क्या वाकई हिमाचल के इस मंदिर में सोने से गर्भवती हो जाती हैं महिलाएं?

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मंडी।। हो सकता है पिछले दिनों फेसबुक, यूट्यूब या किसी टीवी चैनल पर आपने देखा हो कि हिमाचल में एक ऐसा मंदिर है जहां, जहां फर्श पर सोने से महिलाएं गर्भवती हो जाती हैं। सुनने में यह बात अजीब लगती है और हममें से बहुत से लोग यकीन भी कर लेते होंगे कि शायद ऐसा ही होता होगा। मगर हकीकत अलग है। बात कुछ और है और कुछ लोगों ने इसे बदलकर कुछ और बना दिया। सिर्फ इसलिए ताकि लोग हैरान होकर उनका वीडियो देखें और उसे आगे शेयर कर दें।

ऐसी-ऐसी भ्रामक बातें मंदिर के बारे में फैलाई गई हैं

मंडी जिले के जोगिंदर नगर में लड-भड़ोल के पास है सिमसा माता का मंदिर। इस पुराने मंदिर में बहुत से लोगों की आस्था है। दूर-दूर से लोग यहां आते हैं। मां को संतान दात्री भी कहा जाता है। दरअसल जिन लोगों को संतान की प्राप्ति नहीं होती, ऐसा माना जाता है कि मां सिमसा के आशीर्वाद से उन्हें संतान मिल सकती है। मगर इसकी भी एक प्रक्रिया है।

नवरात्रों के दौरान यहां एक विशेष उत्सव होता है, जिसे ‘सलिंदरा’ कहते हैं। सलिंदरा शायद अर्धनिद्रा या निद्रा का अपभ्रंश है, जिसका अर्थ है स्वप्न देखना। तो नवरात्रों के दौरान दूर-दूर से आई महिलाएं रात को मंदिर परिसर में फर्श पर सोती हैं। इस दौरान अगर किसी को सपने में मां ने दर्शन दिए, तो समझिए उसपर मां की कृपा है। मगर इसके बाद सपने में ही अगर ये महिलाएं देखें कि उन्हें कोई फल या सब्जी आदि मिली है, तो माना जाता है कि उनकी मनोकामना पूरी होगी और उन्हें संतान जरूर होगी। वहीं यदि किसी को फल के अलावा कोई निर्जीव चीज़ यानी धातु, लकड़ी, बर्तन आदि मिले तो इसका अर्थ है कि आप जिस इच्छा से आई हैं, वह पूरी नहीं हो पाएगी।

अगर किसी को सपने में ऐसा नहीं दिखता है तो वह फिर सोकर प्रयास कर सकता है। मगर सपना आ जाने के बाद भी कोई वहीं रुका रहे तो माना जाता है कि वह अस्वस्थ हो जाता है। कई सालों से लोगों की अटूट आस्था है और उनका कहना है कि वाकई ऐसा होता है। आप कभी मंदिर जाएं तो बहुत से लोग अपनी संतान लेकर वहां आए होते हैं, जिसे वे मानते हैं कि मा के आशीर्वाद से ही हुई है।

क्या कहते हैं लोगों के अपने अनुभव
विज्ञान के दौरान में भले ही देवताओं की मौजूदगी और चमत्कार पर यकीन करना मुश्किल है मगर जानकारों का कहना है कि सांकेतिक रूप से ही सही, मां सिमसा के मंदिर में सपने वाली बात में संयोग से ही सही, कुछ सच्चाई तो है। उदाहरण के लिए यहां पर जिन निस्संतान महिलाओं को सपना आता है कि उन्हें संतान प्राप्ति होगी, दरअसल उनमें पति-पत्नी दोनों में मेडिकल रूप से कोई गंभीर कमी नहीं होती, मगर फिर भी गर्भधारण नहीं हो पा रहा होता। ऐसा हार्मोन्स की गड़बड़ी के कारण या पति में शुक्राणुओं की कमी के कारण हो सकता है। ऐसे कई लोग खुद बताते हैं कि उनके साथ ऐसा ही हुआ। उनका कहना है कि सभी जगह चेकअप करवाने के बाद पता चला था कि पति-पत्नी मेडिकल रूप से स्वस्थ हैं मगर गर्भधारण में समस्या आ रही थी। बाद में मंदिर आने के बाद पत्नी को फल मिलने का सपना आया और कुछ महीनों बाद गर्भधारण हो गया।

वहीं कुछ उदाहरण ऐसे भी मिले हैं जिनमें महिलाओं को सपने में निर्जीव चीज़ यानी पत्थर या बर्तन आदि मिला, उसका मतलब हुआ कि उनकी संतान नहीं होगी। इसके बाद जब उन्होंने मेडिकल जांच करवाई तो कई बार महिलाओं में मेडिकल रूप से कुछ समस्या मिली तो कई बार उनके पतियों में मेडिकल कारणों से कमी पाई गई। जब इन्होंने अस्पताल में उन समस्याओं का इलाज करवाया तो जरूर इन्हें संतान प्राप्ति हुई। कृत्रिम गर्भधारण के ज़रिये भी बहुत से लोगों ने संतान प्राप्ति की है। ऐसे लोग मानते हैं कि इसमें भी मां की कृपा रही क्योंकि अगर सपने का अर्थ यही था कि आप उस स्थिति में संतान प्राप्ति न कहीं कर सकते। इसके बाद ही वे दंपती अस्पताल गए थे। ये कहते हैं कि अगर विज्ञान उनके लिए वरदान साबित हुआ है तो भी उन्हें मां की वजह से ही संतान प्राप्ति हुई है क्योंकि अगर संतान न होने वाला सपना नहीं आता तो वे शायद कभी अस्पताल में चेकअप करवाने जाते ही नहीं।

आस्था और विज्ञान
कई बार हम वही सपने देखते हैं जिसके बारे में हमने बात की होती है। तो यह एक बेशक संयोग हो सकता है कि आप मंदिर में जिस सपने को देखने की इच्छा से जा रहे हों, वहां वही सपना आए। मगर यह बात जरूर हैरान करती है कि जिस महिला को जैसा सपना आता है, उसे वैसा ही परिणाम देखने को क्यों मिलता है। बहरहाल, आस्था और विज्ञान की अपनी-अपनी दुनिया है। यह बहस तो कभी खत्म नहीं होगी।