जॉइंट (भांग) की चपेट में हिमाचली नस्लें

इन हिमाचल डेस्क।। 

हिमाचल प्रदेश की युवा पीढ़ी किस कदर नशे की गिरफ्त में है, यह घटना सोचने के लिए मजबूर कर रही है। दो दिन पहले ब्यास में बहे सुंदरनगर के एक निजी बहुतकनीकी संस्थान के छात्रों के तीसरे दोस्त ने जो कहानी बताई है, वो पैरंट्स के साथ साथ समाज के लिए भी चिंता का विषय है।

युवकों के तीसरे साथ सोनू ने बताया सोनू निवासी बरोटी ने पुलिस को बताया है कि तीनों साथी सुंदरनगर से ब्यास में यहां भांग मलने के लिए आए थे। ब्यास पार करने के बाद घंटों तक भांग के पौधों से भांग निकाली और उसके बाद वापस चल पडे़, लेकिन दो साथी फिर वापस उसी जगह चले गए। दोनों के जूते वहां रह गए थे। इसके बाद जब दोनों युवक फिर से नदी पार करके आ रहे थे, तो तेज बहाव में बह गए।

चरस पीते हुए व्यक्ति का सांकेतिक चित्र

सोनू के मुताबिक बहे युवकों में सुरजीत सिंह पुत्र राम प्रकाश निवासी निरथ कुल्लू और लक्की शर्मा पुत्र विनोद शर्मा सुधेड़ धर्मशाला थे। सुरजीत सिंह जिला के निजी बहुतकनीकी संस्थान में अंतिम वर्ष का छात्र था, जबकि लक्की शर्मा संस्कृत में पढ़ाई कर रहा था।

कैनबिस/भांग क्या है?
कैनबिस सैटिवा और कैनबिस इंडिका बिछुआ (नैटल) परिवार के सदस्य है जो कि सदियों से दुनिया भर में जंगली पाये जाते हैं। दोनों पौधों का प्रयोग भिन्न प्रयोजनों के लिए किया गया है जैसे कि रस्सी व वस्त्र बनाने के लिए, एक चिकित्सा जड़ी-बूटी के रूप में या फिर लोकप्रिय मनोरंजन दवा/पदार्थ के लिए।इस पौधे का उपयोग इस प्रकार होता है:
राल (रेसिन):   एक भूरी काली गांठ जिसे भांग, गांजा, चरस राल आदि के रूप में जाना जाता है।
हर्बल भांग :  यह सूखे फूलों एवं विभिन्न मात्रा के सूखे पत्तों से बनता है। यह ग्रास, मारिजुआना, स्पिलफ या वीड् के नाम से जाना जाता है।

भांग के पत्ते

‘स्कंक’ भांग की ताकतवर किस्मों में से एक है, जिसे सक्रिय पदार्थों की ज्यादा उच्च मात्रा होने के कारण उगाया जाता है। जब यह बढ़ रहे होते हैं तो इनसे तीखी गंध आती है, यह नाम उसी के संदर्भ में है। यह ग्रो लाइट्स या ग्रीनहाउस में अक्सर हाइड्रोपोनिक तकनीक (मिट्टी की बजाय पोषक तत्व से भरपूर तरल पदार्थ में बढ़ना) द्वारा उगाए जा सकते हैं। भांग की अन्य 100 से अधिक किस्में हैं जो कि विदेशी नामों से जानी जाती है जैसे- ए.के. 47 या डिस्ट्रायर (विनाशक)।

स्ट्रीट भांग विभिन्न ताकतवर प्रकारों में आ सकता है। इसलिए यह अनुमान लगाना मुश्किल है कि एक समय पर वास्तव में भांग का कितना सेवन किया गया है।

प्रयोग कैसे किया जाता है?

आमतौर पर भांग की राल और सूखे पत्तों को तंबाकू के साथ मिश्रित कर के ”स्पिलफ“ या ”ज्वाइण्ट“ के रूप में धूम्रपान किया जाता है। धुंये को जोर से श्वास में लिया जाता है व कुछ क्षण के लिए फेफड़ों में रहने दिया जाता है। इसका धूम्रपान एक पाइप, एक पानी के पाइप या एक डिब्बे में एकत्र करके किया जा सकता है। इसे चाय के रूप में पिया  जाता है या केक में पकाया जाता है।

क्यों आकर्षित होते हैं युवा : 

इसके सेवन से हाई  फीलिंग आती है इसमें अत्यंत आराम, खुशी, निद्रा की अनुभूति होती है। रंग तीव्र दिखाई देते हैं और संगीत बेहतर सुनाई देता है।  इन्ही चंद लम्हों की ख़ुशी के लिए युवा अपने स्वास्थ के साथ समझोता करने लगे हैं।

लड़कियां भी पीछे नही
यह तो मात्र सामने आई हुए एक घटना है।  पुरे प्रदेश की बात की जाए तो गावं गावं तक यह नशा फ़ैल चूका है।  चाँद पैसों की कमाई के लिए एजेंट युवाओं में भांग सप्लाई कर रहे हैं। अच्छे  संस्थानों में पढ़ने वाले  पढ़े लिखे घरों के बच्चे भी इन व्यसनों की  चपेट में हैं।  लोकल भाषा में ये लोग इसे माल या जॉइंट कहते हैं।  यह लगभग हर छोटे बड़े कसबे या चौक में आसानी से उपलब्ध है।  हिमाचल में कई ऐसे राष्ट्रीय स्तर के प्रितिष्ठित संस्थान हैं जहाँ के छात्र अक्सर ऐसी जगहों पर देखे जाते हैं जहाँ एजेंट इसकी बिक्री करते हैं।

ऐसे ही एक नामी संस्थान की एक लड़की ने  नाम ना बताने की शर्त पर ‘इन हिमाचल’ को  बताया कि वो हॉस्टल में रहती है और उनके यहाँ भी ‘माल’ ठीक ठाक चलता है।  कुल मिलाकर पुलिस और खुफिया एजेंसियों की  विफलता से यह गोरखधंधा इतना फल फूल गया है कि  भांग अब सुलभ तरीके से मिलने लग गयी है।

भांग के नशे में डूबे हुए यह युवक-युवतियां अपने आप को ‘बावा’ कहते हैं और भोलेनाथ के भगत होने का दिखावा करते हैं।  परन्तु सोचने वाली बात है जिस उम्र में विचार जागृत होने चाहिए, भविष्य के निर्माण की रूपरेखा बनानी चाहिए, उस उम्र में  नशे की चपेट में आकर  हिमाचली पीढ़ी अलग ही दुनिया में पहुँच रही है।

ये हैं दुष्प्रभाव:

10 में से 1 भांग उपयोगकर्ता को अप्रिय अनुभव होते हैं, जिसमें भ्रम, मतिभ्रम, चिंता और भय शामिल हैं। एक ही व्यक्ति को अपने मूड/मनःस्थिति या परिस्थितियों के अनुसार प्रिय या अप्रिय प्रभाव महसूस हो सकते हैं। यह भावनायें आमतौर पर अस्थायी होती हैं पर क्योंकि भांग शरीर में कुछ हफ्तों के लिए रह सकती है इसलिए इसका प्रभाव ज्यादा समय के लिए हो सकता है जिसका अहसास उपयोगकर्ताओं को नहीं होता है। लंबी अवधि के उपयोग से अवसाद हो सकता है, प्रेरणा पर प्रोत्साहन की कमी हो सकती है।

शिक्षा और अभ्यास पर प्रभाव –
ऐसा माना गया है कि भांग एक व्यक्ति की निम्नलिखित क्षमताओं में हस्तक्षेप कर सकता है

-ध्यान केन्द्रित करने में
-जानकारी को व्यवस्थित करने में
-जानकारी को इस्तेमाल करने में

उपयोग के बाद यह प्रभाव कई हफ्तों तक रह सकते हैं जो कि छात्रों के लिए विशेष रूप से समस्यायें पैदा कर सकते हैं।

न्यू जीलैंड में एक बड़े अध्ययन में 1265 बच्चों को 25 साल तक देखा गया और यह पाया गया कि किशोरावस्था में भांग का उपयोग खराब स्कूल प्रदर्शन से जुड़ा हुआ था परन्तु इन दोनो के बीच कोई सीधा संबंध नहीं मिला। ऐसा लगा कि शायद यह इसलिए है क्योंकि भांग के उपयोग से जो जीवन शैली अपनाई जाती है उससे स्कूली कार्य करने में कोई प्रोत्साहन नहीं मिलता।

काम-काज पर प्रभाव
काम करने वाले लोगों में इसका समान प्रभाव है। इसका कोई सुबूत नहीं है कि भांग विशिष्ट स्वास्थ्य खतरों का कारण बन सकता है। परन्तु उपयोगकर्ताओं में बिना अनुमति काम छोड़ने, काम के समय व्यक्तिगत मामलों पर समय बिताने व दिन में सपने देखने की संभावना कहीं अधिक होती है। भांग के उपयोगकर्ता स्वयं यह बताते हैं कि भांग/नशीली दवाओं के द्वारा उनके काम व सामाजिक जीवन में हस्तक्षेप होता है। बेशक कुछ कार्य क्षेत्र दूसरों की तुलना में अधिक कठिन होते हैं। पायलटों पर, भांग के प्रभाव पर किये अनुसंधान की समीक्षा से पता चला कि पायलटों द्वारा भांग न लेने की तुलना में भांग लिए जाने पर कहीं ज्यादा गलतियां हुयीं – छोटी और बड़ी दोनो। जैसा कि आप कल्पना कर सकते हैं, परीक्षण उड़ान सिमुलेटर में किया गया, वास्तविक उड़ान में नही। सबसे बुरे प्रभाव पहले 4 घंटे में थे, हालांकि वह कम से कम 24 घंटे तक बने रहे जबकि पायलट को ”हाई“ होने की सुध/जानकारी नहीं थी। इससे यह निष्कर्ष निकाला गया कि हम में से अधिकांश लोग इस जानकारी के बाद ऐसे पायलट के साथ उड़ान नहीं भरना चाहेंगे जिसने पिछले एक दिन के भीतर भांग का सेवन किया हो।

ड्राइविंग पर प्रभाव
न्यूजीलैंड में शोधकर्ताओं ने पाया कि वह लोग जो नियमित रूप से भांग का सेवन करते थे और जिन्होंने ड्राइविंग से पहले धूम्रपान किया था उनमे कार दुर्घटना में घायल होने की संभावना ज्यादा थी। फ्रांस में हाल ही के एक अध्ययन में 10000 ड्राइवर्स को, जो कि घातक कार दुर्घटनाओं में शामिल थे, लिया गया। शराब के प्रभाव को भी खाते में लेने पर यह पाया गया कि दूसरों की तुलना में भांग उपयोगकर्ताओें घातक दुर्घटना होने की संभावना दोगुना थी। इसलिए शायद हम में से अधिकांश लोग ऐसे वाहन में जाना पसंद नहीं करेंगे जिसके संचालक द्वारा एक दिन पहले भांग का सेवन किया गया हो।

मानसिक स्वास्थ्य से संबंधित समस्याएं
इस बात का प्रमाण बढ़ रहा है कि जो लोग किसी गंभीर मानसिक बीमारी, अवसाद या मनोविकृति से ग्रसित होते हैं उनमें कैनबिस उपयोग की संभावना अधिक होती है या फिर अतीत में इन लोगों ने कैनबिस लंबी अवधि के लिए इस्तेमाल किया है। कैनबिस के नियमित उपयोग से साइकोटिक एपिसोड या स्किजोफ्रेनिया होने का खतरा दोगुना हो सकता है। हालांकि स्पष्ट नहीं है कि भांग के कारण अवसाद और सिजोफ्रेनिया हो सकता है या फिर इन विकारों से ग्रसित लोग इसे दवा के रूप में उपयोग करते हैं?

पिछले कुछ वर्षों में किए गए अनुसंधानों से यह बात दृढ़ता से कही जा सकती है कि आनुवांशिक भेद्यता के लोगों में जल्दी कैनबिस के उपयोग और भविष्य में मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं के होने में एक स्पष्ट कड़ी है। इसके साथ ही किशोरों द्वारा भांग का उपयोग अपने में एक विशेष मुद्दा है।

भांग पीकर अपने आप को बावा टाइप बताने वाले इन लोगों का  कहना होता है की यह नशा शराब आदि से सही है । और एकाग्रता  बढ़ाता  है।    स्वास्थ्य खतरे की चेतावनियों के बावजूद भी बहुत से लोग इसे हानिरहित पदार्थ समझते हैं जिससे शांत रहने तथा ‘चिल’ करने में मदद मिलती है और जो शराब और सिगरेट के विपरीत शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य के लिए अच्छा है। दूसरी ओर हाल में ही किये गये शोध के अनुसार आनुवांशिक भेद्यता के लोगों में यह मानसिक बीमारी को उत्पन्न करने का प्रमुख कारण हो सकता है।

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