शर्मनाक! नूरपुर के SDM आबिद हुसैन को कहा ‘मुल्लों का दल्ला’

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कांगड़ा।। हिमाचल प्रदेश में कुछ लोग किस तरह से सांप्रदायिक माहौल बिगाड़ने की कोशिश कर रहे हैं, उसका उदाहरण हाल ही में बढ़ रही कुछ संगठनों की हरकतों से पता चल रहा है। कानून-व्यवस्था अपने हाथ में लेने की कोशिश कर रहे ये संगठन देशभक्ति की आड़ में संविधान और संवैधानिक मूल्यों की धज्जियां उड़ा रहे हैं और प्रशासन खामोश बैठा हुआ है। यही नहीं, ये खबरें मीडिया में भी आपको नहीं दिखेंगी क्योंकि शायद वे उनके अजेंडे में फिट नहीं बैठतीं।

ऐसा ही एक मामला नूरपुर में सामने आया है। बुधवार को यहां चौगान मैदान गाय की कथित रूप से हत्या की खबर फैली। गाय की पूंछ और थनों पर चोट के निशान थे और ऐसा लगता था कि उन्हें काटा गया है। कथित तौर पर आरएसएस के कार्यकर्ताओं को शाखा के लिए जुटने के दौरान यह गाय मिली थी।

इसके बाद तथाकथित हिंदुत्ववादी संगठनों के लोग वहां पहुंचे और डीएसपी नवदीप सिंह पुलिस टीम के साथ आए। बाद में स्थानीय विधायक राकेश पठानिया की ओर से सूचना मिलने के बाद कथित तौर पर मुख्यमंत्री ने जिला प्रशासन को जांच के आदेश दिए।

एसपी संतोष पटियाल नूरपुर पहुंचे तो उन्होंने मीडिया को बताया कि पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में गाय की मौत प्लास्टिक का कचरा खाने के कारण इन्फेक्शन से हुई है और बाद में संभवत: उसके पूंछ और थनों को काटने की कोशिश की है ताकि सांप्रयादिक सौहार्द्र बिगाड़ा जा सके।

वैसे एक आशंका यह भी है कि गाय के मर जाने के बाद आवारा कुत्तों ने पूंछ और थनों को काट खाया हो। मगर इस मामले में उत्तेजित तथाकथित हिंदुत्ववादी संगठनों के कार्यकर्ताओं ने रोष में रैली निकाली और नारेबाजी की। मगर इस नारेबाजी में स्थानीय एसडीएम आबिद हुसैन को लेकर जिस तरह की भाषा इस्तेमाल की गई, वह शर्मनाक है। यही नहीं, कुछ लोगों ने फेसबुक पर आपत्तिजनक पोस्ट भी की।

जाहिर है, पुलिस की जांच में यह साफ नहीं हुआ है कि गाय को नुकसान कुत्तों ने पहुंचाया है या किसी हिंदू या मुस्लिम ने। लेकिन रैली के दौरान मुस्लिम विरोधी अपमानजनक नारे लगाए गए और यहां तक कि एसडीएम आबिद हुसैन के खिलाफ भी आपत्तिजनक बातें करते हुए उन्हें ‘मुल्लों का दल्ला’ कह दिया गया।

खास बात यह है कि अब तक इस मामले में पुलिस ने कोई कार्रवाई नहीं की है।

सवाल उठ रहे हैं कि क्या ऐसे संगठनों और उनके पदाधिकारियों को प्रदेश सरकार का संरक्षण मिला हुआ है? यदि वाकई किसी ने गाय को नुकसान पहुंचाया है तो उसे सजा मिलनी चाहिए, मगर एक प्रशासनिक अधिकारी को सिर्फ उसके धर्म या नाम की वजह से अपमानजनक शब्द कहना कहां उचित है?