शिमला।। नई सरकार के सामने जब एक शख्स ने इलाज के लिए मुख्यमंत्री राहत कोष से आर्थिक मदद की मांग की तो पता चला कि यह कोष तो खाली ही हो गया है। अमूमन इस कोष में चार-पांच करोड़ रुपये हुआ करते थे, मगर पता चला कि दो लाख रुपये ही बचे हैं। यही नहीं, यह रकम पूरे प्रदेश के लोगों पर बराबर खर्च हुई होती तो बात अलग थी, मगर जानकारी सामने आई है कि वीरभद्र सिंह सरकार शिमला ग्रामीण, रोहड़ू, रामपुर और हरोली पर ज्यादा रकम खर्च की है।
बता दें कि मुख्यमंत्री वीरभद्र पर पहले ही रोहड़ू, रामपुर और शिमला का पक्ष लेने का आरोप लगा रहा है और ऐसा आज से नहीं, बल्कि हमेशा से है। मगर इन आरोपों को सीएम राहत कोष को लेकर हुए खर्च पर सामने आ रही जानकारी से और बल मिला है। बता दें कि रोहड़ू वीरभद्र की पुरानी सीट रही है, रामपुर रियासत के वह राजा रहे हैं, शिमला ग्रामीण से पिछली बार विधायक थे और अभी उनका बेटा यहां से एमएलए है। और हरोली सीट से वीरभद्र सिंह के करीबी मुकेश अग्निहोत्री विधायक हैं जिन्हें इस बार वीरभद्र सिंह ने कांग्रेस विधायक दल का नेता बनवाने में कामयाबी पाई है।
चलिए, यह रकम जो खर्च हुई होगी जरूरमंद लोगों पर ही हुई होगी। मगर प्रश्न है कि बाकी इलाकों में भी तो लोग परेशान होंगे, उन्होंने भी तो दरख्वास्तें भेजी होंगी, उन्हें भी तो जरूरत रही होगी, फिर वहां समान धनराशि का आवंटन क्यों नहीं हुआ और इन चार इलाकों में ही क्यों पिछली सरकार मेहरबान रही? ऐसे सवाल सोशल मीडिया पर भी उठाए जा रहे हैं। बहरहाल, नई सरकार के मंत्रियों ने 1-1 लाख रुपये का अनुदान अपनी तरफ से सीएम राहत कोष में दिया है और कहा जा रहा है कि बीजेपी अपने विधायकों से भी इस कोष में अनुदान देने के लिए कहेगी।