टेम्पो ट्रेवलर में चलता है पालमपुर का यह रेस्टोरेंट : चिल्ली से लेकर तंदूरी सब मिलता है यहाँ ।

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आशीष नड्डा।
जनवरी के अंतिम दिनों में दिल्ली से घर का चक्कर लगा।  खुशगवार मौसम में घूमने फिरने की इच्छा जागी तो हमेशा की तरह दोस्तों के साथ पालमपुर का रूख किया।  आप अगर पालमपुर जाएँ  और चाय के बगीचों से होते हुए  बंदला से नीचे सौरभ वन विहार के पास कल कल बहती नियुगल खड्ड के  किनारे गुनगुनी धुप के बीच “झोल” ( चावल से बनने वाली पारम्परिक बियर ) का मजा न ले तो श्याद आपकी पालमपुर यात्रा अधूरी मानी जाएगी।
यू तो पिछले कुछ महीनों में कई बार पालमपुर का चक्कर लगा और नेउगल खड्ड के सानिध्य का भी मौका मिला पर इस बार पालमपुर में वो देखा जो पहले कभी नजर नहीं आया था।
बंदला से नीचे उतरते ही पुल के पास ओपन में कुछ टेबल चेयर लगी थी साथ में एक टेम्पो ट्रॅवेलेर खड़ी थी।  वहां  कार पार्क करने के बाद हमने जो देखा वो अलग ही था।  सफेद रंग की टेम्पो ट्रेवलर में पूरा का पूरा किचन बना हुआ था।  गाडी को इस तरह से मॉडिफाई किया हुआ था की रेस्टोरेंट की तरह हर तरह की आइटम का जायका आपको यहीं मिल जाता।  बाकायदा दो लोग अंदर काम कर रहे थे।
इसी गाडी में है चलता फिरता किचन
कौतहूल में हमने भी कदम आगे बढाए पहले तो इस इनोवेटिव आईडिया को घूम फिर के चारों तरफ से देखा।  और तो और अंदर तंदूरी आइटम्स बनाने के लिए बाकायदा तंदूर की भी व्यव्यस्था थी।  बहुत सारे फोटो ग्राफ्स  लेने के बाद हमने सोचा की चलो इस इनोवेटिव रेस्टोरेंट के मालिक से भी बात की जाए।  परन्तु श्याद वो व्यक्ति वहां नहीं था. जो लोग काम कर रहे थे वो सैलरी पर रखे हुए थे वो उन प्रश्नों के उत्तर नहीं दे पा रहे थे जो हमें जानने  थे।
लोगों के आर्डर पर कुकिंग करते हुए कुक
खैर झोल के साथ चिल्ली और तंदूरी दोनों तरह की आइटम का हमने भी स्वाद चखा और शाम वहां गुजारकर वापिस घर की ओर प्रस्थान किया।  बेशक एहमदाबाद में पानी के अंदर रेस्टोरेंट खुल गया हो पर आप कभी भी पालमपुर आएं तो नेउगाल के किनारे खड़े  इस चलते फिरते  फ़ूड ट्रक का जायका लेना न भूलें।

(लेखक  आई आई टी दिल्ली में रेसेरच स्कॉलर हैं  और अक्सर अपने यात्रा वृत्तांत  लिखते रहते हैं )