधानी शुरू से ही मंडी रही हैI यह वह शहर नही जो हम आज देख रहे हैं बल्कि पुराना शहर ब्यास के दायें छोर पर बसा हुआ  थाl जिसे आज पुरानी मंडी के नाम से जाना जाता है l मंडी का  वर्तमान शहर अजबर सेन ने  सन 1527 में राजधानी के रूप में बसाया यहाँ चार मंजिला महल जिसे चौकी कहा जाता है l अजबर सेन  ने भूतनाथ मंदिर का निर्माण भी किया था l राजा अजबर सेन ने 35 वर्ष तक मंडी पर राज किया।

वर्ष 1846 में में सिखों और अंग्रेजों के बीच हुई संधि के आधार पर सतलुज तथा ब्यास नदियों के बीच का क्षेत्र अंग्रेजों को मिलाl मंडी और सुकेत भी अंग्रेजों के आधीन आ गए और इन दोनों रियासतों को जालंधर के कमीशनर के आधीन कर दिया गया l 24 अक्तूबर , 1846 को राजा बलबीर सेन को सनद दे कर राजा बनाया गया l  राजा बलबीर सेन ने प्रशासन की दृष्टि से मंडी रियासत में काफ़ी सुधार किया l बलबीर सेन के बाद राजा विजय सेन के काल में मंडी में स्कूल,अस्पताल और डाक घर खोले गए थेl विजय सेन के बाद भवानी सेन मंडी के राजा बने l भवानी सेन की  29 वर्ष की आयु में निसंत्तान मृत्यु  हो गई l भवानी सेन के बाद उनके निकटस्थ सम्बन्धी जोगिन्दर सेन को   1913 में राजा घोषित किया गया l

हिमाचल में विलय के समय राजा जोगिन्दर सेन मंडी के राजा थे l कर्नल मैसी, जिन्होंने पंजाब की पहाड़ी रियासतों का इतिहास लिखा है , मंडी रियासत को काँगड़ा पहाड़ की सबसे बड़ी रियासत माना हैl आज अपने प्राचीन विभव और समृद्ध  सांस्कृतिक धरोहर के कारण मंडी हिमाचल की सांस्कृतिक राजधानी के रूप में भी जानी जाती है।

(लेखक हिमाचल प्रदेश के हितों के पैरोकार हैं और जनहित के मुद्दों पर लंबे समय से लिख रहे हैं। इन दिनों ‘इन हिमाचल’ के नियमित स्तंभकार हैं। उनसे vivekavinashi15@gmail.com के जरिए संपर्क किया जा सकता है)