एग्जिट पोल दे रहे हैं वीरभद्र सिंह की विदाई के संकेत

नई दिल्ली।।
हाल ही में आए कई एजेंसियों के एग्जिट पोल संकेत दे रहे हैं कि हिमाचल प्रदेश में बीजेपी का स्कोर 4-0 या 3-1 रह सकता है। यह हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह के लिए अच्छा संकेत नहीं है। वीरभद्र सिंह ने हिमाचल प्रदेश की चारों सीटों पर संगठन की इच्छा को नजरअंदाज करते हुए अपनी मर्जी से टिकट दिलवाए थे। ऐसे में खराब प्रदर्शन की सीधी जिम्मेदारी उन्हीं की होगी। इसके साथ ही पूरे मंत्रिमंडल का मंगलवार को दिल्ली पहुंचना भी कई सवाल खड़े करता है। इसके अलावा भी कई और फैक्टर हैं, जो वीरभद्र के लिए मुश्किलें खड़ी कर सकते हैं। ‘In Himachal’ की स्पेशल रिपोर्ट:

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पुरानी बगावत भूली नहीं हाईकमान
गौरतलब है कि वीरभद्र सिंह कांग्रेस आलाकमान की नजरों में पिछले 2 साल से खटके हुए हैं। केंद्र में मंत्री
रहते हुए वीरभद्र पर लगे आरोप कांग्रेस के लिए फजीहत का विषय बन गए थे। इसके बावजूद साल 2012 में हुए विधानसभा चुनाव से ठीक पहले वीरभद्र सिंह ने कौल सिंह ठाकुर को बाहर का रास्ता दिखाकर प्रदेश की राजनीति में एंट्री मारी थी। दरअसल उन दिनों चर्चा यह भी उठी थी कि अगर कांग्रेस उन्हें प्रदेश में विधानसभा चुनाव प्रचार अभियान का प्रभारी नहीं बनाती है, तो वह बगावत कर देंगे। खबरें यह उठी थीं कि वह अलग पार्टी बना सकते हैं या एनसीपी के साथ जा सकते हैं। उस वक्त आलाकमान को मजबूरी में उन्हें प्रदेश में पार्टी की कमान सौंपनी पड़ी थी।

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महंगा पड़ेगा अड़ियल रवैया
इसके बाद भले ही कांग्रेस की सरकार बनी और वीरभद्र सीएम बने, लेकिन कांग्रेस हाईकमान के पास लगातार उनकी शिकायतें पहुंचती रहीं। आरोप लगे कि उन्होंने मंत्रिमंडल का गठन करते वक्त भी मनमानी की। कई मौकों पर आशा कुमारी, जी.एस.बाली, राकेश कालिया और राजेश धर्माणी जैसे नेता अपनी नाराजगी जाहिर करते रहे हैं। हाल ही में राजेश धर्माणी का सीपीएस पद को छोड़ना इसी बात का एक उदाहरण है। आलाकमान में इससे यह संकेत गया है कि वीरभद्र सिंह का अड़ियल रवैया पार्टी को बांट रहा है।

साभार: TheHindu.com

परिवारवाद के आरोप
वीरभद्र सिंह पर परिवारवाद के भी आरोप लगते रहे हैं। उनकी पत्नी सांसद रही हैं और इस बार भी चुनाव लड़ रही हैं। पिछले दिनों प्रतिभा सिंह के समर्थन में कुल्लू में हुई एक सभा में वीरभद्र सिंह ने कहा कि मैं किसी महिला को सीएम देखना चाहता हूं। इससे कयास यही लगाए जा रहे हैं कि वह अपनी पत्नी प्रतिभा सिंह की तरफ इशारा कर रहे हैं। यही नहीं, चर्चा है कि उनके बेटे और युवा कांग्रेस के अध्यक्ष विक्रमादित्य सिंह का विभिन्नय मंत्रालयों में दखल बढ़ा है। कांग्रेस में संगठन स्तर पर इस बात से भी नाराजगी है।

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करप्शन के आरोप
यूं तो वीरभद्र सिंह एचपीसीए और धूमल परिवार की अन्य कथित गड़बड़ियों को लेकर आए दिन बयान देते रहते हैं, लेकिन जब उन पर लगे कई आरोपों पर सवाल पूछे जाते हैं, तब वह खामोश रहते हैं या भड़क जाते हैं। आलम यह है कि पार्टी के राष्ट्रीय स्तर के प्रवक्ता जब विपक्षी पार्टियों के करप्शन के आरोपों से घिरे नेताओं पर निशाना साधते हैं, तब उन्हें वीरभद्र के सवाल पर खामोश होना पड़ता है। साथ ही यह भी हो सकता है कि बीजेपी की सरकार आने पर वीरभद्र के खिलाफ सीबीआई जांच में भी तेजी आए। ऐसे में भविष्य की रणनीति में जुटी कांग्रेस नहीं चाहेगी कि वह वीरभद्र की वजह से किसी मुश्किल में फंसे।

मीडिया से बदसलूकी
आमतौर पर शांत और हंसमुख रहने वाले वीरभद्र सिंह साल 2012 में करप्शन पर सवाल पूछने पर मीडिया पर भड़क उठे थे। मगर यह सिलसिला थमा नहीं। हाल ही में एक बार फिर उन्होंने एक रिपोर्टर को कैमरा तोड़ने की धमकी दे डाली। चुनावी माहौल में नैशनल टीवी चैनलों में उनका यह रूप दिखना कांग्रेस के लिए एक बार फिर शर्मिंदगी का कारण बन गया।

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वीरभद्र की उम्र भी फैक्टर
कांग्रेस आलाकमान वीरभद्र की सम्मानजक विदाई का रास्ता ढूंढ रही है। राहुल गांधी के फॉर्म्यूले पर चलते हुए कांग्रेस युवा लोगों को जिम्मेदारी देना चाह रही है। वीरभद्र सिंह 85 वर्ष के हो चले हैं, ऐसे में यह उनका आखिरी कार्यकाल माना जा रहा है। इसलिए कांग्रेस चाहेगी कि अगले विधानसभा चुनाव से पहले कोई नया चेहरा मुख्यमंत्री पद संभाले, जिसके नेतृत्व में वह अगले चुनावी समर में उतर सके। ऐसे में वीरभद्र सिंह को राष्ट्रीय स्तर पर संगठन में कोई जिम्मेदारी दी जा सकती है।

कौन होगा कांग्रेस का अगला चेहरा?
यूं तो कांग्रेस पिछला विधानसभा चुनाव कौल सिंह ठाकुर के नेतृत्व में लड़ने की तैयारी कर रही थी, लेकिन आखिरी वक्त में वीरभद्र ने नेतृत्व किया। विद्या स्टोक्स की दावेदारी अब इसलिए खत्म मानी जा रही है, क्योंकि वह भी उम्रदराज हो चुकी हैं। मगर सबसे अहम बात यह है कि कौल सिंह के करीबी और केंद्रीय मंत्री आनंद शर्मा खुद भी इस दौड़ में शामिल हो सकते हैं। हिमाचल प्रदेश की राजनीति में उनकी रुचि पहले से ही रही है। अगर केंद्र से कांग्रेस की सरकार गई, तो कांग्रेस आलाकमान के नजदीकी आनंद शर्मा हिमाचल प्रदेश की राजनीति में आने के लिए एकदम फ्री रहेंगे। कांग्रेस का एक धड़ा जी.एस. बाली के लिए भी माहौल बनाने में जुटा हुआ है।

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