शिमला।। गुड़िया रेप ऐंड मर्डर केस को सुलझाने का दावा करने वाली सीबीआई की जांच से हिमाचल प्रदेश के बहुत से लोग असंतुष्ट नजर आ रहे हैं और वे सोशल मीडिया के माध्यम से अपनी शंकाएं जाहिर कर रहे हैं। इसी सिलसिले में एक बार फिर से हिरासत मे मारे गए संदिग्ध की पत्नी और दोस्तों के बयान की खबरों की कटिंग्स और लिंक शेयर किए जाने लगे हैं।
बहुत से लोग इस बात को हजम नहीं कर पा रहे कि कांगड़ा जिले के रहने वाले चरानी ने अकेले इस वारदात को अंजाम दिया था। भले ही सीबीआई कह रही हो कि जांच जारी है, मगर उसने इस केस को सुलझा लेने का दावा किया है। चूंकि संदिग्ध चरानी को न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया है और सीबीआई ने अब चार्जशीट दाखिल करने की बात कही है, फिर भी कुछ सवालों का जवाब न मिलना लोगों को परेशान कर रहा है।
साथ ही अभी तक यह साफ नहीं हो पाया है कि हिरासत में हुई नेपाली संदिग्ध सूरज की मौत की वजह क्या है। लोगों को लगता है कि असली आरोपियों को बचाने के लिए पुलिस कर्मियों ने सूरज की हत्या कर दी थी ताकि वह सच न उगल दे। मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह के पेज से कुछ तथाकथित रसूखदार संदिग्धों की तस्वीरें डालकर हटाए जाने की घटना के कारण भी शंकाएं पैदा हुईं। बाद में जिस तरह के पूर्व सांसद प्रतिभा सिंह के बयान को लेकर खबरें आई थीं, उसने भी जनता के मन में शक पैदा करने का काम किया था और वे शंकाएं आज तक बरकरार हैं।
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जनता के बीच यह भ्रम की स्थिति इसलिए भी बनी हुई है, क्योंकि उस समय कई तरह की बातें सोशल मीडिया से लेकर अखबारों में छपी हुई थीं। और उसके बाद भले ही पुलिस के आला अधिकारी हिरासत में हुई मौत को लेकर सीबीआई की जांच के बाद जेल में हों, अभी यह स्पष्ट नहीं हो पाया है कि सूरज की मौत कैसे हुई, किसकी पिटाई से हुई और पिटाई का कारण क्या था। सीबीआई ने इसे लेकर जो रहस्य बनाया हुआ है और जानकारियों को सार्वजनिक करने से बच रही है, उससे भी लोगों में गलतफहमियां पैदा हुई हैं।
पिछले साल कुछ अखबारों में मृतक सूरज की पत्नी के बयान छपे थे, जिसमें दावा किया गया था कि सूरज ने कहा था कि छह महीने में वह जेल से छूटकर आ जाएगा। कुछ अखबारों ने नेपालियों को पैसों के ऑफर आने तो कुछ ने धमकाए जाने के दावे भी किए थे।
इस पूरे मामले में अब फिर से कुछ पुरानी खबरों की कटिंग्स शेयर की जा रही हैं और जिस तरह से पुलिस की कार्रवाई पर सवाल उठ रहे थे, उसी तरह से सीबीआई की जांच पर भी सवाल उठ रहे हैं। जैसे कि यह कटिंग-
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इस खबर के आधार पर अब लोग सवाल उठा रहे हैं कि वे कौन लोग थे, जो सूरज को लेकर चले गए थे और जिन्हें पहचानने का दावा सूरज की पत्नी ने किया था? वे ‘सर लोग’ कौन थे, जिन्होंने कथित तौर पर सूरज को नेपाल भेजने का वादा किया था?
अभी सीबीआई ने भले ही आधी जानकारी दी है, मगर उसे कुछ सवालों का जवाब देना होगा वरना जिस तरह का रहस्यवाद वह अपना रही है, उससे उसकी जांच पर भी सवाल उठना बंद नहीं होंगे। सोशल मीडिया पर लोग कई तरह के सवाल उठा रहे हैं, जैसे कि-
- गुड़िया के शव से मिले साक्ष्य इस वारदात में कितने लोगों के शामिल होने की बात कहते हैं। क्या दांतों के निशान और अन्य साइंटिफिट एविडेंस एक से अधिक व्यक्ति के शामिल होने का इशारा करते हैं?
- यदि हां तो एक ही आरोपी को पकड़ लिए जाने पर ही उसने केस को सुलझा देने का दावा कैसे कर दिया?
- यदि नहीं तो जैसा कि मृतका के परिजन कहते हैं कि बेटी के लापता होने वाली रात उन्होंने पूरा इलाका तलाश लिया था, फिर दो दिन बाद उन्हें कैसे उस जगह शव मिला?
- गुड़िया का शव लापता होने के दो दिन बाद मिला। दो दिन तक उसे कहां रखा गया?
- क्या उसी जगह बलात्कार के बाद हत्या दी गई या बलात्कार कहीं और हुआ था और शव यहां फेंका गया था?
- गुड़िया की जुराब घटनास्थल से गायब होने की खबरें आई थीं। हकीकत क्या है? यदि वारदात को वहीं अंजाम दिया गया था जहां शव मिला था तो जुराब कहां चली गई?
- और यदि उसी जगह पर बलात्कार किया गया, जहां शव मिला तो कैसे पास की ही सड़क और कुछ ही दूर रहने वाले अन्य नेपालियों को पता नहीं चला, जबकि आरोपी अकेला ही था?
- पुलिस हिरासत में सूरज की मौत कैसे हुई? क्या इसके पीछे साजिश थी या कुछ उगलवाने के लिए टॉरचर के दौरान उसकी मौत हो गई?
सीबीआई ने अभी चार्जशीट दाखिल नहीं की है मगर लोग अभी से सवाल उठा रहे हैं। क्योंकि शुरू में कुछ रसूखदार और पैसे वाले लोगों के बच्चों के शामिल होने की खबरें आई थीं और उनकी तस्वीरें भी मुख्यमंत्री के पेज से शेयर हुई थीं। उनके हटाए जाने के बाद लोगों के मन में यह भावना घर कर गई थी कि उन्हें बचाने के लिए पुलिस ने पहले नेपालियों को पकड़ा और फिर एक को जेल में मार डाला। लोग इसी अवधारणा के कारण सवाल उठा रहे हैं कि क्या उस अकेले चरानी से ही पुलिसवालों और राजनीतिक सिस्टम को प्रभावित कर दिया।
सवाल और भी हैं और इनका जवाब अगर सीबीआई नहीं देती है तो उसकी जांच के प्रति लोगों के मन में शक बना रहेगा। इस मामले में पूरे प्रदेश में अभी तक अटकलों और अफवाहों का सिलसिला जारी है। ऐसे में इन बातों को दूर करने के लिए सीबीआई को मेहनत करनी होगी और कड़ियां जोड़नी होंगी, दूध का दूध और पानी का पानी करना होगा।
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