करसोग।। इलेक्शन आते ही वे काम होने लगते हैं, जो पिछले पांच सालों में न हुए हों। मगर काम करना जरूरी है, क्वॉलिटी का ध्यान रखना जरूरी नहीं। इस बात को साबित करना है करसोग का एक वीडियो, जिसमें मिट्टी के ऊपर ही कोल टार की परत बिछाकर टारिंग की जा रही है। नियमों के तहर बेयरिंग और सोलिंग के सेटल होने के बाद ही ऊपर से टारिंग की जाती। अब सोचिए, मिट्टी के ऊपर भला टारिंग कहां टिकेगी और कितने दिन चलेगी।
हरीश राजपूत ने बाकयादा इसके वीडियो और तस्वीरें शेयर किए हैं। वह लिखते हैं कि चिंढाधारठू और झरांडी सड़क की टायरिंग में इस तरह से पैसा बहाया जा रहा है। हालांकि वीडियो देखकर लगता है कि एक छोटे से स्ट्रैच को पक्का किया जा रहा है, जो किसी कारणवश खराब हो गया था। मगर पैचवर्क या रिपेयर वर्क हो या फिर पूरी टारिंग, बुनियादी नियम सभी के लिए वही हैं। मिट्टी पर टार टिकता नहीं है।
तस्वीरों और वीडियो में यह भी साफ दिखता है कि सड़क के इर्द-गिर्द जमा मिट्टी को हटाया नहीं गया है और नाली भी बनाई नहीं गई है। यानी बारिश होते ही पानी नाली के बजाय सड़क से बहेगा और तुरंत सड़क बह जाएगी।
इससे साफ होता है कि किस तरह से सरकारी पैसे की बेकद्री की जा रही है, और जिस विभाग से अधिकारियों और इंजिनियरों को लाखों रुपये की तनख्वाह मिलती है, वे अपने कर्तव्य का पालन करने के बजाय आंखें मूंदे बैठे हैं।