कांगड़ा।। हिमाचल प्रदेश में हर साल टीबी के कारण 500 से ज्यादा जानें जाती हैं। 2017 में इनमें से 100 तो अकेले कांगड़ा जिले में दर्ज की गई थीं।
पालमपुर में प्राइवेट डॉक्टरों के लिए चल रहे एक कार्यक्रम में स्वास्थ्य अधिकारियों ने यह जानकारी दी। उन्होंने कहा कि स्वाइन फ्लू, पीलिया, डेंगी और स्क्रब टाइफस से प्रदेश में होने वाली मौतों की संख्या मिला दी जाए, तब भी टीबी से मरने वाले लोगों की संख्या ज्यादा है।
सालाना टीबी रिपोर्ट के मुताबिक हिमाचल प्रदेश में साल 2017 में टीबी के 16,451 मरीजों का पता चला था जिनमें से 736 प्राइवेट सेक्टर से थे।
राज्य के टीबी ऑफिसर डॉक्टर आर.के. बरिया ने कहा कि टीबी अब भी चुनौती बना हुआ है क्योंकि या तो इस मामले दर्ज होने से बच जाते हैं या फिर कम डायग्नोज़ होते हैं।